बाड़मेर और जैसलमेर की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों में अब दुश्मन पारंपरिक घुसपैठ नहीं, बल्कि डिजिटल जासूसी के हथकंडे अपना रहा है।
बाड़मेर और जैसलमेर की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों में अब दुश्मन पारंपरिक घुसपैठ नहीं, बल्कि डिजिटल जासूसी के हथकंडे अपना रहा है। पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव्स (पीआईओ) साइबर अपराधियों के जरिए सीमावर्ती इलाकों में बसे लोगों को फेक कॉल और सोशल मीडिया चैट के माध्यम से निशाना बना रहे हैं।
इस साजिश को भांपते हुए बीएसएफ ने सीमावर्ती गांवों में जागरूकता अभियान तेज कर दिया है। सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत ग्रामीणों, छात्रों और सरकारी कर्मचारियों को 50 शॉर्ट फिल्मों के जरिए यह समझाया जा रहा है कि कैसे मासूम दिखने वाली जानकारी भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है।
बीएसएफ इन बिंदुओं पर ग्रामीणों को जागरूक कर रही है—
-फेक कॉल्स और सोशल मीडिया फ्रॉड से बचें।
बीएसएफ के डीआईजी राजकुमार बासटा बताते हैं कि छोटी जानकारी भी बड़े खतरे को जन्म दे सकती है। अगर सीमावर्ती लोग सतर्क रहेंगे, तो कोई भी साजिश सफल नहीं हो पाएगी।अब जरूरत है कि हर नागरिक डिजिटल घुसपैठ की इस नई चुनौती को समझे और सावधानी बरते, क्योंकि सतर्कता ही सुरक्षा की पहली शर्त है।