पटना

100000 में जमीन कब्जा, 35000 में पिस्टल और 5000 रुपये एंट्री फीस! पटना का महाकाल गैंग कैसे करता है काम?

पुलिस ने पटना के महाकाल गैंग के सरगना अजय कुमार सहित 10 अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है और अब गैंग की अवैध संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई कर रही है। इन गिरफ्तारियों के बाद गैंग के काम करने के तरीके पर बड़ा खुलासा हुआ है।

3 min read
Oct 26, 2025
पुलिस की गिरफ्त में महाकाल गैंग

बिहार की राजधानी पटना के पूर्वी से पश्चिमी इलाके तक सक्रिय 'महाकाल गैंग' ने अपराध की दुनिया में अपनी एक समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी कर रखी थी। यह गैंग महज मारपीट या रंगदारी वसूलने तक सीमित नहीं था, बल्कि जमीन पर जबरन कब्ज़ा करने, अवैध हथियारों की डीलिंग करने और युवाओं को भर्ती करने के लिए एक बाकायदा मॉडल पर काम करता था। हालिया पुलिस कार्रवाई में गैंग के सरगना अजय कुमार उर्फ 'मतलब' सहित 10 अपराधियों को दबोचने के बाद इस गैंग के भयावह नेटवर्क का खुलासा हुआ है।

ये भी पढ़ें

खेसारी लाल यादव या पवन सिंह, किसकी पत्नी हैं ज्यादा अमीर और पढ़ी-लिखी?

महाकाल गैंग का अपराध मॉडल

पूर्वी एसपी परिचय कुमार के अनुसार, महाकाल गैंग का धंधा बेहद व्यवस्थित तरीके से चलता था, जिसके तीन मुख्य स्तंभ थे। जमीन कब्जा, अवैध हथियार की डीलिंग और सुरक्षा के लिए गैंग में शामील होने की एंट्री फीस।

  1. जमीन कब्जा: प्रति प्लॉट 1 से 2 लाख रुपये - गैंग का सबसे मुख्य धंधा विवादित जमीनों पर जबरन कब्जा करना था। विवादित जमीन के मालिक या बिल्डर्स इस गैंग को 'हायर' करते थे। गैंग के सदस्य किराए पर लिए गए लड़कों के जरिए दबंगई दिखाते हुए प्लॉट पर कब्ज़ा करवाते थे। इस काम के एवज में गैंग प्रति जमीन विवाद पर 1 से 2 लाख रुपए तक की मोटी रकम वसूलता था। यह पैसा गैंग के सक्रिय सदस्यों में बांट दिया जाता था।
  2. गैंग में भर्ती: एंट्री फीस 5000 रुपये तक - पुलिस ने बताया कि गैंग सदस्य बनाने के लिए युवाओं से 1000 से 5000 रुपए तक की एंट्री फीस ली जाती थी। गैंग में अधिकतर सदस्य 20 से 25 साल की उम्र के युवा थे। एंट्री फीस लेने के बदले में गैंग अपने सदस्यों को पूरे पटना में किसी भी स्थिति में पूरी सुरक्षा की गारंटी देता था। एक कॉल पर 100 से 200 लड़के तुरंत इकट्ठा हो जाते थे, जिससे उनका दबदबा कायम रहे।
  3. अवैध हथियार की डीलिंग - गैंग का नेटवर्क अवैध हथियार की सप्लाई में भी सक्रिय था। हाल ही में नौबतपुर में पुलिस ने दो सगे भाइयों को अवैध हथियार की डील करते हुए गिरफ्तार किया। पकड़े गए भाइयों ने बताया कि बरामद पिस्टल की डील 35,000 रुपए में तय की गई थी। यह दिखाता है कि गैंग के सदस्य हथियार खरीद-फरोख्त में भी लिप्त थे।

सोशल मीडिया पर दबंगई का प्रचार

गैंग के सदस्य सोशल मीडिया पर अत्यधिक सक्रिय थे। वे अपनी दबंगई को प्रचारित करने के लिए फैंसी नामों वाले ग्रुप और पेज बनाते थे। अपनी गाड़ियों पर महाकाल लिखकर घूमना और दबंगई की तस्वीरें-वीडियो अपलोड करना, गैंग के सदस्यों के लिए एक स्टेटस सिंबल बन गया था। यह उन्हें निर्दोष लोगों के बीच भय और वर्चस्व बनाए रखने में मदद करता था।

पुलिस का एक्शन

सिटी एसपी परिचय कुमार ने दावा किया कि पुलिस गैंग की कमर तोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चला रही है। पिछले दो महीनों में पूर्वी इलाके (धनरूआ, पुनपुन) से 17-18 गैंग के सदस्य पकड़े गए हैं। हाल ही में सरगना अजय कुमार उर्फ 'मतलब' सहित 10 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से दो कट्टा, दस जिंदा कारतूस और एक स्कॉर्पियो बरामद की गई। अजय उर्फ मतलब पर पुनपुन थाने में ऑनर किलिंग सहित कई गंभीर मामले दर्ज हैं।

पुलिस अब इन अपराधियों के कब्जे से अवैध हथियार के साथ-साथ उनकी अवैध आय से अर्जित संपत्ति को भी जब्त करने की कार्रवाई कर रही है, ताकि गैंग का आर्थिक आधार पूरी तरह से खत्म किया जा सके।

गैंग का खूनी इतिहास

महाकाल गैंग की नींव बिहटा बसौढा के अमित सिंह ने 2016-17 में रखी थी। शुरुआती दौर में यह गैंग बिहटा, नौबतपुर इलाके में बालू से लेवी वसूलता था और शूटर्स तैयार करता था। गैंग ने पहली बड़ी हत्या बिहटा के व्यवसायी संघ के अध्यक्ष निर्भय सिंह की की थी। बाद में गैंग के सरगना अमित सिंह की हत्या देवघर कोर्ट में पेशी के दौरान कर दी गई थी। सिकंदरपुर का छोटे सरकार भी इसी गैंग से जुड़ा था, जिसकी हत्या भी 2023 में देवघर कोर्ट में हुई थी। पुलिस अब फरार चल रहे मुख्य सहयोगी 'बुलेट' की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही है और दावा कर रही है कि जल्द ही बिहार को इस आतंक से मुक्त किया जाएगा।

ये भी पढ़ें

JDU ने 11 नेताओं को पार्टी से निकाला, फिर भी बचे गोपाल मंडल! क्या नीतीश कुमार ने दी बागी MLA को राहत?

Updated on:
26 Oct 2025 12:34 pm
Published on:
26 Oct 2025 12:32 pm
Also Read
View All

अगली खबर