Sardar Samand Dam: इससे पहले वर्ष 1994 में जब सरदारसमंद बांध छलका था तो माह सितंबर था। बांध में अधिकतम 0.30 फीट की चादर चली थी। यह चादर करीब 20 दिन तक चलती रही थी।
Sardar Samand Dam: पाली जिले का दूसरा सबसे बड़ा बांध सरदारसमंद। जो अंग्रेजी शासन काल में वर्ष 1905 में बनकर तैयार हुआ था। इसके बाद से लेकर आज तक यह बांध बहुत कम छलका। इस बार सोजत क्षेत्र में झमाझम बरसात से सुकड़ी नदी में तेज बहा पानी एनिकटों व अवैध खनन के गड्ढों को पार कर बांध तक पहुंचा। बांध वर्ष 1994 के बाद 30 साल बाद छलका। बांध से ओवरफ्लो होकर दो तरफ से निकल रहा पानी गुहिया वाळा व रेडिया नदी में इठलाता हुआ चला और झीतड़ा के आगे तक पहुंच गया।
किसानों के अनुसार इस पानी में खेतों का पानी मिलने से पानी का बहाव ओम बन्ना थान के पास तक भी रहा। बांध में सुबह से शाम पांच बजे तक करीब दस सेंट पानी की बढ़ोतरी हुई। इन गांवों में सिंचाई सरदारसमंद गांव के सिंचाई क्षेत्र में 20 गांव हैं। बांध से सरदारसमंद, नई ढाणी, इन्द्रों की ढाणी, काला पीपल की ढाणी, न्बिली उड़ा, बागड़िया, दुदिया, ढाबर कलां, ढाबर खुर्द, बांड़ाई, मंडली दर्जीयान, अरटिया, भाकरीवाला, पीपलिया की ढाणी, झीतड़ा, मांडपुरिया, चंदलाई व एसएस फार्म में सिंचाई होती है।
इससे पहले वर्ष 1994 में जब बांध छलका था तो माह सितंबर था। बांध में अधिकतम 0.30 फीट की चादर चली थी। यह चादर करीब 20 दिन तक चलती रही थी। अब बांध के छलकने पर किसानों को आस है कि बांध पर चादर एक माह या उससे अधिक चल सकती है। ऐसा होने पर जो कुएं खारे पानी है, उनका पानी भी मीठा हो जाएगा। बांध के पानी से सिंचाई भी बेहतर होगी।
किसान संघर्ष समिति सरदारमंद बांध अध्यक्ष बाबूसिंह राजपुरोहित व सचिव नरपतसिंह ने बताया कि बांध के ओवरफ्लो होने के कारण कई गांवों के कुएं रिचार्ज होंगे। पानी की आवक से लगता है अगले करीब एक माह तक पानी ओवरफ्लो रह सकता है। ऐसा होने पर इस क्षेत्र में इतना धान होगा कि किसानों के घरों में खुशी छा जाएगी।
सरदारसमंद बांध पानी की आवक कई सालों से बहुत कम हो रही है। पिछले 14 साल में एनिकट व अवैध खनन के कारण बांध एक बार भी नहीं भरा है। इतने सालों में बांध में तीन बार ही 15 फीट से अधिक पानी की आवक हुई। पांच साल ऐसे भी रहे, जब बांध में 10 फीट से भी कम पानी आया। इस बार बांध पूरा भरने से कमाण्ड क्षेत्र में हर्ष छाया है।