ओपिनियन

नवाचार से रोजगार तक की नई राह

नीता टहलयानी

2 min read
Mar 28, 2025

भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली रोजगारोन्मुख शिक्षापद्धत्ति में पिछड़ी हुई है जिसका परिणाम है लाखों स्नातक युवा, बाजार मांग के अनुरूप व्यवसायिक योग्यता के आभाव में बेरोजगार हैं। बदलते समय के साथ अब शैक्षणिक योग्यता के मायने भी बदल चुके हैं ऐसे में शिक्षण संस्थाओं में कौशल विकास को गंभीरता से न लेने के कारण वे उद्योग जगत के पाठ्यक्रम के अनुरूप पढ़ाने में विफल रहे हैं, फलस्वरूप रोजगार क्षमता कम हो रही है। उद्योग और शिक्षा जगत के आपसी सहयोग से की गयी अनूठी पहल जिसके अंतर्गत प्रोफेसर विभिन्न कंपनियों में कार्य सीखेंगे और उसी अनुसार पाठ्यक्रम निर्धारित करेंगे ताकि विद्यार्थियों को भविष्य के अनुरूप तैयार किया जा सके। शिक्षा क्षेत्र में यह नवाचार युवाओं को उद्यमिता, अनुसंधान, तकनीकी सभी पहलुओं को समझने में सहायक होगा।

     प्रौद्योगिकी की विशाल संभावनाऔर व्यापकता भविष्य में दक्षता और योग्यता के अवसर सुनिश्चित करती है। शिक्षा, उद्योग और सरकार को जोड़ने वाले अनुसन्धान और नवाचार क्लस्टरों की स्थापना से AI, सौर ऊर्जा, स्वास्थय सेवा ,कृषि  जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अपेक्षापूर्ण विकास सम्भव हो सकेगा। नवाचार से रोजगार की यह नई राह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को एक नई दिशा देगी जिससे शैक्षणिक संस्थानों की प्रासंगिकता भी बनी रहेगी और योग्यतानुसार रोजगार दिलवाने या स्टार्टअप प्रारम्भ करने में भी सहयता मिलेगी। भारत कौशल एवं दक्षता युक्त सर्वाधिक युवा आबादी वाला देश होने के बाद भी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 39 वें स्थान पर है जिसका अर्थ यह है कि व्यावसायिक ज्ञान, नवप्रवर्तन, तकनीकी योग्यता का सही उपयोग कर वैश्विक प्रौद्योगिकी संस्कृति का सामना करने में पूर्ण रूप से सक्षम नहीं है। शिक्षाविदों का उद्योग जगत में अध्ययन के बाद अध्यापन का प्रयोग और भविष्य की मांग के अनुसार पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने की योजना भारत में सम्पन्न उद्यम शीलता पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

        विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए संरचनात्मक बेरोजगारी एक अभिशाप की तरह है। उपलब्ध कुशल मानव संसाधनों के समुचित उपयोग नहीं हो पाने से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के रोजगार मानकों पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। योग्यतानुसार रोजगार न मिल पाने के कारण प्रतिभा पलायन में भी वृद्धि हुई है।   रोजगारोन्मुख शिक्षण व्यवस्था आज समय की दरकार है। विशिष्ट कौशल के लिए विशिष्ट कार्य योजना को प्रभावी बनाने के लिए नई शिक्षा नीति में भी विद्यालयी स्तर से ही दक्षता व रचनात्मक क्षमता को आधार मानकर व्यावहारिक के साथ व्यावसायिक ज्ञान को भी महत्व दिया गया है। विश्वस्तरीय शैक्षणिक प्रतियोगिता और प्रशिक्षण सुविधाओं को देखते हुए ,उच्च शिक्षण संस्थानों की रोबोटिक्स, A I, डेटा साइंस जैसे उभरते हुए अपार 

संभावनाओं वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उद्योगोन्मुख पाठ्यक्रम विकसित करने की यह योजना रोजगार विकसित करने के साथ नवप्रवर्तन के युग में शिक्षण व्यवस्था के नए आयाम निर्धारित करेगी। शिक्षाविदों की मौलिक अनुसन्धान प्राथमिकता और उद्योगों की व्यावहारिक अनुसन्धान की प्राथमिकता जैसे विचार भेद होने के बाद भी उद्योग जगत की आवश्यकताओं के साथ ताल मेल की यह नीति नवाचार, रोजगार सृजन और भविष्य में औद्योगिक चुनौतियों से निपटने के लिए पेशेवरों की नई पीढ़ी तैयार करेगी।

Published on:
28 Mar 2025 07:08 pm
Also Read
View All

अगली खबर