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सदगुणों के साथ जिया जाने वाला जीवन ही सार्थक : राज्यपाल

आचार्य महाश्रमण ने बनासकांठा जिला मुख्यालय पालनपुर में मनाया 64वां जन्म दिवस पालनपुर. जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महाश्रमण ने बनासकांठा जिला के मुख्यालय पालनपुर के कर्णावती हाईस्कूल में मंगलवार को अपना 64वां जन्मदिन मनाया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आचार्य महाश्रमण को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनका आशीर्वाद लिया और कहा कि […]

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आचार्य महाश्रमण ने बनासकांठा जिला मुख्यालय पालनपुर में मनाया 64वां जन्म दिवस

पालनपुर. जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महाश्रमण ने बनासकांठा जिला के मुख्यालय पालनपुर के कर्णावती हाईस्कूल में मंगलवार को अपना 64वां जन्मदिन मनाया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आचार्य महाश्रमण को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनका आशीर्वाद लिया और कहा कि आहार और निद्रा तो प्रत्येक प्राण लेते हैं, सदगुणों के साथ जिया जाने वाला जीवन ही सार्थक जीवन है।
राज्यपाल के मुताबिक मानव जीवन में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, करूणा, दया और परोपकार आदि गुणों के साथ जो जीवन-यापन करते हैं, उन्हीं का जीवन सार्थक कहलाता है। आहार और निद्रा तमाम प्राणी लेते हैं। इसमें धर्म मानव को अलग करता है। धर्म अर्थात अपने कर्तव्य का पालन करना है। प्राणी मात्र के प्रति दया का भाव, सहिष्णुता और करुणा का भाव रखना चाहिए। संन्यास धर्म का पालन करते समय प्राणी मात्र के प्रति भलाई के साथ जीवन समर्पित करना चाहिए। अपनों में अपनेपन का भाव तो नजर आता है, परंतु महान लोग दूसरों में भी अपनेपन की भावना के साथ आगे बढ़ते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी उन्नति के साथ सभी की उन्नति में भी दिलचस्पी होनी चाहिए। यह विचार उम्दा मनुष्य के हैं। यही विचार मोक्ष तक पहुंचने का मार्ग है। उन्होंने कहा कि आचार्य महाश्रमण के जीवन के बारे में विभिन्न समाचार माध्यमों और साहित्य माध्यमों से जानकारी मिलती रहती है। स्व-अनुभव से यह निष्कर्ष निकला है कि पशु-पक्षी पर भी दया भाव रखना चाहिए। आत्मा में अपनी आत्मा के दर्शन करना ईश्वरीय कार्य है।

जीवन में पुरुषार्थ का अवश्य मिलता है परिणाम : आचार्य महाश्रमण

इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण ने कहा कि मानव जीवन दुर्लभ है और महत्वपूर्ण भी है। जीवन में मोक्ष प्राप्त करना ही श्रेष्ठ है। इस दुनिया में अनेक प्राणी हजारों की संख्या में जन्म लेते हैं। सार्थक जीवन जीकर मनुष्य मोक्ष प्राप्त करता है, तभी जीवन सार्थक बनता है। जीवन में पुरुषार्थ करेंगे तो उसका फल अवश्य मिलता है। इसलिए आत्मा को मोक्ष मिले, तब तक पुरुषार्थ करते रहना चाहिए।

Published on:
06 May 2025 10:35 pm
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