पटना

Bihar Chunav: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी की सभा में फिर लगे ‘भूरा बाल साफ करो’ के नारे

Bihar Chunav राजद विधायक रंजीत यादव की सभा में लगे एक विवादस्पद नारा 'भूरा बाल साफ करो' के बाद बिहार में सियासी तापमान बढ़ गया है। आरजेडी विधायक ने भी इस नारे पर सफाई देते हुए कहा है कि जो व्यक्ति यह नारा लगाया है वह पार्टी का कार्यकर्ता तक नहीं है। इसलिए उसके बयान से पार्टी और मुझे कुछ भी लेना देना नहीं है।

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Jul 10, 2025
राजद विधायक रंजीत यादव। वायरल फोटो सोशल मीडिया

Bihar Chunav बिहार के गया जिले के अतरी में राजद विधायक रंजीत यादव की सभा में 'भूरा बाल साफ करो' का नारा लगने के बाद एक बार फिर से बिहार में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। यह नारा 1990 के दशक में बिहार की राजनीति में चर्चित था। भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला (कायस्थ) जैसी सवर्ण जातियों को लेकर यह नारे गढ़े गए थे। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लगे इस नारे का वीडियो भी अब बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है।

विधायक की सभा में 'भूरा बाल साफ करो' का नारा

आरजेडी विधायक रंजीत यादव की सभा में ये विवादित नारा लगाया गया। सभा में विधायक रंजीत यादव भी मौजूद थे। मंच पर एक शख्स ने राजद सुप्रीमो लालू यादव का हवाला देते हुए यह नारा लगाया। वीडियो वायरल होने के बाद से बिहार में अब एक नई जातीय समीकरण को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है। वायरल वीडियो में मंच के पास मौजूद एक आदमी साफ यह कहते सुना जा रहा है है कि लालू प्रसाद यादव ने शुरू में ही कहा था कि भूरा बाल साफ करो। अब फिर से वही वक्त आ गया है। इस बयान के बाद सभा में तालियों की गूंज भी सुनाई दे रही है।

मुखिया पति ने लगाया नारा

विधायक रंजीत यादव की सभा में भूरा बाल साफ करने का नारा लगाने वाले व्यक्ति के संबंध में कहा जा रहा है कि वह मुखिया फोटो देवी का पति मुनारिक यादव है। इस मामले के तुल पकड़ने पर राजद विधायक रंजीत यादव ने सफाई देते हुए कहा कि मुनारिक यादव न तो उनका कार्यकर्ता है और ना ही राजद का कोई सदस्य है। विधायक ने इस बयान की कड़ी निंदा भी की।

नारे का क्या है इतिहास और विवाद,

‘भूरा बाल साफ करो’ का यह नारा 1990 के दशक काफी चर्चा में था। इस नारे को लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली RJD की राजनीति से जोड़ा जाता था। ‘भूरा बाल साफ करो’ साफ करो का मतलब था- भ से भूमिहार, रा से राजपूत, बा से ब्राह्मण, और ल से लाला (कायस्थ)। तब इस नारे का अर्थ सवर्ण जातियों को सियासी और सामाजिक रूप से हाशिए पर धकेलना था। इस नारे ने 1990 में बिहार में जातिगत तनाव को बढ़ा दिया था। लालू प्रसाद इस नारे के सामने आने के बाद ही पिछड़ा-अति , पिछड़ा-दलित-मुस्लिम (MY) के लोक प्रिय नेता बन गए थे। हालांकि, लालू ने अपनी आत्मकथा में इस नारे से इनकार करते हैं। लालू प्रसाद ने कहा कि इस नारे को उनको जोड़ कर देखना मीडिया की एक साजिश थी।

ब्राह्मण के खिलाफ नहीं

लालू यादव ने अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज से रायसीना’ किताब में भूरा बाल साफ करो पर सफाई देते हुए कहा कि मैं कभी भी ब्राह्मण के खिलाफ नहीं हूं। और न ही मैंने ‘भूरा बाल साफ करो’ का नारा दिया था। लालू यादव ने अपनी किताब में लिखा है कि वह सिर्फ ब्राह्मणवाद और मनुवाद के खिलाफ हैं। अपनी इस किताब में लालू प्रसाद ने नागेंद्र तिवारी जैसे एक अधिकारी की चर्चा करते हुए कहते हैं कि मैं उनके ही मदद से पटना विश्वविद्यालय का चुनाव जीता था। वरना दबंगों ने तो बैलेट बॉक्स तक नालियों और कचरे के डब्बे में डाल दिया था। अपनी किताब में उन्होंने आगे लिखा है कि गरीब ब्राह्मण को देख कर भी मुझे बहुत बुरा लगता है।

Updated on:
10 Jul 2025 12:14 pm
Published on:
10 Jul 2025 12:02 pm
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