'ट्रंप का टैरिफ वॉर' सीरीज में पाठकों की विभिन्न प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। प्रस्तुत है उनमें से कुछ विचार...
भारतीय स्टार्टअप्स और टेक इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ेेगा
डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियां हमेशा से पूरी दुनिया के लिए किसी चौंकाने वाली खबर से कम नहीं रही हैं। उनकी सोच सीधी है — 'अमेरिका फर्स्ट' — लेकिन इसका असर सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहता, बल्कि हजारों किलोमीटर दूर भारत की गलियों, बाजारों, कारखानों और खेतों तक पहुंच जाता है। ट्रम्प भारत के उत्पादों पर भारी टैरिफ यानी आयात शुल्क बढ़ा देते हैं, तो इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों पर गहराई से पड़ सकता है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि भारत के स्टार्टअप्स और टेक इंडस्ट्री, जिनका बड़ा बाजार अमेरिका है, वे भी मुश्किल में आ सकते हैं। वहीं दवा कंपनियां, जिनकी सस्ती दवाइयां अमेरिकी जनता तक पहुंचती हैं, उन पर भी असर पड़ेगा। भारतीय बाजारों में मंदी की आहट, बेरोजगारी का खतरा और किसान व छोटे व्यापारियों की परेशानी बढ़ सकती है।
— डॉ. सुरेश पाण्डेय, कोटा
टेक्सटाइल, फार्मा, ऑर्गेनिक केमिकल्स में अवसर
ट्रंप भारत के प्रति हमेशा उदारवादी रहे हैं लेकिन टैरिफ लगने से भारत में कुछ क्षेत्रों जैसे डेयरी, जवाहरात, ऑटोमोबाइल, मेटल्स इत्यादि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा इनके निर्यात कम होने की संभावना है लेकिन वही दूसरे क्षेत्र टेक्सटाइल, फार्मास्युटिकल, सोलर पैनल, ऑर्गेनिक केमिकल्स इत्यादि में भारत के लिए अवसर की संभावना है क्योंकि भारत के प्रतिद्वंदी देशों पर टैरिफ भारत से ज्यादा है और ऐसे में भारत के उत्पाद कम मूल्य पर उपलब्ध हो जाएंगे। अतः भारत को इसे आपदा में अवसर के रूप में लेना चाहिए और अपने सूक्ष्म, लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहिए तथा उत्पाद की क्वालिटी को विश्व स्तरीय बनना चाहिए जिससे भारत के उत्पादों की मांग बढ़े और भारत पर इस टैरिफ वार का प्रभाव नगण्यता जाए।
— गजेंद्र चौहान कसौदा, जिला डीग