मॉक ड्रिल का उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों में हालात को संभालना होता है। इस दौरान धैर्य रखना और शांत रहना तो जरूरी है ही, सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी किसी भी तरह की अफवाहों से बचना भी आवश्यक है।
पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की नृशंस हत्या के बाद भारत- पाकिस्तान के बीच तनाव और युद्ध की आशंका के बीच सूचीबद्ध सिविल डिफेंस जिलों में 7 मई को सिविल डिफेंस का अभ्यास और रिहर्सल किया जाएगा। सुरक्षा बंदोबस्त पुख्ता करने के लिहाज से यह जरूरी भी है। लेकिन चिंता इस बात की है कि मॉक ड्रिल के निर्देशों को लेकर सोशल मीडिया अफवाहें फैलाने वाले भी कम नहीं जिनसे निपटना भी जरूरी है।
मॉक ड्रिल एक ऐसा अभ्यास होता है जो देश के विभिन्न विभागों ही नहीं जनता को भी आपातकालीन स्थितियों, जैसे कि आग, भूकंप, आतंकी हमले या चिकित्सा आपात स्थिति के लिए तैयार करता है। यह अभ्यास अक्सर होता रहता है, लेकिन इस बार यह पूरे देश के चुनिंदा इलाकों में एक साथ हो रहा है। इसलिए इसकी गंभीरता बढ़ जाती है, लेकिन इससे भयभीत होने की जरूरत नहीं है। देखा जाए तो ऐसे मौके पर भ्रामक खबरों से बचने की भी आवश्यकता है। शरारती तत्वों से सावधान रहना होगा। सोशल मीडिया के दौर में अफवाह की गति बहुत तेज हो गई है। इसलिए कोई भी पोस्ट या वीडियो आगे बढ़ाने से पहले उसकी सच्चाई जरूर पता करनी चाहिए। हालांकि संसद की स्थायी समिति ने सूचनाओं की निगरानी करने वाले दो प्रमुख मंत्रालयों से पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश के खिलाफ काम करने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति का मानना है कि भारत में कुछ सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म देश के हित के खिलाफ काम कर रहे हैं, जिससे हिंसा भड़कने की आशंका है। आम जनता हो चाहे इंफ्लुएंसर, सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में ऐसा कोई पोस्ट या वीडियो जारी करने से बचना चाहिए जो भ्रामक हो या जिससे दुश्मन को किसी भी तरह से मदद मिल सके। यह भी जरूरी है कि सच पर पर्दा डालने की कोशिश नहीं की जाए। सच नहीं बताए जाने पर अफवाहों को बल मिलता है। तनाव के इस दौर में देश के हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। ऐसे में उम्मीद यही की जाती है कि मॉक ड्रिल के दौरान अधिकारियों के निर्देशों का पालन करके और उनकी गतिविधियों में बाधा न डालकर सभी उनका सहयोग करें। पुलिस, अग्निशमन विभाग, चिकित्सा और अन्य आपातकालीन कर्मियों-अधिकारियों के निर्देशों को ध्यान से सुनें और उनका पालन करें।
जरूरी यह भी है कि यदि इस कार्रवाई में भाग नहीं ले रहे हैं, तो ड्रिल क्षेत्र में प्रवेश करने से बचें। आपातकालीन वाहनों और कर्मियों के लिए रास्ता साफ रखें। उनकी गतिविधियों में बाधा न डालें। मॉक ड्रिल का उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों में हालात को संभालना होता है। इस दौरान धैर्य रखना और शांत रहना तो जरूरी है ही, सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी किसी भी तरह की अफवाहों से बचना भी आवश्यक है।