
MP news: मिठाइयां देखकर आपका भी ललचा गया मन...तो रुकिए, और जरूर पढ़िए patrika.com की ये खास खबर...
MP News: संजना कुमार@patrika.com त्योहारों के दिन हैं घरों में दिये जल रहे हैं। दीपावली और फिर ग्यारस दियों की रौशनी जगमगाती नजर आएगी। इन झिलमिलाते दियों के बीच अगर आपको किसी घर में गुजिया, मोदक, मिट्टी के कुल्हड़ में रखी गुलाब के फूलों से सजी लस्सी भी जलती नजर आए तो चौंकिएगा नहीं… क्योंकि ये भी मोमबत्तियां ही हैं… फर्क बस इतना है कि इन्हें देखते ही मुंह में पानी आ जाता है, जो रोशनी ही नहीं देतीं, खुशबुओं से आपका घर भी महका देती हैं।
कमाल का ये क्रिएशन है लीशा सग्गर का। भोपालकी रहने वाली लीशा इतनी क्रिएटिव हैं, कि उन्होंने अपनी एचआर की बड़े पैकेज वाली जॉब छोड़ने का एक्स्ट्रीम रिस्क ले लिया। क्योंकि वो हमेशा से ही सोचती थीं कि वो खुद अपना क्रिएटिव वर्क शुरू करेंगी और आगे बढ़ेंगी।
लीशा कहती हैं कि उन्हें कुछ नया कुछ क्रिएटिव करना था, लेकिन कोई प्लानिंग नहीं थी कि क्या करेंगी? डेढ़ से दो साल एचआर की जॉब करते हुए ही यू-ट्यूब पर भी सर्चिंग करती रहीं, वहीं से आइडिया (MP news) आया। फिर उस पर प्रैक्टिस शुरू की, एक्सपेरिमेंट किए। कहीं से कोई ट्रेनिंग नहीं ली। और इस काम को आगे बढ़ाते हुए, वर्कशॉप्स लेना शुरू की, एग्जिबिशन में स्टॉल लगाने लगीं।
वर्कशॉप पर काम करते हुए ही, लोगों ने उनसे इन्हें खरीदना भी शुरू कर दिया। उनका क्रिएशन आज कई लोगों की क्रिएटिविटी को दिखाने और उसे निखारने के साथ ही खुद का बिजनेस करने का आइडिया भी दे रहा है।
लीशा बताती हैं कि वे अपनी क्रिएटिविटि को साकार करने के लिए लोकल लोगों से ही सामान खरीदती हैं। मिट्टी के कुल्हड़ से लेकर लकड़ी की टोकरियां, कांच के गिलास या बाउल, जो भी मटेरियल उन्हें चाहिए, वे सड़क पर बैठकर सामान बेचने वालों से, ठेले व थड़ी से खरीदती हैं, ताकि आमदनी बढ़ाने में उनकी मदद भी कर सकें। वहीं मिट्टी के सिरेमिक वगैरह तो सब हो गया, लेकिन मिट्टी के दियों का हिंदु धर्म में बहुत महत्व है। इसीलिए मैंने मिट्टी के सामान को यूज करना ही प्रैफर किया।
इन कंदील की खासियत बताते हुए लीशा कहती हैं कि इसका मेन बेस सोयाबीन वैक्स है, जो पूरी तरह से ईको फ्रेंडली है। सेहत के लिए भी बिल्कुल सुरक्षित। वहीं पैराफिन वैक्स के दिये या कैंडल्स पॉल्यूशन करते हैं। वहीं 20 ग्राम की छोटी सी भी कंदील 6-7 घंटे जलती है। जबकि कॉमन यूज होने वाली वैक्स से बनी कैंडल या दिया 2-3 घंटे में ही बुझ जाती है। बाजार में उपलब्ध विदेशी या ब्रांडेड प्रोडक्ट से कंदील काफी सस्ता है।
दिये या कैंडल की शेप ही नहीं, बल्कि हिंदू ट्रेडिशनल स्वीट डिशेज, लस्सी के गिलास, जार कंदील, बुके कंदील। डिफरेंट शेप्स, मॉल्ड और साइज के साथ ही खूबसूरत रंगों और फूलों वाली ये कंदील साइंस और ब्यूटी का बजट फ्रैंडली सेंटेड कॉम्बिनेशन है। लीशा कहती हैं कि उनके प्रोडक्ट किसी एक क्लास के लिए नहीं, बल्कि हर भारतीय के घर के लिए है, इसीलिए अफोर्डेबल भी हैं।
सोशल वर्क और एचआर स्पेशलाइजेशन में मास्टर्स करने वाली लीशा का ये प्रोडक्ट पीएम मोदी के स्वदेशी अपनाओ अभियान को रीप्रजेंट करता है। वे कहती हैं कि उन्होंने इसे 'कंदील बाय क्ले कला' नाम दिया है, जिसका हिंदी अर्थ होता है कागजी या मिट्टी का दिया, जो रोशनी के साथ ही सजावट का प्रतीक भी है। अंग्रेजी के कैंडल शब्द सा प्रतीत होता है।
तो अगर आप भी क्रिएटिव हैं और आपको खुद पर भरोसा है, तो लीशा की तरह आप भी अपना इनोवेशन और क्रिएशन का बाजार खड़ा कर सकते हैं। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन आपका बिजनेस आइडिया काम जरूर कर जाएगा, हो सकता है आपकी किस्मत चमक जाए और लाइफ बदल जाए।
Updated on:
25 Sept 2025 07:54 pm
Published on:
25 Sept 2025 05:26 pm
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