पटना

बिहार विधानसभा चुनाव: सरायरंजन विधानसभा सीट पर जदयू के सामने सीट बचाने की चुनौती, बेरोजगारी बना मुद्दा

Bihar Assembly Elections 2025 सरायरंजन विधानसभा सीट से बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी का पिछले 15 वर्षों से जीतते आ रहे हैं। लेकिन, इस दफा बेरोजगारी क्षेत्र में एक बड़ा मुद्दा बन गया है।

2 min read
Aug 03, 2025
Sarairanjan Assembly

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार का सरायरंजन विधानसभा सीट हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है। बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी का पिछले 15 वर्षों से इस सीट पर कब्जा है। यानी पिछले तीन चुनावों में सरायरंजन के मतदाताओं ने एक ही दल पर अपना भरोसा जताया। जबकि इस दौरान प्रतिद्वंद्वी बदलते रहे। वर्ष 2025 का विधानसभा बिहार सरकार के जल संसाधन और संसदीय कार्य विभाग के मंत्री विजय चौधरी के लिए आसान नहीं है। बेरोजगारी क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है।

ये भी पढ़ें

Jehanabad Vidhan Sabha: जहानाबाद में बिछने लगी चुनावी बिसात, बदलेगा निजाम या कायम रहेगी परंपरा

15 साल से जदयू का कब्जा

बिहार के समस्तीपुर जिले की सरायरंजन विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आया। तब से इस सीट पर लगातार जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का कब्जा है। बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी पिछले 15 वर्षों से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सबसे पहले विजय चौधरी वर्ष 2010 का विधानसभा चुनाव जदयू के टिकट पर वे जीते थे।

15 साल में प्रतिद्वंद्वी बदले

2010 में विजय कुमार चौधरी के सामने आरजेडी के रामाश्रय सहनी थे। रामाश्रय सहनी लालू सरकार में मंत्री भी थे। लेकिन विजय चौधरी ने उनको करीब 17 हजार मतों के अंतर से पराजित किया। 2015 में जदयू ने महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। भाजपा ने इस सीट पर विजय चौधरी के खिलाफ में रंजीत निर्गुणी को उतारा। विजय चौधरी ने बीजेपी प्रत्याशी रंजीत निर्गुणी को भी पराजित कर अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में आरेजी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया। विजय चौधरी के सामने इस दफा आरजेडी की ओर से अरविंद कुमार सहनी चुनाव मैदान में थे। लेकिन, विजय चौधरी के विजयी रथ को अरविंद कुमार सहनी भी नहीं रोक पाए। विजय चौधरी एक बार फिर से चुनाव जीत गए।

बेरोजगारी बना मुद्दा

विजय कुमार चौधरी पिछले 15 वर्षों से इस विधानसभा से जीतते आ रहे हैं। क्षेत्र में विकास के कई काम भी किए। लेकिन, क्षेत्र में बड़ी संख्या में बेरोजगारी, कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना,खेतों में पटवन को लेकर सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं, क्षेत्र के जयमंगला स्थान का विकास नहीं हो सका, एक भी फैक्ट्री की स्थापना नहीं होने से विधानसभा के लोग नाराज हैं।

विकास को लेकर आमने सामने

इनका कहना है कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में सड़क, बिजली और पानी का इंतजाम,उद्योगों, खास तौर पर कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना, लोगों के लिए स्वास्थ्य का मुद्दा चुनावी मुद्दे बने थे। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सरकार में प्रभावशाली मंत्री में रहते हुए भी हमारे क्षेत्र में जो विकास के काम होने चाहिए थे वो नहीं हो पाए हैं। जबकि मंत्री जी के समर्थकों का कहना है कि क्षेत्र में पिछले 15 सालों में कई काम हुए। नरघोघी में राम जानकी मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कालेज खुले, एएनएम व जीएनएम कॉलेज, पारा मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई, सड़क, पुल-पुलियों आदि का निर्माण भी हुआ। बलान और जमुआरी नदी में उड़ाही शुरू हुई।

जातीय समीकरण की बड़ी भूमिका

2010 के परिसीमन में मोरवा और दलसिंहसराय विधानसभा क्षेत्र से अलग होकर सरायरंजन सीट अस्तित्व में आया। इस सीट पर यादव, कुर्मी, ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी आबादी है। प्रत्याशियों के हार जीत में इनकी बड़ी भूमिका है। विजय चौधरी ब्राह्मण मतदाताओं के अलावा कुर्मी और कुछ यादव वोटों के समर्थन से जीतते आ रहे हैं। अपने इसी जातीय समीकरण को लेकर जदयू ने तीनों विधानसभा चुनाव में अपना दबदबा कायम कर रखा है।

ये भी पढ़ें

मोतिहारी में ग्रामीण मतदाता तय करेंगे किसके सिर सजेगा ताज, बीजेपी मारेगी बाजी या महागठबंधन की होगी पुनर्वापसी

Also Read
View All

अगली खबर