पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं, प्रस्तुत है पाठकों की चुनिंदा प्रतिक्रियाएं
सामान्य नौकरीपेशा को नुकसान
भारतीयों के ब्रिटेन वर्क वीजा में कटौती से भारतीय पेशेवरों, विशेषकर स्वास्थ्य सेवा, नर्सिंग और आईटी क्षेत्रों में काम करने वालों के अवसरों में कमी आई है। हेल्थ एंड केयर वर्कर वीजा 67 प्रतिशत तक और नर्सिंग वीजा 79 प्रतिशत तक गिर गए हैं। नए नियमों के तहत उच्च कुशल और उच्च वेतन वाली नौकरियों के लिए ही वीजा मिल सकेंगे। इसका उद्देश्य आप्रवासन नियंत्रण है, वहीं आंतरिक श्रम बाजार को बढ़ावा देना है। - शिवजी लाल मीना, जयपुर
अवसर सीमित होंगे
ब्रिटेन में भारतीय उद्योगपतियों और पेशेवरों की बढ़ती व्यावसायिक सफलता के बीच वर्क और बिजनेस वीजा नियमों को सख्त किया जा रहा है। हाल के वर्षों में भारतीय उद्यमियों ने अपने कौशल और निवेश से ब्रिटेन में सफल व्यवसाय स्थापित किए हैं, जिससे रोजगार भी सृजित हुआ है। हालांकि, स्थानीय आर्थिक हितों और आप्रवासन नियंत्रण के नाम पर ब्रिटिश सरकार वीजा प्रक्रियाओं को कठिन बना रही है। इससे भारतीय व्यवसायियों और पेशेवरों के लिए अवसर सीमित होते नजर आ रहे हैं। - मुकेश सोनी, जयपुर
परिस्थितियों के प्रभाव में लिया फैसला
ब्रिटेन की वीजा नियमों में की गई कटौती को न पूरी तरह उचित कहा जा सकता है और न ही पूरी तरह अनुचित। यह फैसला स्थायी न होकर परिस्थितियों के प्रभाव में लिया गया फैसला लगता है। यह फैसला ब्रिटेन की घरेलू मजबूरियों और भारतीय युवाओं की आकांक्षाओं के टकराव को दर्शाता है। यूके अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने और ब्रिटिश नागरिकों के लिए नौकरी के अवसर बढ़ाने के लिए कुशल प्रवासियों पर निर्भरता कम करना चाहता है। सख्त नियमों से लोगों के बीच संपर्क कमजोर हो सकता है और कई भारतीय पेशेवर व छात्र कनाडा, जर्मनी या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की ओर रुख कर सकते हैं। खासकर आईटी और नर्सिंग क्षेत्र के लिए यह एक बड़ा झटका है। - मीना सनाढ्य, उदयपुर
द्विपक्षीय संबंध प्रभावित होंगे
भारतीयों के ब्रिटेन वर्क वीजा में कटौती को राजनीतिक दबाव और घरेलू रोजगार संरक्षण की नीति के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि इससे भारत-ब्रिटेन कौशल साझेदारी प्रभावित होगी। दीर्घकाल में यह कदम प्रतिभा प्रवाह और द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के लिए नुकसानदेह सिद्ध हो सकता है। - अमृतलाल मारू, इंदौर
जल्द सकारात्मक रास्ते खुलेंगे
ब्रिटेन की नई सरकार ने देश में बढ़ती हुई आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए देश हित में अवैध प्रवासियों पर अंकुश लगाने के लिए इमीग्रेशन नीतियों को लागू करने में सख्त फैसले लिए हैं। इसी कारण अन्य देशों के साथ भारतीय छात्रों और पेशेवरों पर भी बहुत बड़ा असर पड़ा है। ब्रिटेन हमेशा भारत का सहयोगी देश रहा है, आतंकवाद, आपराधिक गतिविधियों के विरोध में भी हमेशा भारत के साथ देता रहा है। आगे भी उम्मीद रखी जा सकती है इस चुनौतीपूर्ण विषय पर दोनों देश आपस में बातचीत कर समझौता करते हुए सकारात्मक रास्ते जल्द खोल सकते हैं। - मनवीर चन्द कटोच, जयपुर
भारतीय पेशेवरों की मुश्किलें बढ़ी
स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भारतीय पेशेवरों को झटका लगा है। साथ ही यह भारतीय श्रमिकों के लिए ब्रिटेन के आकर्षण को कम कर सकता है, जबकि यूके और भारत के बीच संवाद और नए समझौते भविष्य के अवसरों के लिए उम्मीद जगाते हैं। लेकिन मौजूदा नियम भारतीयों के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। यह कटौती ब्रिटेन की नीतिगत प्राथमिकताएं बदलने का संकेत देती है, जिसका भारतीय पेशेवरों और छात्रों पर सीधा और नकारात्मक असर पड़ रहा है, हालांकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत भविष्य के लिए कुछ उम्मीदें बनाए रख सकती है। - सुरेश मांजू, खारा फलोदी
