जोया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच में आग लगने को मौत का कारण बताया गया है।
पटना के एक स्कूल में 11 साल की छात्रा जोया परवीन के जिंदा जलने के बाद मौत के मामले में पुलिस और परिवार की थ्योरी एकदम उलट हो गई है। पुलिस का दावा है कि 27 अगस्त को जोया ने स्कूल के शौचालय में खुद पर केरोसिन डालकर आग लगा ली, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में बाद में उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच में आग लगने को मौत का कारण बताया गया है। पुलिस ने घटनास्थल से केरोसिन से भरी बोतल भी बरामद की है।
लेकिन जोया के परिवार ने पुलिस के दावे को सख्ती से खारिज कर दिया है। उसके भाई वारिस परवीन ने कहा कि हमारे घर में तो केरोसिन रखा ही नहीं जाता। हमारी बहन खुद को आग कैसे लगाती? उन्होंने बताया कि पुलिस ने घर से दो बोतलें लीं, जिनमें से एक खाली थी और दूसरी में पानी था, जो इस बात का सबूत है कि जोया के पास केरोसिन नहीं था।
जोया की बहन सीमा ने दावा किया कि जब उनकी बहन को बाथरूम में पाया गया तो दरवाजा बाहर से बंद था जिससे आत्महत्या की संभावना नहीं रह जाती है। परिवार ने सवाल उठाए कि शिक्षकों ने उसे बचाया क्यों नहीं और उसे एम्बुलेंस की जगह ऑटो रिक्शा में क्यों ले जाया गया।
पुलिस ने कहा है कि छात्रा ने आत्महत्या की और इसके पीछे के कारणों की जांच चल रही है। घटना के बाद परिवार और स्थानीय छात्रों ने स्कूल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें स्कूल भवन को तोड़ा गया और पुलिस पर हमला किया गया। इस संबंध में 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। परिवार का आरोप है कि निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है।
जोया पांच बच्चों में सबसे छोटी थी और टीचर्स डे के लिए 150 रुपये जुटा रही थी। परिवार ने न्याय की मांग करते हुए शिक्षकों और सहपाठियों से पूछताछ को जांच का हिस्सा बनाने की मांग की है।