110 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए यात्रा ने करीब 1,300 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया।
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा पटना में सोमवार को अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई। यात्रा के अंतिम दिन तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता और सांसद यूसुफ पठान व वरिष्ठ नेता ललितेश पति त्रिपाठी इसमें शामिल हुए। इससे साफ हो गया कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी वोट चोरी के मुद्दे पर INDIA Bloc के साथ है। राजनीतिक पंडित वोटर अधिकार यात्रा से ममता बनर्जी के जुड़ने को महागठबंधन की ताकत बढ़ने के तौर पर देख रहे हैं। उनके मुताबिक स्टालिन, अखिलेश यादव समेत दूसरे बड़े नेता भी यात्रा में शामिल हुए थे, जिससे विपक्षी एकजुटता का बड़ा प्रदर्शन देखने को मिला है।
टीएमसी सांसद यूसुफ पठान ने कहा कि हमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने यात्रा में शामिल होने का निर्देश दिया है। हम बतौर प्रतिनिधि यहां आए हैं और INDIA ब्लॉक के नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। त्रिपाठी ने कहा कि यह सिर्फ बिहार का मुद्दा नहीं है। यह वोट चोरी का मामला हर राज्य में धीरे-धीरे सामने आएगा। हमारी जिम्मेदारी है कि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवाज उठाएं।
राहुल गांधी की 16 दिन तक चली यात्रा में कभी अखिलेश यादव तो कभी प्रियंका गांधी वाड्रा, तो कभी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने साथ दिया। इसके अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुख्खू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी यात्रा में शामिल हुए।
18 अगस्त को ससाराम से शुरू हुई यह यात्रा राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की संयुक्त रैली से आरंभ हुई थी। उसके बाद यात्रा औरंगाबाद, गया, सिवान समेत बिहार के 25 जिलों से गुजरी। इस दौरान 110 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए यात्रा ने करीब 1,300 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया। कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने इसे लोकतंत्र को बचाने वाली उम्मीद की किरण करार दिया।
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी के साथ आने का असर सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं बल्कि रणनीतिक भी है। भले ही तृणमूल कांग्रेस (TMC) का बिहार में आधार कमजोर है, लेकिन ममता बनर्जी की राष्ट्रीय पहचान और फाइटर वाली छवि महागठबंधन को अतिरिक्त मजबूती देती है। खासकर जब वे राहुल गांधी और अखिलेश यादव जैसे नेताओं के साथ एक ही मंच पर खड़ी होती हैं, तो यह संदेश जाता है कि पूरा विपक्ष वोट चोरी जैसे मुद्दों पर एकजुट है।
बिहार में यह कदम दो स्तर पर असर डाल सकता है। पहला, यह विपक्षी मतदाताओं में भरोसा जगाता है कि INDIA Bloc जमीनी स्तर पर सक्रिय है। दूसरा, यह राष्ट्रीय पटल पर बिहार को केंद्र में लाता है, जहां से 2024 के चुनावी नैरेटिव को धार दी जा सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बीजेपी को चुनौती देने के लिए विपक्ष को नेरेटिव डेवलप करना होगा और ममता की मौजूदगी उसे ताकत देगी। भले ही TMC का वोट बैंक बिहार में न हो, लेकिन विपक्षी एकजुटता का यह प्रदर्शन मतदाताओं में यह धारणा मजबूत कर सकता है कि लड़ाई अकेले कांग्रेस की नहीं, बल्कि पूरे देश की लोकतांत्रिक ताकतों की है।