Bihar में चुनाव का ऐलान अगले हफ्ते संभव है। चुनाव आयोग की टीम आज वहां का दौरा करेगी।
बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले अंतिम मतदाता सूची ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। फाइनल वोटर लिस्ट में कुल 3.5 करोड़ महिला वोटरों में से करीब 22.7 लाख नाम कट गए हैं। इसके अलावा मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी कसकर छंटनी हुई है। चुनाव आयोग के मुताबिक पूरी प्रक्रिया के तहत 47 लाख नाम हटाए गए हैं। जानकारों के मुताबिक मतदाता सूची से नाम हटने का सीधा असर बड़े नेताओं की परंपरागत सीटों पर पड़ सकता है। आंकड़े बताते हैं कि कई दिग्गजों के निर्वाचन क्षेत्रों में हजारों वोटर, लिस्ट से बाहर हो गए हैं और इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है।
| नेता | सीट | वोट कटे | महिला वोटर | पुरुष वोटर | जीत का अंतर 2020 में |
| विजय सिन्हा | लखीसराय | 15000+ | 8900+ | 6200+ | 10000+ |
| तेजस्वी यादव | राघोपुर | 15000+ | 9000+ | 6300+ | 38000+ |
| राजेश राम | कुटुंबा | 13000+ | 8000+ | 4900+ | 16000+ |
| प्रशांत किशोर | करगहर (संभावित सीट) | 8500+ | 7500+ | 900+ | 4000+ |
| तेज प्रताप यादव | महुआ (संभावित सीट) | 4500+ | 2800+ | 1700+ | 15000+ |
चुनाव आयोग की फाइनल वोटर लिस्ट में 3.92 करोड़ पुरुष मतदाताओं में 15.5 लाख नाम काटे गए हैं। इनमें 5 राज्य ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा महिला वोटरों के नाम कटे हैं। इनमें गोपालगंज में डेढ़ लाख महिला वोटर, 1.3 लाख मधुबनी, 1.1 लाख पूर्वी चंपारण, सारण और भागलपुर में 1-1 लाख नाम हटाए गए हैं।
बिहार के बॉर्डर से सटे जिलों में चुनाव आयोग की कैंची सबसे ज्यादा चली है। गोपालगंज, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, सारण और भागलपुर वही 5 जिले हैं जिनकी सीमा नेपाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश से लगती है। पटना में भी वोटरों के नाम में बंपर कटौती हुई है। इन 6 जिलों में करीब 59 असेंबली सीटें आती हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को 59 में से 25 सीटें मिली थीं जबकि एनडीए को 34। इन आंकड़ों से साफ है कि मतदाता सूची में हुई कटौती चुनावी तस्वीर को पूरी तरह बदल सकती है। जहां पहले जीत व हार का अंतर कुछ हजार वोटों का था, अब उतने ही या उससे ज्यादा वोट लिस्ट से गायब हो चुके हैं। खासकर महिला वोटरों की बड़ी संख्या में अनुपस्थिति बिहार चुनाव 2025 के नतीजों को अप्रत्याशित बना सकती है।