भारी पड़ रही पेड़ों की कटाई जिस तरह से मानव प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है, उसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। केरल राज्य के वायनाड जिले में भूस्खलन से बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी इसका उदाहरण है। इस भूस्खलन का कारण बारिश के साथ–साथ खेती के लिए वनों की कटाई को […]
भारी पड़ रही पेड़ों की कटाई
जिस तरह से मानव प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है, उसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। केरल राज्य के वायनाड जिले में भूस्खलन से बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी इसका उदाहरण है। इस भूस्खलन का कारण बारिश के साथ–साथ खेती के लिए वनों की कटाई को भी माना गया है, जिससे वहां की जमीन ढीली हो गई। हम वृक्षों की अंधाधुंध कटाई को लेकर सचेत हो जाएं। यदि पेड़ काटने की आवश्यकता हो, तो एक पेड़ के बदले कम–से–कम दस पेड़ लगाएंं। — देवेन्द्र कुमार, बीकानेर
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प्रकृति के साथ छेड़छाड़
प्रकृति के साथ लगातार हो रही छेड़छाड़ के कारण भूस्खलन के मामले सामने आते हैं। पेड़ जमीन की मिट्टी को बांधकर रखने का काम करते हैं, ऐसे में लगातार पेड़ों की कटाई के कारण मिट्टी को सहारा नहीं मिल पाता। इसके कारण भूस्खलन जैसे मामले सामने आ रहे हैं। यदि प्रकृति के साथ ऐसे ही छेड़छाड़ होती रहेगी तो आने वाले समय में स्थिति ज्यादा भयावह हो सकती है।
—तरुणा साहू, राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
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पर्यावरण संरक्षण जरूरी
अंधाधुंध वनों की कटाई और अतिक्रमण के कारण भूस्खलन के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। समय आ गया है कि हम सब पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दें।
-सुगम गुप्ता, लालसोट
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अंधाधुंध औद्योगिकीकरण
वनों की अत्यधिक कटाई, पहाड़ों में हस्तक्षेप, अंधाधुंध औद्योगिकीकरण के कारण भूस्खलन के मामले बढ़ रहे हैं। इसलिए पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।
—गोपाल अरोड़ा,जोधपुर
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शहरीकरण भी है कारण
अत्यधिक वर्षा, पेड़ पौधों की अत्यधिक कटाई, ठोस सरकारी नीति का अभाव और खनन माफिया के द्वारा लगातार अंधाधुंध दोहन भूस्खलन के मुख्य कारण हैं। शहरीकरण का बढ़ना भी भूस्खलन का मुख्य कारण है
—लोकेश देपाल, ब्यावर
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वृक्षों की अंधाधुंध कटाई
भारत में भूस्खलन ज्यादातर मानसून के दौरान होता है। वनों की कटाई ने ऐसी त्रासदियों की संख्या बढ़ा दी है। वनों की अंधाधुंध कटाई होने की वजह से मिट्टी की पकड़ कमजोर हो रही है। पहाड़ी इलाकों में निर्माण कार्य के लिए जो ब्लास्ट किए जाते हैं, उससे भी भूस्खलन को बढ़ावा मिलता है। समय रहते अगर नहीं चेते तो वायनाड जैसा क़हर अन्यत्र भी हो सकता है।
डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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प्रकृति से छेड़छाड़ के नतीजे
पहाड़ी क्षेत्रों मे नव-निर्माण के लिए हो रहे खनन के काम और हरियाली की कटाई से पहाड़ के दरकते हैं। पर्यटन और मौज मस्ती के नाम पर पहाड़ों पर बढ़ती भीड़ भी भूस्खलन का एक बड़ा कारण बनती जा रही है। पारिस्थितिक स्थितियों के बदलने से भूस्खलन के मामले बढ़े हैं। इनसे सीख लेते हुए इंसानों को प्रकृति से छेड़छाड़ बंद करनी होंगी।
-नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.
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वनों की अंधाधुंध कटाई
वनों की अंधाधुंध कटाई भूस्खलन के प्रमुख कारणों में से एक है। वनों की कटाई से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है, पहाड़ों पर चट्टानों की पकड़ ढीली हो जाती है। पेड़ों की जड़ें मिट्टी और चट्टानों को बांधने में मदद करती हैं।
—रघुवीर सुथार, जयपुर
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बढ़ती जनसंख्या, घटता वन क्षेत्र
भारत में तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या को बसाने के लिए आवासीय भूमि की कमी बढ़ती जा रही है। इसके लिए वनों को काट कर वहां पर आवासीय बस्तियां बसाई जा रही हैं। पेड़—पौधों की कमी भूस्खलन को बढ़ावा दे रही हैं। इसके बचाव के लिए खाली पड़ी जमीनों पर अधिक से अधिक पेड़ पौधों को लगाने पर जोर देना चाहिए
—अजीतसिंह सिसोदिया,खारा, बीकानेर
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सड़क निर्माण भी है कारण
भारत मे शहरीं नगर परियोजनाओं के तहत सड़क का निर्माण करने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जाती है। इससे भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं।
—मोहम्मद कैफ़, राजस्थान