ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से किसी होटल में कोई कमरा बुक करने के बाद परिस्थितिवश अगर यात्रा रद्द हो जाती है तो ग्राहक चाहकर भी होटल के कमरे की बुकिंग को कैंसिल नहीं करवा पाता।
-डॉ. पी.एस. वोहरा, आर्थिक मामलों के जानकार
देश में पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन खरीदारी व सर्विसेज का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसी के चलते ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए ग्राहकों को कुछ ऐसी प्रथाओं के माध्यम से आकर्षित करना शुरू किया गया, जिन्हें बाद में मार्केटिंग हथकंडों के रूप में समझा गया। क्योंकि इससे ग्राहकों को आर्थिक नुकसान हुआ और उनमें ग्राहकों की किसी भी तरह की सहमति नहीं थी। यही कारण है कि सरकार विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियों और स्टार्टअप्स के साथ पैटर्न के संबंध में सख्ती को लगातार बढ़ाती जा रही है। इसलिए अब यह आसानी से संभव नहीं है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर खरीदारी करते समय ग्राहकों के साथ किसी तरह का धोखा हो, उन्हें अधिक मूल्य का भुगतान करना पड़े, नापसंद चीज भी उनकी खरीदारी की सूची में जुड़ जाए या कुछ छिपे हुए मूल्य जिनकी जानकारी उपभोक्ता को नहीं है, उसका भी उसे आखिर में भुगतान करना पड़े।
बीते दिनों ही देश की 26 ई-कॉमर्स कंपनियों ने सरकार को एक लिखित आश्वासन दिया है कि वे अपने किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर चाहे वो वेबसाइट हो या मोबाइल एप्लीकेशन, उस पर ग्राहकों को किसी भी प्रकार की अनुचित व्यापार प्रथाओं में संलग्न करने का प्रयास नहीं कर रही हैं। हालांकि अब भी कई क्षेत्रों से संबंधित कंपनियों की लिखित घोषणा आना बाकी है जिसमें बड़ी कैब कंपनियां भी शामिल हैं। इस संबंध में यह स्पष्ट करना भी आवश्यक है कि सरकार ने वर्ष 2023 में 13 तरह के डार्क पैटर्न चिह्नित कर उन्हें अनुचित व्यापार प्रथाओं में सम्मिलित किया था। सरकार ने गत जून माह में ई-कॉमर्स से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों, स्टार्टअप्स, विभिन्न खुदरा व्यापारिक एसोसिएशंस आदि को अनुचित व्यापार प्रथा में सम्मिलित किए गए डार्क पैटर्न पर गहन बातचीत के लिए बुलाया था। इसमें सरकार ने सभी कंपनियों और स्टार्टअप्स को खुद की ऑडिट करने को भी कहा था।
केंद्र सरकार ने इस संबंध में वर्ष 2023 में सख्ती दिखाई क्योंकि वैश्विक स्तर पर तब ऐसे कुछ उदाहरण बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे थे। ये मामले भारत में भी तेजी से आगे बढ़े और अधिकतर उपभोक्ता कहीं न कहीं इनसे पिछले कुछ वर्षों में प्रभावित हुए हैं। मसलन, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से रेल, बस या हवाई जहाज की यात्रा की टिकट के साथ बीमा सुविधा भी जबरदस्ती लागत में जोड़ दी जाती है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से किसी होटल में कोई कमरा बुक करने के बाद परिस्थितिवश अगर यात्रा रद्द हो जाती है तो ग्राहक चाहकर भी होटल के कमरे की बुकिंग को कैंसिल नहीं करवा पाता। क्योंकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कैंसिलेशन की बजाय यात्रा के लिए भविष्य में कुछ तिथियों के चयन करने का दबाव बनाया जाता है। इस संबंध में सरकार का स्पष्ट रूप से कहना है कि अब इस तरह की योजनाओं को किसी भी तरह से बिजनेस प्लान के अंतर्गत सम्मिलित नहीं किया जा सकता। यह भी बहुतायत में देखने को मिलता है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किसी वस्तु या सर्विसेज का प्राथमिक स्तर पर मूल्य कुछ और होता है और उसके चुनाव के बाद उसके कुल भुगतान के मूल्य में विभिन्न तरह के कुछ अन्य खर्च मसलन, डिलीवरी चार्जेज आदि को जोड़ दिया जाता है। सरकार का कहना यह है कि इन सब अतिरिक्त मूल्य को शुरू में ही जोड़कर उपभोक्ता के सामने स्पष्ट किया जाए। इसी पक्ष पर एक अन्य मामले में सरकार ने सख्ती दिखाते हुए विभिन्न कैब कंपनियों को चेतावनी भी दी थी जब उनके द्वारा ग्राहकों से अग्रिम टिप की राशि वसूली जाने लगी थी।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) इस संबंध में जागरूक होकर कार्य कर रहा है। इस संबंध में एक मोबाइल एप्लीकेशन 'जागृति' भी सरकार ने बनाया है, जिसके माध्यम से उपभोक्ता को सभी प्रकार की वेबसाइट के यूआरएल की जानकारी उपलब्ध होगी जो उसने उत्पाद की खरीदारी करते समय उपयोग किए थे। सरकार ने एक प्लेटफॉर्म भी उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाया है, जिस पर उपभोक्ता द्वारा किसी भी तरह की अनुचित व्यापार प्रथाओं या डार्क पैटर्न से संबंधित अभ्यास के स्क्रीनशॉट, शिकायत के साथ संलग्न करके केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण को भेजा जा सकता है। यह भी संभव है कि अगर ई-कॉमर्स कंपनियां ने अपनी व्यापारिक प्रथाओं को नहीं बदला तो उनके लाइसेंस भी रद्द हो सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि सरकार के सख्त कदमों से ई-कॉमर्स के उपभोक्ता धोखे का शिकार होने से बचेंगे।