वेतन आयोग को पहले अपनी सिफारिश देने में दो साल तक लगते थे।
1 करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों को 8वें वेतन आयोग की कार्रवाई शुरू होने का इंतजार है। सरकार ने 16 जनवरी 2025 को 8वें वेतन आयोग की घोषणा की थी, लेकिन 9 महीने बीत जाने के बाद भी न तो इसके अध्यक्ष का नाम तय हुआ है और न ही Terms of Reference (ToR) का नोटिफिकेशन जारी हुआ है। इसके मुकाबले, 7वें वेतन आयोग के गठन में सरकार ने कहीं तेजी दिखाई थी। 25 सितंबर 2013 को इसकी घोषणा हुई थी और महज 156 दिन बाद, यानी 28 फरवरी 2014 को चेयरमैन और ToR तय कर दिए गए थे।
8वें वेतन आयोग को लेकर वित्त मंत्रालय ने बीते दिनों संसद को जानकारी दी थी कि मंत्रालयों और राज्यों से अब भी ToR पर सुझाव मिल रहे हैं। इसी वजह से आधिकारिक नोटिफिकेशन में देरी हो रही है। 9 महीने की देरी ने लाखों कर्मचारियों और पेंशनरों को असमंजस में डाल दिया है। कर्मचारी संगठनों और पेंशनरों के संगठन ने सरकार से प्रक्रिया तेज करने की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक पैनल का गठन नहीं होगा, तब तक वेतन और पेंशन संशोधन की तस्वीर साफ नहीं होगी।
एजी ऑफिस ब्रदरहुड के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर तिवारी का अनुभव बताता है कि वेतन आयोग अपनी सिफारिशें देने में 1.5 से 2 साल का समय लेता है। इसका मतलब है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2026 के आखिर तक या 2027 में आ सकती हैं। फिलहाल सरकार का लक्ष्य 1 जनवरी 2026 से संशोधित वेतन लागू करने का है, लेकिन मौजूदा देरी को देखते हुए यह समयसीमा और आगे खिसक सकती है।
लेबर ब्यूरो के मुताबिक अगस्त 2025 का अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI-IW) 147.1 तक पहुंचा है। इससे महंगाई भत्ते (DA/DR) की दर और न्यूनतम वेतन निर्धारण पर सीधा असर पड़ेगा। जुलाई में यह 146.5 पर था।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.8 से 2.46 के बीच रह सकता है, जिससे कर्मचारियों और पेंशनरों की आय में 13% तक वास्तविक बढ़ोतरी हो सकती है।