बीजेपी के झंडे लगे रथ पर सवार दिग्विजय सिंह और शशि थरूर की एक AI-जनरेटेड तस्वीर पर शकील अहमद ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे भ्रामक और कांग्रेस के खिलाफ साजिश बताते हुए कहा कि इस तरह की तस्वीरें न सिर्फ नेताओं की छवि बिगाड़ने की कोशिश हैं, बल्कि पार्टी को कमजोर करने का भी प्रयास हैं।
बीजेपी के झंडे लगे रथ पर सवार दिग्विजय सिंह और शशि थरूर की एक AI-जनरेटेड तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। इस तस्वीर को लेकर बिहार सरकार में मंत्री रह चुके और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता शकील अहमद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। शकील अहमद ने फेसबुक पर इस तस्वीर को शेयर करते हुए इसे न सिर्फ भ्रामक बताया, बल्कि कांग्रेस के खिलाफ साजिश करार दिया।
उन्होंने लिखा, “दिग्विजय सिंह जी और शशि थरूर जी का यह काल्पनिक चित्र देख कर मन दुखी है। जिसकी भी यह कल्पना है, वह दिग्विजय सिंह जी और शशि थरूर जी का विरोधी तो होगा ही, पर वास्तव में वह कांग्रेस का बहुत बड़ा विरोधी लगता है।”
शकील अहमद ने अपने पोस्ट में याद दिलाया कि 17 दिसंबर को उन्होंने खुद शशि थरूर को लेकर एक पोस्ट लिखा था, जिसमें कहा गया था कि कुछ लोग लगातार उन्हें कांग्रेस से बाहर करने का माहौल बना रहे हैं। इसके बावजूद 27 दिसंबर को हुई CWC बैठक में शशि थरूर को उत्साहपूर्वक भाग लेते देख कर उन्हें अच्छा लगा।
अहमद ने आगे लिखा कि यह सही है कि आज कांग्रेस का हर फैसला, खासकर संगठन की हर नियुक्ति राहुल गांधी की मर्जी से होती है। लेकिन जब नियुक्त नेताओं के कामकाज पर संगठन के भीतर सवाल उठते हैं, तो शिकायत करने वाले अपने बचाव में यह कहने लगते हैं कि चूंकि उन्हें राहुल गांधी ने नियुक्त किया है, इसलिए उनका विरोध असल में राहुल गांधी का विरोध है। शकील अहमद के मुताबिक, यह बात कोई नई नहीं है।
शकील अहमद ने 2015–16 के समय का जिक्र करते हुए बताया कि जब वे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव थे, तब एक-दो राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के विरोध के दौरान यह तर्क दिया गया था कि उन्हें राहुल गांधी ने बनाया है, इसलिए राहुल गांधी के विरोधी लोग उनका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने लिखा कि यह बात उन्हें बुरी लगी थी और तब उन्होंने अंग्रेजी अखबार Tribune को बयान दिया था, “राहुल गांधी कांग्रेस में किसी ग्रुप के नेता नहीं हैं, उन्हें युवा और तजुर्बेकार दोनों तरह के नेता सम्मान देते हैं।”
दिग्विजय सिंह के एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद उठे विवाद पर भी शकील अहमद ने उनका समर्थन किया। उन्होंने लिखा कि दिग्विजय सिंह ने केवल अपनी एक राय रखी है, जिससे कोई सहमत या असहमत हो सकता है। लेकिन इसके आधार पर यह कहना कि वे बीजेपी में जा रहे हैं या कांग्रेस के खिलाफ हो गए हैं, पूरी तरह गलत और भ्रामक है।
शकील अहमद ने 23-24 साल पुरानी एक घटना बताते हुए लिखा, "वैसे तो मैं अब कांग्रेस से अलग हो गया हूं, लेकिन दिग्विजय सिंह की कही एक बात आज याद आ रही है। यह घटना 2000 से 2003 के बीच की है। मैं बिहार कांग्रेस का अध्यक्ष था। एक शाम, किसी ने मुझे फोन करके बताया कि दिग्विजय सिंह एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पटना आ रहे हैं। मुझे गुस्सा आया कि पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते, मुझे प्रोटोकॉल के हिसाब से जानकारी नहीं दी गई थी। गुस्से में मैंने फोन करने वाले से कहा कि मैं उन्हें रिसीव करने के नहीं जाऊंगा क्योंकि मुझे आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गई थी।"
शकील अहमद ने आगे घटना का जिक्र करते हुए लिखा, "उसी रात बाद में, दिग्विजय बाबू ने मुझे फोन किया, माफ़ी मांगी और समझाया कि कार्यक्रम को लेकर कुछ कन्फ्यूजन था, इसलिए मुझे पहले जानकारी नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा कि अब कार्यक्रम फाइनल हो गया है और इसीलिए वह मुझे बता रहे हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं एयरपोर्ट पर रहूंगा और कार्यक्रम में भी उनके साथ जाऊंगा। जिस व्यक्ति से मैंने पहले बात की थी, उसने शायद दिग्विजय बाबू को मेरी नाराजगी के बारे में बता दिया था।"
शकील अहमद ने लिखा, "एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने के बाद, जब हम कार्यक्रम में जा रहे थे, तो हमने कई बातों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने मुझे कहा था, 'शकील भाई, नेहरू-गांधी परिवार को कभी मत छोड़ना' यह बात आज भी मुझे अच्छे से याद है। आज दिग्विजय बाबू के बारे में यह प्लांटेड ख़बरें पढ़ कर मन दुखी हो रहा है।"