मानदंडों के अनुसार, कपड़े में 30 फीसदी कपास और 70 फीसदी पॉलिएस्टर होना चाहिए। हालांकि, मौजूदा वर्दी में पॉलिएस्टर की मात्रा 90 फीसदी से अधिक निकली है
बेंगलूरु. सरकारी स्कूल के बच्चों के साथ खिलवाड़ जारी है। संबंधित विभागों को लगता है कि वे वर्दी (स्कूल यूनिफॉर्म) की गुणवत्ता से समझौता करके निकल जाएंगे और कोई कुछ नहीं कहेगा, लेकिन इस बार मामला पकड़ में आते ही शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाया है।
दरअसल, राज्य में सरकारी स्कूली बच्चों को मुफ्त में प्रदान की जाने वाली स्कूल वर्दी की गुणवत्ता बेहद घटिया निकली है। केंद्रीय रेशम प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान ने अपनी नियमित जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने उद्योग और वाणिज्य विभाग को एक महीने के अंदर वर्दी बदलने के लिए लिखा है।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव रितेश कुमार सिंह ने बताया कि मानदंडों के अनुसार, कपड़े में 30 फीसदी कपास और 70 फीसदी पॉलिएस्टर होना चाहिए। हालांकि, मौजूदा वर्दी में पॉलिएस्टर की मात्रा 90 फीसदी से अधिक निकली है। उत्तरी कर्नाटक के छह जिलों के लिए बनाई गई वर्दी गोदाम तक पहुंच गई है और अभी तक वितरित नहीं की गई है।