ओपिनियन

सम्पादकीय : नकली खाद-बीज की बिक्री से उठते सवाल

राजस्थान में तो प्रदेश के कृषि मंत्री तक ने नकली उर्वरक बनाने वाली एक दर्जन फैक्ट्रियों पर छापा मार लाखों टन कच्चा माल जब्त करने की कार्रवाई की है।

2 min read
May 30, 2025

नकली बीज और उर्वरक का काला कारोबार न केवल बेहतर उपज की उम्मीद लगाए किसानों की मेहनत पर पानी फेरने वाला है बल्कि खाद्य सुरक्षा को भी खतरे में डालने वाला है। देश भर में नकली बीज, उर्वरक और कीटनाशकों के मामले जिस तरह से सामने आ रहे हैं वह इस चिंता को और बढ़ाता है। राजस्थान में तो प्रदेश के कृषि मंत्री तक ने नकली उर्वरक बनाने वाली एक दर्जन फैक्ट्रियों पर छापा मार लाखों टन कच्चा माल जब्त करने की कार्रवाई की है। हैरत की बात यह है कि मार्बल की स्लरी और मिट्टी को मिलाकर इन फैक्ट्रियों में डीएपी,एसएप और पोटाश जैसे उर्वरक नकली बनाए जा रहे थे।
किसानों के साथ ठगी का यह कोई पहला मामला नहीं है। देशभर में नकली बीज, उर्वरक और कीटनाशकों का कारोबार किसानों की आजीविका को तहस-नहस कर रहा है। वर्ष 2023-24 में देश में 1,81,153 उर्वरक नमूनों की जांच में 8,988 (4.9 प्रतिशत) नमूने अमानक पाए गए। इसी तरह, 1,33,588 बीज नमूनों में 3,630 (2.7 प्रतिशत) और 80,789 कीटनाशक नमूनों में 2,222 (2.75 प्रतिशत) नकली या अमानक थे। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि किसानों से ठगी के मामलों की प्रभावी रोकथाम नहीं हो पा रही है। राजस्थान ही नहीं, मध्यप्रदेश में भी नकली बीज और उर्वरकों की बाजार में बढ़ती बिक्री को देखते हुए कृषि अधिकारी सिर्फ पंजीकृत दुकानों से ही खरीदारी का सुझाव दे रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सब कुछ जानते-बूझते भी जिम्मेदार, मिलावटी खाद-बीज को बाजार में क्यों आने देते हैं? जाहिर है मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं हो सकता। ऐसे में सिस्टम में घुसे भ्रष्टाचार पर प्रहार करना ही होगा। देश का किसान फसल बीमा से लेकर किसान कल्याण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं को लेकर ठगी का शिकार होता रहा है। फर्जी वेबसाइटों के जरिए किसानों से सरकारी ट्रेक्टर अनुदान योजना, फसल बीमा व अन्य कृषि उपकरण देने के नाम पर ठगी के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। खास बात यह है कि जालसाजी करने वाले फर्जी वेबसाइट को भी असली जैसी बनाते हैं, जिससे किसान आसानी से उनके जाल में फंस जाते हैं। रही बात उर्वरक और बीजों की गुणवत्ता की, किसानों के पास ऐसा कोई माध्यम भी नहीं होता, जिसमें वे असली-नकली की पहचान कर सकें। राजस्थान व मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि उत्तरप्रदेश और पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्यों में भी नकली उर्वरक व बीज की बिक्री होती है लेकिन सख्ती के बिना इसे रोकना आसान नहीं है।
सरकार को चाहिए कि बीज अधिनियम, 1966 और उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 जैसे कानूनों को और सख्ती से लागू करे। रजिस्टर्ड दुकानों की नियमित जांच, डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम और कठोर दंड व्यवस्था से इस काले कारोबार को जड़ से उखाड़ा जा सकता है। जब तक हर किसान को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक और बीज नहीं मिलेगा, तब तक खेती और किसानी का भविष्य अधर में रहेगा।

Updated on:
30 May 2025 08:58 pm
Published on:
30 May 2025 08:52 pm
Also Read
View All

अगली खबर