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पहले फेज की नामांकन तारीख बीती, लेकिन महागठबंधन में तय नहीं हो पाया सीट शेयरिंग फॉर्मूला

बिहार में पहले फेज की नामांकन तारीख की अंतिम तिथि बीत चुकी है, लेकिन महागठबंधन में तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। जानिए, किन-किन सीटों पर राजद, कांग्रेस, वामदल और वीआईपी के प्रत्याशी आमने-सामने हैं।

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Oct 18, 2025
महागठबंधन के नेता (Photo - ANI)

Bihar elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के लिए नामांकन की तारीख (17 अक्टूबर) बीत चुकी है, लेकिन विपक्षी महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अभी तक तय नहीं हो पाया है। कई सीटों पर राजद, कांग्रेस, वीआईपी और वामदल के गठबंधन आमने-सामने हैं।

राजद नेता तेजस्वी यादव और वीआईपी नेता मुकेश सहनी। (फोटो- IANS)

121 सीटों पर महागठबंधन के 125 उम्मीदवार

फर्स्ट फेज के 121 सीटों पर महागठबंधन के 125 प्रत्याशियों ने नामांकन किया। 121 में राजद ने 72, कांग्रेस ने 24, लेफ्ट ने 21, वीआईपी ने 6 और आईआईपी ने 2 सीटों पर नामांकन भर दिया है। वैशाली, तारापुर, बछवाड़ा, गौरा बौड़ाम, लालगंज, कहलगांव, राजापाकड़, रोसड़ा, बिहारशरीफ, वारिशलीगंज में महागठबंधन के प्रत्याशी आमने सामने हैं। वैशाली में राजद ने अजय कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस से संजीव कुमार चुनावी ताल ठोक रहे हैं। तारापुर से अरुण शाह और VIP सकलदेव बिंद चुनावी मैदान में हैं। बछवाड़ा से CPI के अवधेश राय और कांग्रेस के गरीब दास चुनावी मैदान में हैं।

राजेश कुमार राम। फोटो- सोशल मीडिया कांग्रेस

गौरा बोराम से सहनी के भाई के खिलाफ राजद ने उतारा प्रत्याशी

गौरा बोराम में राजद से अफजल अली और VIP के संतोष सहनी चुनावी मैदान में हैं। लालगंज में राजद से शिवानी शुक्ला और कांग्रेस के आदित्य राजा चुनाव लड़ रहे हैं। कहलगांव से रजनीश यादव और कांग्रेस के प्रवीण कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं। राजापकाड़ से सीपीआई के मोहित पासवान और कांग्रेस की प्रतिमा दास, रोसड़ा से सीपीआई के लक्ष्मण पासवान और कांग्रेस के बीके रवि, बिहारशरीफ में सीपीआई के दीप प्रकाश के सामने कांग्रेस के उमर खान चुनावी मैदान में है। वारसिलीगंज में राजद की अनीता देवी और कांग्रेस के मंटन सिंह चुनावी मैदान में है। आलमनगर सीट पर नबीन कुमार ने RJD-VIP के सिंबल पर नॉमिनेशन किया है।

Bihar News: फाइल फोटो, दीपांकर भट्टाचार्य

महागठबंधन में दिलों का मेल नहीं: मनोज तिवारी

भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने तंज कसा, "महागठबंधन में दिलों का मेल ही नहीं, सिर्फ सत्ता की लालसा है। एनडीए ने पहले ही सब तय कर लिया।" राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह देरी महागठबंधन की कमजोरी दिखा रही है।

बीजेपी सांसद मनोज तिवारी (फोटो-IANS)

हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि लैंड फॉर जॉब मामले में लालू परिवार पर 13 अक्टूबर को फैसला आना था। शायद राजद इसी का इंतजार कर रही थी। कुल मिलाकर, नामांकन बीतने के बाद महागठबंधन को अब नाम वापसी के जरिए नुकसान सुधारना होगा। यदि फ्रेंडली फाइट बढ़ी, तो विपक्षी वोट बंट सकता है। एनडीए की मजबूती के बीच यह चुनाव बिहार की सियासत को नया मोड़ दे सकता है।

Published on:
18 Oct 2025 11:57 am
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