ग्रेटर नगर निगम का प्रयोग एक वर्ष में ही फेल हो गया। ई-हूपर संचालित कर निगम ने खुद की पीठ थपथपाई, लेकिन हूपर में कचरा एकत्र करने की पर्याप्त क्षमता न होने की वजह से नया प्रयोग धड़ाम हो गया। अब नए सिरे से सामान्य हूपर के जरिए कचरा उठाने की तैयारी की जा रही […]
ग्रेटर नगर निगम का प्रयोग एक वर्ष में ही फेल हो गया। ई-हूपर संचालित कर निगम ने खुद की पीठ थपथपाई, लेकिन हूपर में कचरा एकत्र करने की पर्याप्त क्षमता न होने की वजह से नया प्रयोग धड़ाम हो गया। अब नए सिरे से सामान्य हूपर के जरिए कचरा उठाने की तैयारी की जा रही है।
नए टेंडर पर गौर करें तो मानसरोवर जोन के 21 वार्डों में 89 हूपर संचालित होंगे। घर-घर कचरा संग्रहण करने के साथ अस्थायी कचरा डिपो को भी साफ रखना होगा। इसके साथ ही कम्पनी को काम शुरू करने के तीन माह के भीतर यूजर चार्ज लेना शुरू करना होगा। इससे पहले ग्रेटर नगर निगम मालवीय नगर और मुरलीपुरा जोन में भी यूजर चार्ज वसूल कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक निगम को दोनों जोन कार्यालयों से प्रति माह 50 लाख रुपए मिल रहे हैं।
इसलिए फेल हो गई व्यवस्था
-ई-हूपर के बॉक्स 400 किलो होने की बात कही गई, लेकिन कचरा 250 से 300 किलो ही आया। अतिरिक्त चक्कर लगाने के बाद भी ई-हूपर कचरा नहीं उठा पाए। अब 900 से 1100 किलो क्षमता के हूपर चलाए जाएंगे।
आंकड़ों में
- 3.5 लाख लोगों का प्रतिदिन कचरा उठाएंगे ये हूपर
-570 किमी प्रतिदिन हूपर चलेंगे जोन के 21 वार्ड में
जिम्मेदार बोले
900 से 1100 किलो के हूपर संचालित होंगे। प्रोजेक्ट शाखा ने कचरा उठाने का टेंडर किया है। यह तय फर्म ही करेगी कि हूपर सीएनजी से चलेंगे या फिर डीजल वाले होंगे।
-उमंग राजवंशी, एक्सईएन, प्रोजेक्ट शाखा