भारत-ब्रिटेन संबंध प्रभावित होंगे
ब्रिटेन में वर्क वीजा पर की गई कटौती से भारतीय कामगारों की चिंता बढ़ गई है। सरकार का उद्देश्य घरेलू रोजगार को बढ़ावा देना है, लेकिन इससे कुशल भारतीय पेशेवरों के अवसर प्रभावित हो रहे हैं। विशेष रूप से आईटी और हेल्थ सेक्टर में भारतीयों की भागीदारी कम हो सकती है। इस फैसले का असर भारत-ब्रिटेन के आर्थिक और शैक्षिक संबंधों पर भी पड़ने की संभावना है। - कृष्णकुमार खीचड़, राजालानाडा
योग्यता स्तर में बदलाव हुआ है
ब्रिटेन सरकार ने स्किल्ड वर्कर और हेल्थ एंड केयर वर्कर वीजा के अंतर्गत आने वाले योग्य पेशों की सूची को सीमित कर दिया है। इसके तहत कई ऐसे पदों को सूची से बाहर कर दिया गया है, जो पहले स्वास्थ्य सेवाओं और सहायक क्षेत्रों में कर्मचारियों की कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। इससे खासतौर पर नर्सिंग, केयर सपोर्ट और संबंधित सेवाओं में काम करने के इच्छुक लोगों के अवसर घट गए हैं। साथ ही, डिपेंडेंट्स यानी परिवार के सदस्यों को साथ ले जाने से जुड़े नियम भी सख्त कर दिए गए हैं, जिससे परिवार सहित माइग्रेशन करना अब पहले की तुलना में कठिन हो गया है। इन बदलावों का सीधा असर भारतीय पेशेवरों और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कामगारों पर पड़ सकता है। - मनीषा जानी, पोकरण
आईटी और नर्सिंग जैसे क्षेत्र प्रभावित
भारतीयों के ब्रिटेन वर्क वीजा में कटौती से आईटी और नर्सिंग जैसे क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। यह ब्रिटेन में कम कुशल नौकरियों के लिए भारतीय निर्भरता कम करने और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने का प्रयास है। साथ ही ब्रिटेन ने कौशल आवश्यकताओं को बढ़ा दिया है, जिसकी वजह से मध्य स्तर के पेशेवरों के लिए वीजा मिलना मुश्किल हो गया है। - प्रकाश भगत, कुचामन सिटी
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी
ब्रिटेन में वर्क वीजा को लेकर की गई सख्ती से भारतीयों के लिए नौकरी के रास्ते चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। ब्रिटिश सरकार ने इमिग्रेशन कम करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया है। इससे कुशल भारतीय प्रोफेशनल्स के अवसर सीमित हो सकते हैं। इसका असर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। फिर भी भारतीय प्रतिभा की मांग को देखते हुए भविष्य में नीतियों में बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। - प्रियंका भादू, जोधपुर
भारतीय प्रतिभा ब्रिटेन के लिए जरूरी
ब्रिटेन आर्थिक विकास के साथ रोजगार सृजन की चुनौती का समाधान भारतीयों के वर्क वीजा में कटौती के माध्यम से तलाश रहा है। संरक्षणवादी कदमों के बजाय यदि ब्रिटेन वैश्विक व्यापार के सिद्धांतों में आस्था दिखाते हुए भारतीय युवाओं की प्रतिभा और कौशल का उपयोग करे, तो उसकी आर्थिक विकास की गति को नई ऊर्जा मिल सकती है। अनुभव और भारतीय युवा पीढ़ी का संयोजन ब्रिटेन को उसकी पूर्व आर्थिक शक्ति से दोबारा जोड़ने में सहायक सिद्ध हो सकता है। - विशनाराम माली, मोकलपुर
दूसरे देशों का रुख करना होगा
भारतीयों के ब्रिटेन वर्क वीजा में कटौती के प्रभाव से भारतीय प्रतिभाशाली युवाओं को विदेश में जाकर अधिक धन कमाने की इच्छा पर ब्रेक लगने जैसा है। अवसर की कमी के कारण अन्य देशों की तरफ इन्हें अवसर तलाशने को मजबूर होना पड़ेगा। - हरिप्रसाद चौरसिया, देवास