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बड़ी खबर: फिल्म मेकर के ‘एक IDEA’ से बदली एमपी के गांवों की तस्वीर, लखपति बन रहे ‘बैगा आदिवासी’

MP News: एमपी के अनूपपुर के युवा संजय पयासी एक दशक से प्राकृतिक धरोहर और जनजातीय संस्कृति संजो रहे, फिल्म मेकर रहे संजय ने कीं यात्राएं, गांवों की खूबसूरती देख आया आइडिया, बदल दी गांवों की तस्वीर, बैगा जनजाति की तरक्की, गांवों के विकास की ये कहानी आपकी भी हो सकती है प्रेरणा... क्या आपके पास भी है मड हाउस जैसा कोई नया और यूनीक आइडिया?

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Sep 29, 2025
MP News Idea changed the world: मड हाउस में आदिवासियों की परंपरा-संस्कृति देख सैलानियों के चेहरे खिल उठते हैं।(फोटो: पत्रिका)

MP News: शुभमसिंह बघेल@पत्रिका। अमरकंटक के आदिवासी अंचलों को नई दिशा में मिल रही है। अनूपपुर के युवा संजय पयासी एक दशक से प्राकृतिक धरोहर और जनजातीय संस्कृति संजो रहे हैं। फिल्म मेकर रहे संजय ने यात्राओं में महसूस किया कि इलाका खूबसूरत तो है, लेकिन कोई काम नहीं हुआ।

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प्रशासन की मदद से वंचित गांवों में बनाई 10 समिती, मड हाउस से बढ़ा पर्यटन

संजय ने बुनियादी सुविधाओं से वंचित गांवों में प्रशासन की मदद से ग्रामीणों की 10 समिति बनाईं। अमरकंटक क्षेत्र के लमना, झोझा, सोन बचरवार और ठाड पठरा (मां नर्मदा का विवाह स्थल) जैसे गांवों में चार मड हाउस (पर्यटन गांव) बनाए। यहां हर माह सैकड़ों पर्यटक ठहर रहे हैं। समितियों को हर माह 50 हजार आय हो रही है। आइजीएनटीयू विवि के पर्यटन विभाग से मिलकर युवाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है।

MP News Innovative Idea can change the world(बैगा थाली: फोटो: सोशल मीडिया)

पनीर से परंपरागत स्वाद की ओर लौटे

आदिवासी पर्यटन गांवों में आने वाले पर्यटकों को कोदो-कुटकी, भाजी, कुरकुट की सब्जी, पतौरा रोटी-पकरी भाजी जैसे पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद मिला तो उन्हें खूब पसंद आया। इससे आदिवासी समुदाय भी पारंपरिक भोजन की ओर लौटने लगा। पहले पनीर और आधुनिक भोजन की ओर झुकाव बढ़ रहा था। अब थाली में फिर आदिवासी खानपान लौट आया है।

हर माह ट्रैकिंग से कम हुईं शिकार की घटनाएं

एमपी के शहडोल के अमरकंटक में पहले शिकार व जंगलों की कटाई आम थी। अब ट्रैकिंग व साल में दो बार बायोडायवर्सिटी सर्वे से हालात बदल रहे हैं। ग्रामीणों को बतायालो ग जंगल देखने आ रहे हैं, इसे बचाना अपनी जिम्मेदारी है। इससे शिकार की घटनाएं कम हुईं।

इसलिए खास है अमरकंटक क्षेत्र

- अमरकंटक नर्मदा का उद्गम स्थल। यहां दुर्लभ जैव विविधता है।

- बैगा व गोंड समाज की कला-संस्कृति और जीवनशैली खास आकर्षण है

- किरर के जंगल में औषधियों के साथ उडऩ गिलहरी व कई दुर्लभ वन्यजीव हैं।

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Published on:
29 Sept 2025 09:52 am
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