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ये है एशिया की सबसे छोटी मस्जिद, सिर्फ 3 लोग ही अदा कर सकते हैं नमाज

Asia's Smallest Mosque : भोपाल को मस्जिदों का शहर भी कहा जाता है। यही वो शहर है, जहां एशिया की सबसे छोटी मस्जिद मौजूद है। जी हां... हम बात कर रहे हैं भोपाल की सबसे पहली मस्जिद ढाई सीढ़ी की।

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ये है एशिया की सबसे छोटी मस्जिद (Photo Source- Patrika)

Asia's Smallest Mosque :मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को तालाबों और नवाबों का शहर तो कहा ही जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि, भोपाल को मस्जिदों का शहर भी कहा जाता है। भोपाल शहर में एक से बढ़कर एक नायाब और अनोखी कारीगरी से सुसज्जित मस्जिदें हैं। शहर के क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो भोपाल में छह सौ से ज्यादा मस्जिदें हैं, जो संभवत: दुनियाभर में सबसे ज्यादा हैं। भोपाल ही वो शहर है, जहां एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद तो है ही, एशिया की सबसे छोटी मस्जिद भी इसी शहर में स्थित है।

जी हां… हम बात कर रहे हैं, मस्जिद ढाई सीढ़ी की। जैसे ताज-उल-मसाजिद को एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद का खिताब हासिल है। वैसे ही ढाई सीढ़ी मस्जिद को एशिया की सबसे छोटी मस्जिद के तौर पर जाना जाता है। मस्जिद ढाई सीढ़ी इतनी छोटी है कि, इसमें एक साथ इमाम समेत तीन लोग ही नमाज अदा कर सकते हैं। इसके अलावा मस्जिद ढाई सीढ़ी को भोपाल की पहली मस्जिद होने का दर्जा भी हासिल है। इस मस्जिद का निर्माण नवाब दोस्त मोहम्मद खान ने साल 1716 में कराया था।

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ढाई सीढ़ी नाम के पीछे की कहानी

ये है एशिया की सबसे छोटी मस्जिद (Photo Source- Patrika)

इस मस्जिद के नामकरण की भी अपनी ही एक कहानी है। इसके निर्माण के वक्त हर चीज़ यहां ढाई बनाई गई हैं। सीढ़ियां ढाई हैं, जिस जगह यह मस्जिद स्थित है, वहां कमरों की संख्या ढाई है। इसके अलावा पहले जिस रास्ते से यहां आया जाता था, वहां भी सीढ़ियों की संख्या ढाई ही है।

मस्जिद का इतिहास

ये है एशिया की सबसे छोटी मस्जिद (Photo Source- Patrika)

इस मस्जिद का इतिहास 300 साल से ज्यादा का है। पुराने शहर में बड़े तालाब के किनारे स्थित फतह गढ़किले की दीवारों की चौकसी के लिये बने बुर्जे पर इस मस्जिद का निर्माण कराया गया था। खासतौर पर बुर्जे के पहरेदार ही इस मस्जिद में नमाज अदा किया करते थे। फतेहगढ़ किले में पहले पहरा देने वाले सैनिक नमाज अदा करते थे। कहा जाता है कि जब अफ़ग़ानिस्तान के तराह शहर से नूर मोहम्मद ख़ान और उनके साहबजादे दोस्त मोहम्मद ख़ान भारत आए।

बाद में दोस्त मोहम्मद ख़ान ने इस जगह पर फतेहगढ़ क़िले का निर्माण कराया। इस क़िले की नींव का पत्थर क़ाज़ी मोहम्मद मोअज्जम साहब ने रखी थी। क़िले की पश्चिमी दिशा में स्थित बुर्ज को मस्जिद की शक्ल में तामीर कराया गया। इसके बाद से ही इसमें नमाज अदा की जाने लगी।

Published on:
13 Nov 2025 06:00 am
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