पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं, प्रस्तुत हैं पाठकों की चुनिंदा प्रतिक्रियाएं
सहानुभूति की दरकार
श्वानों को आबादी वाले क्षेत्र से हटाने के निर्णय से सहमत हुआ जा सकता है किंतु इन्हें भी संरक्षण और सहानुभूति की दरकार है। ये भी प्रकृति एवं हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं। इनके लिए शेल्टर होम बनाए जाएं। इन्हें रेबीज के टीके लगाएं जिससे कि ये मानव जीवन के लिए खतरा न बन सकें। इनकी आबादी को रोकने के लिए नसबंदी एक कारगर उपाय है। किसी भी सूरत इन्हें प्रताड़ित करना या इन्हें मारना न्यायसंगत नहीं होगा। - नलिन खोईवाल, इंदौर
अमानवीय व्यवहार न हो
शहरों एवं गांवों में आवारा श्वानों की समस्या आम होती जा रही है। उनका मुद्दा मानवीय संवेदनाओं के साथ-साथ जनसुरक्षा से भी जुड़ा है। आवारा श्वान कई बार लोगों पर, विशेषकर बच्चों और बुज़ुर्गों पर हमला कर देते हैं एवं कई बार हमले में लोगों की मौत भी हो जाती है। इसलिए आवारा श्वानों का समाज हित में यथोचित समाधान होना आवश्यक है। साथ ही ये भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि ये श्वान प्रकृति का हिस्सा हैं इसलिए इन पर अमानवीय अत्याचार न हो। - कैलाश डिडवानिया, आमेट
शेल्टर होम भेजे जाएं
आवारा श्वानों को किसी उचित संरक्षित जगह भेज देना चाहिए। क्योंकि शहर में अनेकों बार छोटे बच्चों बुजुर्गों पर श्वान द्वारा हमला हुआ है जिसमें कई गंभीर घायल हुए हैं। डॉग लवर्स को यह समझना होगा बेशक ये हमारे इकोसिस्टम का हिस्सा हैं लेकिन मानव की जान भी बेहद कीमती है। सरकार तत्काल इन्हें पकड़वाए व शेल्टर होम भेजे। - अभय आचार्य, विदिशा
कारणों को जानने का प्रयास करें
आवारा श्वानों पर जब से सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया है। लोगों में दो प्रकार की धारणाएं बनी हैं। एक फैसले के पक्ष में ओर दूसरी विपक्ष में हैं। हालांकि नियमों के तहत आवारा श्वान ही नहीं अन्य आवारा घूम रहे पशुओं के लिए भी व्यवस्था होनी चाहिए। दिनोंदिन श्वानों के काटने की बढ़ती घटना के भी कारणों को जानने के प्रयास किए जाने चाहिए। जीने की आजादी सबको हैं तो सरकार भामाशाहों के सहयोग से शेल्टर होम की व्यवस्था करें। - राकेश विश्नोई चौहटन बाड़मेर