CG News: विकासखंड कुआकोंडा के ग्राम श्यामगिरी निवासी अनिल ने 12वीं तक पढ़ाई के बाद परिवार की तरह धान और पारंपरिक फसलों की खेती की।
CG News: छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर के शांत ग्रामीण इलाके में रहने वाले युवा किसान अनिल कोर्राम आज प्रगतिशील खेती का प्रेरक उदाहरण बन गए हैं। विकासखंड कुआकोंडा के ग्राम श्यामगिरी निवासी अनिल ने 12वीं तक पढ़ाई के बाद परिवार की तरह धान और पारंपरिक फसलों की खेती की।
लेकिन समय के साथ उन्हें महसूस हुआ कि पारंपरिक फसलों से होने वाली सीमित आय से परिवार का बेहतर भविष्य सुनिश्चित नहीं हो सकता। अनिल की पाम ऑयल खेती देखकर आसपास के किसानों जैसे मनतरू हुंगा, बुधरू और सुको ने भी अपनी 5-5 एकड़ भूमि में पाम ऑयल की खेती शुरू कर दी है।
इससे क्षेत्र में नई खेती के प्रति उत्साह बढ़ा है। इसी दौरान ग्राम पंचायत की एक बैठक में उन्हें पाम ऑयल की आधुनिक और लाभकारी खेती की जानकारी मिली। अनिल के लिए यह फसल बिल्कुल नई थी, लेकिन जानकारी सुनने के बाद उन्होंने इसे आजीविका का नया विकल्प मानकर अपनाने का निर्णय लिया। इंटरनेट और यूट्यूब के माध्यम से उन्होंने देश के अन्य राज्यों में पाम ऑयल की सफल खेती के उदाहरण भी देखे, जिससे उनका विश्वास और मजबूत हुआ।
अनिल सीधे उद्यानिकी विभाग पहुंचे और विशेषज्ञों से विस्तार से चर्चा की। विभाग की सलाह और सहयोग के आधार पर अगस्त 2025 में उन्होंने अपने 15 एकड़ खेत में 858 पाम ऑयल पौधों का रोपण किया। इसके लिए उन्होंने 62 हजार रुपये का अपना अंशदान दिया। उद्यानिकी विभाग ने उनके खेत में फेंसिंग और बोरवेल की सुविधा भी स्वीकृत की, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ गया। आज उनके खेत में पाम ऑयल के पौधे तेजी से बढ़ रहे हैं और वे साथ ही धान की खेती भी कर रहे हैं।
अनिल बताते हैं कि विभागीय अधिकारियों ने उन्हें बताया कि पाम ऑयल पौधे तीसरे या चौथे वर्ष से फल देना शुरू कर देते हैं। इसका फल छिंद जैसा दिखता है और बाजार में इसकी कीमत 18 से 20 रुपये प्रति किलो तक रहती है। यह फसल 25 से 30 साल तक लगातार उत्पादन देती है।
प्रति हेक्टेयर लगभग 20 टन उपज मिलने का अनुमान है, जिससे किसानों को हर साल 2.5 से 3 लाख रुपये तक की आय हो सकती है। यह जानकारी अनिल के लिए नई उम्मीद लेकर आई और उन्होंने महसूस किया कि यह निर्णय उनके पूरे परिवार का भविष्य बदल सकता है।
उद्यानिकी विभाग की सहायक संचालक ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले में पाम ऑयल को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किया जा रहा है। नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल-ऑयल पाम योजना के अंतर्गत जिले को 400 हेक्टेयर का लक्ष्य मिला है। इसके विरुद्ध 536 हेक्टेयर में 256 किसानों का चयन किया जा चुका है।
अब तक 224.39 हेक्टेयर क्षेत्र में 97 किसानों के खेतों पर पौधरोपण पूरा किया जा चुका है। विकासखंडवार रोपण इस प्रकार है- दंतेवाड़ा में 36.52 हे. (21 किसान), गीदम में 13.24 हे. (08 किसान), कुआकोंडा 108.44 हे. (45 किसान) और विकासखण्ड कटेकल्याण में 66.19 हे. (23 किसान) पाम ऑयल की खेती की जा रही है।
योजना अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा प्रति हेक्टेयर पौधों पर 29 हजार रुपये, नलकूप पर 77 हजार रुपये, ड्रिप सिंचाई पर 31 हजार 399 रुपये, अंतरवर्तीय फसल पर 5,250 रुपये और रखरखाव पर 5 हजार 250 रुपये का अनुदान दिया जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफ निधि से फेंसिंग पर 49 हजार 037 रुपये, ट्यूबवेल पर 82 हजार 350 रुपये तथा ड्रिप पर 7 हजार 771 रुपये प्रति हेक्टेयर सहायता दी जा रही है।
सरकार द्वारा पाम ऑयल क्रय हेतु प्री यूनिक एशिया लिमिटेड के साथ अनुबंध किया गया है, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य और नियमित आय सुनिश्चित होगी। अनुमान के अनुसार यह फसल प्रति हेक्टेयर 2.50 से 3 लाख रुपये तक की आय दे सकती है।
यह सच है कि आज के दौर में प्रगतिशील सोच और नई फसलों को अपनाने का उत्साह ही किसानों को सफलता की राह दिखाता है। अनिल कोर्राम इस नई सोच के सशक्त उदाहरण बनकर न केवल अपने परिवार का भविष्य बदल रहे हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों को नई दिशा दे रहे हैं।