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2025 के चुनाव में इन 9 सीटों पर राहुल-तेजस्वी का रहेगा पूरा फोकस, इतने ही अंतर से छिटक गई थी सत्ता

2020 का चुनाव महागठबंधन के लिए इसलिए फीका रहा था क्योंकि वोट प्रतिशत कोविड के कारण कम था।

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Sep 24, 2025
राहुल-तेजस्वी ने बीते दिनों वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी। (Photo-IANS)

Bihar Elections 2025 : 2020 के विधानसभा चुनाव में 12 सीटें ऐसी थीं, जिन पर 50% से कम वोट पड़े थे। इनमें 9 सीट पर एनडीए और 3 पर महागठबंधन की जीत हुई थी। 2015 में वोट प्रतिशत 55.2 फीसदी थी जबकि 2020 में 52.2 रहा था। इस अंतर ने महागठबंधन को मात्र 12 सीट के अंतर पर सत्ता से बेदखल कर दिया था। जानकार बताते हैं कि बिहार के चुनाव में जब वोट प्रतिशत कम रहा तब-तब एनडीए की जीत हुई है। अब 2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की नजर कम वोट प्रतिशत वाली सीटों पर है, जो किंग मेकर हो सकती हैं।

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शहरी सीटों पर बीजेपी का जलवा

पटना जिले के 3 विधानसभा क्षेत्रों ने सबको चौंकाया था। हालांकि तीनों सीट बीजेपी के खाते में आई थीं लेकिन वोट प्रतिशत पूरे राज्य में सबसे कम मतदान वाला रहा था। 2020 में कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में में सिर्फ 35.2%, बांकीपुर में 35.9% और दीघा में 36.7% वोटिंग हुई थी। बांकीपुर से नितिन नबीन ने 83,068 वोट (59%) हासिल किए थे, दीघा में संजीव चौरसिया ने 97,044 (57%) और कुम्हरार से अरुण कुमार सिन्हा ने 81,400 (54%) वोट पाकर जीत दर्ज की थी। इन नतीजों ने दिखा दिया कि शहरी सीटों पर बीजेपी का कोर वोटर, टर्नआउट से कहीं ऊपर खड़ा रहा।

कांग्रेस का शहरी ग्रामीण क्षेत्र पर वर्चस्व

इसके उलट जमालपुर, भागलपुर और गया शहरी जैसी सीटों पर कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया। जमालपुर से अजय कुमार सिंह ने 57,196 वोट हासिल किए, जबकि भागलपुर से अजीत शर्मा विजयी रहे। गया शहरी भी कांग्रेस के खाते में गई। इन नतीजों से यह साफ है कि कांग्रेस अब भी पारंपरिक शहरी ग्रामीण मिश्रित इलाकों में अपनी पैठ बनाए हुए है।

राजद का एमवाई फैक्टर कर गया काम

राजद को शाहपुर और इस्लामपुर जैसी सीटों पर सफलता मिली। शाहपुर से राहुल तिवारी ने 64,393 वोट हासिल किए, वहीं इस्लामपुर से राकेश कुमार रोशन ने 68,088 वोट पाकर जीत दर्ज की। इन नतीजों ने महागठबंधन के मुस्लिम-यादव समीकरण को मजबूत होते दिखाया था।

जदयू को मिली थी 1 सीट

मुंगेर और वारसलीगंज जैसी सीटों पर बीजेपी विजयी रही। मुंगेर से प्रणव कुमार ने 75,573 वोट (46%) पाए, जबकि वारसलीगंज से अरुणा देवी ने 62,451 वोट हासिल किए। अस्थावां से जदयू के जितेंद्र कुमार ने जीत दर्ज की, जो बताता है कि नीतीश कुमार का ग्रामीण वोट बैंक कारगर है।

क्या था कम वोटिंग का कारण

2020 के विधानसभा चुनाव में कम मतदान का सबसे बड़ा असर पटना की सीटों पर दिखा। शहरी मतदाता में चुनावी उदासीनता, प्रवासी कामगारों का अनुपस्थित रहना और कोविड 19 महामारी जैसी वजहें वोट प्रतिशत गिरने के लिए जिम्मेदार रहीं। चूंकि इन सीटों पर बीजेपी का संगठन मजबूत और कोर वोटबैंक स्थायी है, इसलिए कम मतदान का सीधा फायदा बीजेपी को हुआ।

12 में से 3 सीट ही मिली थी महागठबंधन को

1- कुम्हरार : अरुण कुमार सिन्हा, बीजेपी - 81,400 वोट
2- बांकीपुर : नितिन नबीन, बीजेपी - 83,068 वोट
3- दीघा : संजीव चौरसिया, बीजेपी - 97,044 वोट
4- जमालपुर : अजय कुमार सिंह, कांग्रेस - 57,196 वोट
5- आरा : अमरेंद्र प्रताप सिह, बीजेपी - 71781 वोट
6- भागलपुर : अजीत शर्मा, कांग्रेस - 65502 वोट
7- मुंगेर : प्रणव कुमार, बीजेपी - 75,573 वोट
8 - वारसलीगंज : अरुणा देवी, बीजेपी - 62,451 वोट
9 - अस्थावां : जितेंद्र कुमार, जदयू - 51,525 वोट
10- शाहपुर : राहुल तिवारी, राजद - 64,393 वोट
11- गया शहरी : प्रेम कुमार, बीजेपी - 66932 वोट
12- बिहार शरीफ : डॉ. सुनील कुमार, बीजेपी - 81888 वोट

2015 बनाम 2020 : जीत में बड़ा अंतर

2015 में पटना जिले की 3 सीटों- कुम्हरार, बांकीपुर और दीघा में मतदान प्रतिशत 2020 के मुकाबले कुछ बेहतर था। तीनों सीटों पर क्रमश: 38.4%, 40.3% व 42.7% वोटिंग हुई थी। लेकिन 2020 आते-आते यह सीधे गिरकर 35 से 37% तक चला गया। यानी लगभग 15% की गिरावट। दिलचस्प यह है कि कम टर्नआउट के बावजूद बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा, जबकि महागठबंधन पूरी तरह से वोटर टर्नआउट पर निर्भर है। इसके अलावा बाकी 9 सीटों पर वोट प्रतिशत 50 फीसदी के आसपास बना रहा।

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