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बाड़मेर में आपत्तिजनक पोस्टर कांड: पुलिस ने इन 7 आरोपियों को किया नामजद, छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुका है एक आरोपी

Rajasthan News: राजस्थान के बाड़मेर जिले में पूर्व विधायक मेवाराम जैन की कांग्रेस में वापसी के बाद लगे आपत्तिजनक पोस्टरों के मामले ने नया मोड़ ले लिया है।

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Oct 04, 2025
फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Rajasthan News: राजस्थान के बाड़मेर जिले में पूर्व विधायक मेवाराम जैन की कांग्रेस में वापसी के बाद लगे आपत्तिजनक पोस्टरों के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। बाड़मेर पुलिस ने इस बहुचर्चित प्रकरण में सात आरोपियों को नामजद किया है, जिनमें एक जिला पार्षद, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और पचपदरा रिफाइनरी का ठेकेदार शामिल है।

पुलिस ने बालोतरा की न्यू मारवाड़ प्रिंटिंग प्रेस को भी इस मामले में शामिल पाया है, जहां से ये आपत्तिजनक पोस्टर छपे थे। इस मामले ने बाड़मेर सहित पूरे राजस्थान में सियासी हलचल मचा रखी है। बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नरेंद्र सिंह मीणा ने बताया कि तीन टीमें इस मामले की जांच में जुटी हैं और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी तेज कर दी गई है।

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पोस्टर कांड का पूरा घटनाक्रम?

बताते चलें कि यह विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस से निष्कासित पूर्व विधायक मेवाराम जैन की पार्टी में वापसी हुई। मेवाराम जैन 2008 से 2023 तक बाड़मेर से लगातार तीन बार विधायक रहे। फिर 2023 में एक कथित अश्लील सीडी प्रकरण और दुष्कर्म के मामले में विवादों में घिर गए थे। इस कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।

हालांकि, राजस्थान हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ लगे आरोपों को झूठा करार देते हुए क्लीन चिट दे दी, जिसके बाद उनकी कांग्रेस में वापसी का रास्ता साफ हुआ। 22 सितंबर 2025 को दिल्ली में उनकी औपचारिक वापसी हुई, जिसकी खबर 25 सितंबर को मीडिया में वायरल हुई।

इसके बाद मेवाराम जैन के बाड़मेर पहुंचने से पहले ही बाड़मेर और बालोतरा में कई जगहों पर आपत्तिजनक पोस्टर दिखाई दिए। इन पोस्टरों पर लिखा था- "बलात्कारी हमें मंजूर नहीं और बहनों का अपमान नहीं सहेगी बाड़मेर की कांग्रेस।"

पोस्टरों पर बाड़मेर, बालोतरा और जैसलमेर कांग्रेस कमेटी का नाम छपा था, जिससे यह भ्रम फैला कि यह विरोध पार्टी के अंदर से ही हो रहा है। हालांकि, तीनों जिलों की कांग्रेस कमेटियों ने तुरंत बयान जारी कर इन पोस्टरों से पल्ला झाड़ लिया और इसे साजिश करार देते हुए कानूनी कार्रवाई की मांग की।

पुलिस की कार्रवाई और नामजद आरोपी

बाड़मेर पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए सात आरोपियों को नामजद किया है। इनमें खेराजराम हुड्डा, अशोक कुमार, नारायण, जसराज, गिरधारीलाल, श्रवण कुमार (परेऊ) और अशोक लुणवा शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, इन आरोपियों की पहचान मुख्य रूप से पोस्टर लगाने में उपयोग किए गए वाहनों के आधार पर की गई है।

इनमें से एक आरोपी बालोतरा जिले का जिला पार्षद है, एक अन्य पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुका है और एक पचपदरा रिफाइनरी में ठेकेदार है। इनके अलावा, बालोतरा की न्यू मारवाड़ प्रिंटिंग प्रेस को भी इस मामले में शामिल पाया गया है, जहां से ये पोस्टर छपे थे।

