पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं
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लापरवाह रवैया
वर्तमान में सड़कों की बदहाल व्यवस्था का मुख्य कारण प्रशासन का लापरवाह रवैया है। ठेकेदार और अधिकारी अपने निजी स्वार्थ के लिए आम जनता की जान भी जोखिम में डाल रहे हैं। अगर निर्माण कार्य करते समय निर्धारित मानकों का पालन किया जाए तो सड़कों की गुणवत्ता और शहरों की स्थिति सुधर सकती है। -महेश आचार्य, नागौर
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सत्तारूढ़ पार्टी का रहता है दबाव
सड़कों के निर्माण से ज्यादातर सत्तारूढ़ पार्टी के दबंग कार्यकर्ता जुड़े होते हैं। उन्हें सरकर का पूरा सपोर्ट प्राप्त होता है। यही कारण है की गुणवत्ता विहीन सड़कों का निर्माण होने के बावजूद प्रशासन चुप रहता है एवं कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो पाती है। -ललित महालकरी, इंदौर
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नेताओं की शह
कानून में लचीलापन होने के कारण सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता के साथ समझौता कर कम्पनी या ठेकेदार घटिया सामग्री का उपयोग करते हैं। उन्हें नेताओं की शह भी होती है। -राधेश्याम मेहरा,भादरा, हनुमानगढ़
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राजनीतिक संरक्षण
सडकों के निर्माण का ठेका बड़े-बड़े उद्योगपतियों और राजनीतिक पहुंच वाले लोगों को मिलता है। इनको राजनीतिक आकाओं का संरक्षण होने से सड़कों की गुणवत्ता से खिलवाड़ करने वाले दंंडित नहीं होते।
-ओमप्रकाश श्रीवास्तव, उदयपुरा, मप्र
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निगरानी की जरूरत
सड़कों के निर्माण में बजट के आधे हिस्से से भी कम लगता है। ऐसी स्थिति में गुणवत्ता की बात करना बेमानी है। उचित निगरानी और निरीक्षण की कमी होती है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता को समय पर जांचा नहीं जाता है। कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं अक्सर जटिल होती हैं, जिससे दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना सम्भव नहीं हो पाता है। इन समस्याओं को ठीक करने के लिए सख्त निगरानी, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
-मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
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अधिकारियों की जिम्मेदारी
ठेकेदार सड़कों का निर्माण करते हैं, लेकिन सरकारी अधिकारी फील्ड में जाकर यह नहीं देखते कि किस प्रकार की सामग्री से सड़क बनाई जा रही है। ठेकेदार घटिया सामग्री से निर्माण करते हैं। इससे कुछ ही दिनों में ये सड़कें टूट जाती हैं। ऐसे मामलों में कार्रवाई भी नहीं होती।