-मार्च महीने में जिले में ४१ विभागों में की दर्ज हैं पेंडिंग १५१९१ शिकायतें -टॉप ५ में है प्रमुख विभाग, इनमें राजस्व, नगरीय प्रशासन, हेल्थ और पंचायत भी शामिल
दमोह. प्रदेश सरकार जिन योजनाओं के दम पर अपनी पीठ थपथपा रही है। वास्तव में उन योजनाओं का लाभ पाने के लिए जिले की जनता को काफी परेशान होना पड़ रहा है। महिला बाल विकास विभाग ऐसा पहला विभाग है, जिससे संबंधित शिकायतों की संख्या सबसे ज्यादा है। आगनबाडी केंद्र समय पर न खुलने, पोषण आहार वितरण न होने, स्वसहायता समूहों द्वारा की जा रही गड़बड़ी जैसी ढेरों शिकायतें सीएम हेल्प लाइन के जरिए की जा रही हैं। जानकर हैरानी होगी कि इस विभाग से संबंधित २५९५ शिकायतें अभी भी पेंडिंग हैं। यानी यह वे शिकायतें हैं, जिनका निराकरण अभी तक नहीं हुआ है। साफ है कि कुल शिकायतों की संख्या हजारों में होगी। इधर, विभाग के अधिकारियों पर शिकायतों बंद कराने का दबाव भी है। इस वजह से निराकरण कराने में विभाग को पसीना आ रहा है।
-राजस्व और पंचायत ग्रामीण विकास विभाग भी नहीं पीछे
पंचायत ग्रामीण विकास विभाग और राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली से भी जनता काफी दुखी है। पंचायतों से संबंधित अधिकांश शिकायतें मजदूरी न मिलने, मजदूरों की जगह मशीनों से काम कराए जाने, फर्जी मस्टर रोल का खेल, निर्माण किए बिना राशि निकाले जाने जैसी २३९३ शिकायतों का निराकरण नहीं हो पाया है। इस मामले में जिपं सीईओ पर जुर्माने तक की कार्रवाई हो चुकी है। इधर, राजस्व विभाग की बात करें तो यहां भी २०५० शिकायतें पेडिंग बताई जा रही है। सबसे ज्यादा शिकायतें सीमांकन को लेकर है। दमोह ब्लॉक की ही बात करें तो ३०० से ज्यादा प्रकरणों का निराकरण नहीं हुआ है। अन्य शिकायतें अलग हैं। चौथे नंबर पर नगरीय विकास एवं आवास विभाग है, जहां पर १६०९ प्रकरणों का निराकरण नहीं हुआ है। टॉप फाइव में स्वास्थ्य विभाग शामिल है, जहां १३८४ मामलों के निपटारे की प्रतिक्षा पीडि़त कर रहे हैं। बता दें कि यह स्थिति तब है, जब कलेक्टर सौ से ज्यादा अधिकारियों पर जुर्माने की कार्रवाई कर चुके हैं।
-४१ विभागों कीं १५१९१ शिकायतें
फरवरी मार्च महीने की लंबित शिकायतों की बात करें तो जिले में ४१ विभाग पर सीएम हेल्प लाइन के जरिए शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। शिकायतों की संख्या १५१९१ हैं, जिनका निराकरण अभी तक नहीं हो पाया है।
-कॉल कर बोल रहे शिकायत बदं कर दो
सीएम हेल्प लाइन में दर्ज शिकायतों पर सीधे सीएम समीक्षा करते हैं। यही वजह है कि शिकायतों को लेकर विभाग के अधिकारी काफी डरे रहते हैं। शिकायतकर्ताओं को फोन लगवाकर शिकायत बंद कराने का दबाव भी डाला जाता है। काम न होने के कारण पीडि़त भी शिकायत बंद नहीं करा रहे हैं। वहीं, फोर्स क्लोज मामले में भी विभाग मनमानी नहीं कर सकता। इस वजह से पेंडेंसी खत्म नहीं हो रही है।
वर्शन
वर्तमान में १५००० शिकायतें सीएम हेल्प लाइन में लंबित हैं। इनके निराकरण जल्द कराने के निर्देश कलेक्टर ने दिए हैं। लापरवाही पाए जाने पर संबंधित विभाग प्रमुुख पर कार्रवाई भी हो रही है।
चक्रेश पटेल, लोकसेवा प्रबंधक