Bihar School: बिहार के सरकारी स्कूल अब स्मार्ट क्लास और डिजिटल लैब की ओर बढ़ेंगे। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने बड़ा ऐलान करते हुए बताया कि बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा मिलेगी और शिक्षकों को टैब दिए जाएंगे।
Bihar School:बिहार की नई सरकार बनने के बाद अब सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदलने की तैयारी तेज हो गई है। राज्य के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने साफ किया है कि आने वाले महीनों में सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे अब सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि कंप्यूटर और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी सीखेंगे। इसके साथ ही शिक्षकों को पढ़ाई को और प्रभावी बनाने के लिए टैब भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में चरणबद्ध तरीके से कंप्यूटर लैब, इंटरनेट सुविधा और अन्य आधारभूत संरचनाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसका मकसद यह है कि ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों के बच्चों को समान डिजिटल अवसर मिल सकें। सरकार चाहती है कि बिहार के छात्र भी देश के अन्य राज्यों की तरह तकनीकी रूप से सक्षम बनें।
शिक्षा मंत्री ने शिक्षक बहाली को लेकर भी बड़ा अपडेट दिया। उन्होंने बताया कि जैसे ही STET का रिजल्ट आएगा, उसके बाद TRE-4 के तहत नई शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए सभी जिलों से रिक्त पदों का ब्योरा मांगा जा चुका है। संभावना जताई जा रही है कि जनवरी के बाद बड़े पैमाने पर शिक्षक नियुक्ति होगी। इसके बाद लाइब्रेरियन की भर्ती भी शुरू की जाएगी।
मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 1 करोड़ 9 लाख बच्चों को प्रतिदिन मध्यान्ह भोजन दिया जा रहा है। इसके लिए पूरे राज्य में 2 लाख 14 हजार रसोइयां लगातार काम कर रही हैं। सरकार का दावा है कि बच्चों को पौष्टिक और समय पर भोजन उपलब्ध कराना उसकी प्राथमिकता है।
शिक्षा मंत्री ने दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी अहम बात कही। उन्होंने बताया कि सरकार दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष शिक्षा व्यवस्था तैयार कर रही है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी, ताकि ये बच्चे भी मुख्यधारा से जुड़ सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।
सरकार अब शिक्षा को सीधे रोजगार से जोड़ने की दिशा में भी काम कर रही है। मंत्री ने कहा कि स्कूल स्तर से ही बच्चों को स्किल बेस्ड एजुकेशन की ओर बढ़ाया जाएगा, ताकि आगे चलकर उन्हें नौकरी और स्वरोजगार में आसानी हो।
शिक्षा विभाग के इस एक्शन प्लान के बाद यह साफ हो गया है कि बिहार के सरकारी स्कूल अब सिर्फ नाम के नहीं रहेंगे, बल्कि तकनीक, संसाधन और गुणवत्ता के मामले में भी निजी स्कूलों को टक्कर देने की तैयारी में हैं। अगर ये योजनाएं जमीन पर तेजी से लागू होती हैं, तो आने वाले कुछ सालों में बिहार की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बदलती नजर आएगी।