एसपी नरेंद्र सिंह मीणा ने बताया कि पुलिस की तीन टीमें इस मामले की गहन जांच कर रही हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी तेज कर दी गई है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही सभी नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर इस साजिश के पीछे के मास्टरमाइंड का खुलासा किया जाएगा।

यहां देखें वीडियो-


2023 में एक आई थी कथित अश्लील सीडी

मेवाराम जैन का नाम विवादों से कोई नया रिश्ता नहीं है। 2023 में एक कथित अश्लील सीडी प्रकरण ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया था। 20 दिसंबर 2023 को जोधपुर में एक महिला ने उनके खिलाफ गैंगरेप का मामला दर्ज कराया, जिसमें पॉक्सो एक्ट सहित 18 धाराओं के तहत कार्रवाई हुई। पीड़िता ने आरोप लगाया कि मेवाराम ने विधायक रहते अपने रसूख का इस्तेमाल कर जांच को प्रभावित किया।

इसके बाद, 5-6 जनवरी 2024 की रात राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। निष्कासन पत्र में कहा गया कि मेवाराम का अनैतिक आचरण कांग्रेस के संविधान का उल्लंघन करता है।

इस दौरान सोशल मीडिया पर एक कथित अश्लील वीडियो वायरल हुआ, जिसने मामले को और तूल दे दिया था। 2023 के विधानसभा चुनाव में मेवाराम निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. प्रियंका चौधरी से हार गए, जिससे उनकी सियासी हैसियत को बड़ा झटका लगा। हालांकि, हाईकोर्ट के फैसले ने उनके पक्ष में राहत दी और उनकी कांग्रेस में वापसी की राह आसान हो गई।

कांग्रेस में वापसी और हरीश चौधरी का विरोध

सूत्रों के अनुसार, मेवाराम जैन की कांग्रेस में वापसी की पटकथा करीब छह महीने पहले लिखी जा चुकी थी। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई। गहलोत ने राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ मिलकर मेवाराम की वापसी को आलाकमान तक पहुंचाया। अनुशासन समिति की सिफारिश और रंधावा की मंजूरी के बाद 22 सितंबर 2025 को उनकी औपचारिक वापसी हो गई।

हालांकि, इस फैसले का पार्टी के अंदरखाने विरोध हुआ। बाड़मेर के वरिष्ठ नेता और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने मेवाराम की वापसी का खुलकर विरोध किया। इससे पहले हरीश चौधरी ने बिना नाम लिए कई मंचों पर कहा कि वह चरित्रहीन लोगों के साथ मंच साझा नहीं करेंगे और जरूरत पड़ी तो सार्वजनिक जीवन छोड़ देंगे।

चौधरी के अलावा, पूर्व विधायक हेमाराम चौधरी, सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल, पदमाराम मेघवाल, महेंद्र चौधरी, गफूर खान और फतेह खान ने भी दिल्ली पहुंचकर राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की और जैन की वापसी का विरोध दर्ज कराया था। इन नेताओं ने दावा किया कि जैन की वापसी से पार्टी की छवि को नुकसान होगा और यह कांग्रेस की नैतिकता के खिलाफ है।

क्या पोस्टर कांड के पीछे सियासी साजिश?

गौरतलब है कि पोस्टर कांड के पीछे सियासी साजिश की आशंका जताई जा रही है। कुछ लोगों का मानना है कि यह विरोध मेवाराम जैन की वापसी को लेकर पार्टी के अंदरूनी गुटबाजी का नतीजा हो सकता है। हरीश चौधरी पर इस कांड के पीछे होने के आरोप लगे, लेकिन पुलिस जांच में सात अन्य लोगों के नाम सामने आए हैं। पुलिस इस मामले के हर पहलू की जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस कांड के पीछे के असली मास्टरमाइंड कौन हैं?

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Updated on:
04 Oct 2025 05:25 pm
Published on:
04 Oct 2025 05:24 pm
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