मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल (एकेडमिक काउंसिल) की बैठक में सोमवार को इंडिनयन नॉलेज सिस्टम (आइकेएस) के तहत तीन नए विषय शुरू किए जाने पर सहमति बनी।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल (एकेडमिक काउंसिल) की बैठक में सोमवार को इंडिनयन नॉलेज सिस्टम (आइकेएस) के तहत तीन नए विषय शुरू किए जाने पर सहमति बनी। हालांकि इसके लिए पहले नई फैकल्टी बनाने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उसके बाद इसके तहत वैदिक हिंदू स्टडी, ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र का अध्यापन शुरू करवाया जाएगा। बैठक कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा की अध्यक्षता में हुई।विश्वविद्यालय प्रवक्ता डॉ. कुंजन आचार्य ने बताया कि बैठक में विश्वविद्यालय के वार्षिक अकादमिक और परीक्षा कैलेंडर को स्वीकृति दी गई। इसके तहत सालभर के अकादमी आयोजन और परीक्षाओं का कैलेंडर तैयार किया गया है। जिससे विश्वविद्यालय के अकादमिक कार्य नियमित रूप से संचालित हो सकेंगे। परिषद में यह निर्णय किया कि अब पीएचडी के लिए किसी भी व्यक्ति को 6 साल से अधिक कार्य विस्तार की अनुमति नहीं दी जाएगी। छात्राओं के लिए 8 साल की अनुमति पूर्ववत जारी रहेगी। वहीं कोई भी कर्मचारी या शिक्षक एकेडमिक लीव, प्रिविलेज लीव या ड्यूटी लीव के लिए आवेदन करेगा तो उसे रजिस्ट्रार से स्वीकृत कराना होगा। एकेडमिक लीव से लौटने के बाद इसकी संक्षिप्त रिपोर्ट सक्षम अधिकारी को प्रस्तुत करनी होगी। विश्वविद्यालय की ओर से हर विभाग को कार्यशालाएं, फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम या सेमिनार करने के लिए 50 हजार रुपए की मदद दी जाएगी। जिसके लिए हर साल दिसंबर माह में एक सूची बनाकर वेबसाइट पर लगा दी जाएगी। बैठक का संचालन कुल सचिव डॉ. वीसी गर्ग ने किया।
बैठक में कुलपति प्रो. मिश्रा ने नई पहल की है। इसके तहत अब प्रत्येक सप्ताह शुक्रवार को हर विभाग की कुलपति के साथ बैठक होगी। इसमें विभाग के अकादमिक कार्यों के अलावा समस्याओं पर विचार विमर्श कर निदान के प्रयास किए जाएंगे। पहले सप्ताह आगामी शुक्रवार को वाणिज्य एवं प्रबंधन अध्ययन महाविद्यालय के एबीएसटी विभाग की बैठक होगी। इसके अलावा बैठक में वीक्षकों का पारिश्रमिक बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्ति की गई।
विश्वविद्यालय प्रबंधन मंडल (बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट) की बैठक मंगलवार को होगी। बैठक में शिक्षकों की पदोन्नति एवं एसएफएबी समेत अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी। बॉम की यह बैठक लम्बे समय बाद होने जा रही है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के तहत शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और स्ववित्त पोषित योजना को लेकर है।