MP news: टॉप-5 राज्यों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और उत्तर प्रदेश हैं। इनमें से महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश तो पड़ोसी ही हैं। आज मध्य प्रदेश 70वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। ऐसे में इन टॉप 5 में जगह बनाने के लिए हमें और तेज औद्योगिक विकास, कृषि क्षेत्र में उपलब्ध सामग्रियों की अपनी जमीं पर प्रोसेसिंग करनी होगी
MP News: 1 नवंबर 1956… वह दिन है, जब अपना मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया। कल-कल करती नर्मदा यहां जीवन को सींचती आगे बढ़ती है और भाल बना विंध्याचल दमक रहा है। ताप्ती और बेतवा का इतिहास पावन है और उर्वर भूमि, सघन वन और रत्न संपदा यहां अशेष हैं। यही वह धरती है, जहां श्रीकृष्ण को ज्ञान और हमें महाकाल को तिलक लगाने का वरदान मिला। अपनी स्थापना के 69 वर्षों में मध्य प्रदेश के ललाट पर कई रत्न जड़े। टाइगर स्टेट, चीता स्टेट, कृषि प्रधान राज्य जैसी कई उपलब्धियां एमपी हिस्से आईं। इसके बाद भी हम आर्थिक मोर्चों पर सबसे तेज दौड़ने वाले राज्यों में 10वें पायदान पर ही खड़े हैं।
टॉप-5 राज्यों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और उत्तर प्रदेश हैं। इनमें से महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश तो पड़ोसी ही हैं। आज मध्य प्रदेश 70वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। ऐसे में इन टॉप 5 में जगह बनाने के लिए हमें और तेज औद्योगिक विकास, कृषि क्षेत्र में उपलब्ध सामग्रियों की अपनी जमीं पर प्रोसेसिंग करनी होगी। ताकि दुनियाभर में हम 'देश के दिल' के उत्पाद भेज सकें। खनिजों का बेहतर दोहन करना होगा। स्वास्थ्य-शिक्षा और आइटी क्षेत्र में बेंगलुरू की तरह मजबूती के साथ सरकारी दावों को हकीकत में बदलना होगा। तभी देश के दिल की तस्वीर मोहिनी होगी।
कृषि फसल क्षेत्र का प्राथमिक क्षेत्र के तहत योगदान 30.90 फीसदी रहा। प्रचलित भाव पर यह 10.8 फीसदी बढ़ा। हालांकि स्थिर भाव में 1.6 फीसदी की वृद्धि हुई। राज्य कृषि से मिलने वाली कच्ची सामग्री का हब है, लेकिन प्रोसेसिंग में पिछड़ा है। प्रोसेसिंग से नया सेक्टर तैयार होगा।]
2023-24 के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में 1.2 करोड़ टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ। इसकी प्रोसेसिंग की जा सकती है। सोया मील, पशु चारा मसलन डेयरी और पोल्ट्री के लिए किया जा सकता है।
औद्योगिक गतिविधियों में शुरू से पिछड़े रहे मध्य प्रदेश में समय के साथ हालात बदले। 2024-25 के आंकड़े बताते हैं कि कुल निर्यात मूल्य 66,218 करोड़ पहुंच गया। यह पिछले साल से 6 फीसदी ज्यादा है। विशेष आर्थिक क्षेत्र से आइटी समेत निर्यात 70256 करोड़ रहा।
बीते दो साल में 30 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। कुछ को जमीन पर उतारने की कवायद शुरू हो गई, लेकिन कई को उतारने में तेजी लाने की जरूरत है।
विज्ञान-प्रौद्योगिकी विभाग को 472.28 करोड़ रुपए का बजट मिला। राज्य में 10 आइटी पार्क और 4 आइटी एसईजेड विकसित किए। 4895 से अधिक मान्यतात प्राप्त स्टार्टअप हैं, लेकिन आइटी के क्षेत्र में बेंगलुरू की तरह काम करने की जरूरत है।
दूध उत्पादन में एमपी तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। 2023-24 के आंकड़ों के मुताबिक दूध उत्पादन में एमपी का योगदान 8.91% है। यह दैनिक 59,100 टन प्रति वर्ष के बराबर है। लेकिन अपनी प्रोसेसिंग क्षमता न होने से लाभ नहीं मिल रहा है। अब एनडीडीबी से करार हुआ है।
व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा में देरी से प्रयास के कारण एमपी के बच्चे बाहर जा रहे हैं। उन्हें रोकने और बाहर के युवाओं को आकर्षित करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में काम करने की जरूरत है। नई शिक्षा प्रणाली भी बेहतर करनी होगी।
एमपी की करीब 8.82 करोड़ आबादी का 65% हिस्सा युवा है। यानी 5.73 करोड़ युवाओं के दम पर विकास की रूप रेखा बनानी होगीष बताते हैं कि अभी 26 लाख पंजीकृत बेरोजगार हैं। उन्हें नौकरी, रोजगार से जोड़कर राज्य के विकास से जोड़ना होगा।
एमपी देश के केंद्र में है। इसके बाद भी हम इसका आर्थिक लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। लॉजिस्टिक में सशक्त उपस्थिति के लिए राज्य में परिवहन सुविधाओं के विस्तार की जरूरत है। ताकि परिवहन को गति दी जा सके।
प्रदेश ने स्वास्थ्य-मेडिकल शिक्षा में कदम बढ़ाए हैं। फिर भी सितंबर में जारी एसआरएस 2023 के अनुसार एमपी में मातृ मृत्यु दर 142 प्रतिलाख और शिशु मृत्यु दर 142 प्रति लाख है। यह देश में सबसे ज्याद है। इसे सुधारने के लिए जमीन पर काम करना बड़ी चुनौती है।
वाइल्डलाइफ पर्यटन के भरपूर केंद्र, लेकिन वैश्विक ब्रांडिंग कमजोर है। पर्यटकों को रिझाने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन में आगे होने के बाद भी एयर कनेक्टिविटी की जरूरतें भी पूरी नहीं हो रही हैं।
वर्ष 2023-24 में खनिड उत्पादन मूल्य पिछले वर्ष से 16.71% अदिक रहा है। माइनिंग कॉन्क्लेव 2024 में 19250 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले। खनीज के भंडार हैं। प्रदेश में हीरे की खदानें हैं, लेकिन जेवर बनाकार गुजरात मुनाफा कमा रहा है। प्रदेश में ही जेवर बने तो राज्य के विकास को लगेंगे पंखे।