पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं, प्रस्तुत है पाठकों की चुनिंदा प्रतिक्रियाएं
जागरूकता लाई जाए
स्थानीय उत्पादों के प्रति जागरूक करने के लिए समय-समय पर हाट मेलों का आयोजन किया जाना चाहिए। इनकी प्रदर्शनी लगाई जाए, जिससे ये उत्पाद लोगो तक पहुंचें। इसके अतिरिक्त लोकल दुकानदारों को ऐसे उत्पादों का समर्थन करना चाहिए। सरकार की ओर से वर्तमान समय में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं जिनका प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है। -गरिमा शर्मा, कोटपूतली
स्थानीय उद्योगों को मिले प्रोत्साहन
स्थानीय उद्योग ग्रामीण भारत के विकास की रीढ़ हैं। यह उद्योग पारिवारिक आय में वृद्धि के साथ लोगों को पूर्ण रोजगार उपलब्ध करवाते हैं। सरकार एमएसएमई उद्योगों की तर्ज पर स्थानीय स्तर पर उत्पादकों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाकर उत्पादों को प्रोत्साहन प्रदान करें। वोकल फोर लोकल के माध्यम से स्थानीय स्तर पर बेरोजगारी पर नियंत्रण लगेगा वहीं दूसरी ओर देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। - पी.सी. खंडेलवाल सांभर लेक
बड़े स्तर पर प्रचार जरूरी
आज के उदारवादी पूंजीवादी दौर में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पाद बाजारों में उपलब्ध हैं और उपभोक्ता भी उन्हें बड़े उत्साह से खरीद रहे हैं। इसका मुख्य कारण कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों की जोर शोर से विज्ञापन बाजी जिससे उपभोक्ता उसकी तरफ आकर्षित होते हैं। स्थानीय उत्पाद बाजार में प्रतिस्पर्धा करे इसके लिए जरूरी हैं। इनका बड़े स्तर पर प्रचार जिससे उपभोक्ता लोकल वस्तुओं की गुणवत्ता के बारे में जान कर उसको क्रय करे तो स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। - भंवरलाल सारण बालोतरा
गुणवत्ता में सुधार लाना होगा
स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ओर समुदायों को स्थानीय श्रम उत्पादकता में सुधार के लिय प्रशिक्षण और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए़। वित्तीय तकनीकी प्रोत्साहन कर छूट ओर बुनियादी ढांचे का विकास जैसी नीतियों को बढ़ावा देना चाहिए़। स्थानीय उत्पादकों की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए़ जिससे वे विदेशी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा कर सके। सरकार व्यवसायों और सामुदायिक संगठनों के बीच एकता और सहयोग की भावना का होना आवश्यक है। - शालिनी ओझा, बीकानेर