Parenting Tips: बच्चों को सिर्फ पढ़ाई में अच्छा बनाना ही नहीं होता, बल्कि उन्हें मानसिक और इमोशनल रूप से भी स्ट्रॉन्ग बनाना बेहद जरूरी हो जाता है। इसके लिए जरूरी है कि आपने पेरेंटिंग की कुछ आदतों में बदलाव करें ताकि उन्हें अपने तरीके से चीजों को हैंडल करना सीख सके। आइए जानते हैं, कौन सी आदतों में बदलाव करने चाहिए।
Beat Parenting Tips: हर मां-बाप की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा स्मार्ट और कॉन्फिडेंट बने। इसके लिए वे बच्चों को बेहतरीन स्कूल, अच्छे ट्यूशन और तमाम संसाधनों का इंतजाम करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों की असली परवरिश घर की चारदीवारी में होती है?
कई बार जाने-अनजाने में पैरेंट्स कुछ ऐसी चीजें कर बैठते हैं, जो बच्चे के सोचने, समझने और खुद फैसले लेने की क्षमता को धीरे-धीरे कम कर देती हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा बुद्धिमान और कॉन्फिडेंट बने, तो कुछ आदतों को छोड़ना बेहद जरूरी है।
बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखना उसे सुरक्षा का एहसास तो देता है, लेकिन आत्मनिर्भर नहीं बनाता। हर समय 'क्या कर रहे हो?', 'कहां जा रहे हो?' जैसे सवाल उसे खुद पर भरोसा करना नहीं सिखाते।
गलतियों से ही सीख मिलती है। अगर आप हर बार बच्चे को गलती करने से रोकेंगे, तो वह कभी नहीं समझ पाएगा कि कौन सा फैसला सही है और कौन सा गलत।
बच्चे को हर कदम पर निर्देश देने से उसकी सोचने की क्षमता कमजोर हो सकती है। कभी-कभी उसे अपनी समझ से निर्णय लेने दीजिए, भले ही वह तरीका आपके अनुसार न हो।
हर छोटी-बड़ी बात में अगर आप ही फैसला लेंगे, तो बच्चा सिर्फ निर्देशों का पालन करना सीखेगा। उसे अपनी पसंद चुनने दें जैसे क्या पहनना है, कौन-सी किताब पढ़नी है, या किस एक्टिविटी में भाग लेना है।
"देखो शर्मा जी का बेटा कितना अच्छा है" ऐसी बातें बच्चों के आत्मविश्वास को तोड़ सकती हैं। हर बच्चा अलग होता है, और उसकी तुलना किसी और से करना उसे हीन भावना से भर सकता है।
हर समय स्ट्रक्चर्ड एक्टिविटी से उनका दिमाग सीमित रह जाता है। फुर्सत के पलों में उन्हें अपनी कल्पना और इच्छा से कुछ करने का मौका दें चाहे वो खेलना हो, पढ़ना या सिर्फ सपनों में खो जाना।
जब आप बच्चों की बात सुनते हैं और उन्हें भी बोलने का मौका देते हैं, तो वे महसूस करते हैं कि उनकी राय की अहमियत है। इससे वे आत्मविश्वास से अपनी बात रखना सीखते हैं।
बच्चों को यह समझाएं कि हार या नंबर से ज्यादा अहमियत मेहनत की होती है। इससे वे असफलता से डरने की बजाय, उसे सीखने के अवसर के रूप में देखेंगे।