Earth Day 22 April 2025 : हर साल 22 अप्रैल को हम पृथ्वी दिवस मनाते हैं — एक ऐसा दिन जो हमें याद दिलाता है कि यह धरती हमारी ज़िम्मेदारी है। पहली बार यह दिवस 1970 में अमेरिका में मनाया गया था, जब दुनिया की आबादी सिर्फ 3.7 अरब थी। आज, 150 से अधिक देश इस दिन को मानते हैं, और आबादी 8 अरब से भी ज्यादा हो चुकी है।
Earth Day 22 April 2025 : हर साल हम 22 अप्रेल को पृथ्वी दिवस मनाते हैं। यह दिन पहली बार वर्ष 1970 में अमरीका में मनाया गया था, तब दुनिया की जनसंख्या 3.7 अरब थी। आज इसे 150 से अधिक देश मनाते हैं और जनसंख्या 8 अरब से अधिक है। लेकिन हाल दिन ब खराब होते जा रहे हैं। आज अधिकतर लोग सोशल मीडिया पर पेड़, हरियाली और साफ-सुथरी धरती की तस्वीरें शेयर करते हैं। लेकिन वास्तविकता हमें चौकाती नहीं बल्कि डराती है।
तकनीक, ज्ञान और संसाधन सब हैं, बस इच्छाशक्ति की जरूरत
भारत में हर दिन 26,000 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है, जिसमें से 40% रिसाइकल नहीं होता है। ये पृथ्वी को दूषित कर रहा है। हर साल भारत में 30त्न पीने योग्य पानी बर्बाद हो जाता है। पृथ्वी के औसत तापमान में 1.2°C की वृद्धि हो चुकी है और यह 2°C से ऊपर गया तो जलवायु संकट अटूट हो जाएगा। हालात तो ये हैं कि आज हमारे पास तकनीक, ज्ञान और संसाधन सब हैं, बस इच्छाशक्ति की जरूरत है जिससे धरती को बचाया जा सके।
चीन सौर ऊर्जा और ई-मोबिलिटी में दुनिया का अग्रणी देश है। 2023 में उसने 216 गीगावॉट नई सौर क्षमता जोड़ी और वैश्विक सौर उत्पादन का 80त्न हिस्सा रखा। चीन में 60% इलेक्ट्रिक वाहन बिके, और शेनझेन की बसें 100% इलेक्ट्रिक हो चुकी हैं। ये प्रयास पर्यावरण सुरक्षा में चीन की प्रमुख भूमिका दिखाते हैं। चीन में ६ लाख से अधिक ई बसें चल रही हैं।
अगर हम अपनी आदतों को बदलें, तो आने वाली पीढिय़ों के लिए एक सुरक्षित पृथ्वी छोड़ सकते हैं। कुछ कदम जैसे 'नो प्लास्टिक डे' रखना, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना, सोलर पैनल का उपयोग, पेड़ लगाना, और बच्चों को पर्यावरण शिक्षा देना, बड़े बदलाव ला सकते हैं। हमारी कोशिश, बेहतर पृथ्वी के निर्माण की शुरुआत हो सकती है।
स्वीडन में 99% से ज्यादा कचरा रीसायकल होता है। यहां ज़ीरो वेस्ट केवल नीति नहीं, बल्कि जीवनशैली है। बचे हुए कचरे से ऊर्जा बनाई जाती है। स्वीडन दुनिया को दिखाता है कि नागरिक सहयोग और स्मार्ट मैनेजमेंट से पर्यावरण बचाया जा सकता है।
कोस्टा रिका की 98% बिजली जल, सौर और पवन ऊर्जा से आती है। देश ने 2030 तक खुद को पूरी तरह कार्बन न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य रखा है। नागरिक भी पेड़ लगाते हैं और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देकर विकास और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।
नीदरलैंड्स में प्रति व्यक्ति औसतन 1.3 साइकिलें हैं। लगभग 27त्न लोग साइकिल से डेली ट्रैवल करते हैं। 35,000 किलोमीटर लंबा साइकिल ट्रैक नेटवर्क और स्मार्ट सिग्नलिंग सिस्टम इसे दुनिया का सबसे साइकिल-फ्रेंडली देश बनाते हैं, जिससे प्रदूषण घटा और स्वास्थ्य सुधरा है।
छोटे-छोटे प्रयासों के साथ हमें डेवलपमेंट के नाम जंगलों की तबाही को भी रोकने के लिए आवाज उठानी चाहिए। ऐसी घटनाएं देश-दुनिया में कहीं भी उनके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है क्योंकि बढ़ती गर्मी या प्रकृति का कहर का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। हमें कानूनी रूप से भी लड़ाई लडऩे की जरूरत है। इसमें युवाओं की भागीदारी अधिक से अधिक होनी चाहिए। रिद्धिमा पाण्डे, पर्यावरण एक्टिविस्ट