माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की लिखित परीक्षा में 40 प्रतिशत से कम परिणाम देने वाले शिक्षकों गाज गिर सकती है।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान में प्रायोगिक परीक्षा व सत्रांक के अतिरिक्त केवल लिखित परीक्षा में 40 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त परीक्षार्थी की सूचना शाला दर्पण पोर्टल पर दर्ज करवाई गई है। इसके आधार पर 40 प्रतिशत से कम परिणाम देने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की जा सकती है।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा दसवीं व बारहवीं की 80 अंकों की लिखित परीक्षा में 40 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या शाला दर्पण के बोर्ड परीक्षा परिणाम मॉडयूल टेब में दर्ज करवाई गई है। यह सूचना अध्यापकवार लिखी गई है।
इसमें पेंच यह है कि इन 40 प्रतिशत अंकों में अर्द्धवार्षिक व अन्य परखों के मिलने वाले 20 प्रतिशत सत्रांक शामिल नहीं हैं। जबकि बोर्ड परीक्षा परिणाम सत्रांक मिलाकर ही बनाया जाता है। शिक्षकों का कहना है कि केवल लिखित परीक्षा को आधार बनाकर कम अंक आंकना गलत है। शिक्षक पर कार्रवाई करना भी उचित नहीं है।
लिखित परीक्षा को आधार बनाकर कम परिणाम आंकना गलत है। इसमें सत्रांक भी शामिल किए जाने चाहिए थे। वह अंक भी विद्यार्थी पूरे राजस्थान में एक परीक्षा देकर अर्जित करता है।
— अमरजीतसिंह, प्रदेश मंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ, राष्ट्रीय
बोर्ड परीक्षा में प्रायोगिक परीक्षा व सत्रांक के अतिरिक्त केवल लिखित परीक्षा में 40 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त परीक्षार्थी की सूचना शाला दर्पण पोर्टल पर दर्ज करवाई गई है। सत्रांक के अलावा 40 प्रतिशत से कम अंक आने पर शिक्षक पर कार्रवाई की जानी बताया गया है। जबकि न्यून परीक्षा परिणाम की गणना में सत्रांक तथा लिखित परीक्षा को अलग-अलग नहीं किया जाता है। स्थानीय परीक्षाओं में विद्यार्थियों को अपनी स्कूल के माहौल में परीक्षा देनी होती है। इससे उनमें आत्मविश्वास अधिक रहता है। इससे सत्रांक में अंक अधिक आते हैं। सत्र 2024-25 में अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं पूरे राजस्थान में एक जैसे पेपर से एक ही टाइम टेबल से करवाई गई थी। उसके प्राप्तांकों के आधार पर मिले हुए सत्रांक को महत्व नहीं देना गलत है।
महेन्द्र पाण्डे, मुख्य महामंत्री, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