MP Wildlife: वाइल्ड लाइफ वीक आज संपन्न हो गया। थोड़ी फुर्सत में आए वाइल्डलाइफ अधिकारी और कर्मचारी (wildlife warriors), उनसे हमने बातचीत की, कई सवाल पूछे, जैसे- जंगल में क्या है उनकी ड्यूटी? जंगल में काम कैसे करते हैं? खतरों से आमना-सामना, कुल मिलाकर हर दिन नया चैलेंज… patrika.com की खास डिजिटल सीरीज 'Wildlife के असली हीरो...'
MP Wildlife real hero: संजना कुमार@patrika.com: दुनिया भर में रिच वाइल्डलाइफ के लिए जाने पहचाने जाने वाले देश के दिल मध्यप्रदेश के जंगलों में रात सिर्फ अंधेरा नहीं लाती… एक उम्मीद की लौ भी साथ ले आती है… जिसे जलाए रखते हैं कुछ लोग… जिन्हें शायद आप और हम नाम से और न ही उनके काम से जानते हों… लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इनके बिना जंगल... जंगल नहीं रहेंगे, ये बाघ, चीते, हिरण… कहानियों का हिस्सा बन जाएंगे… वाइल्डलाइफ इनके बिना दम तोड़ देगी… patrika.com आज से आपको लेकर जा रहा है वाइल्डलाइफ (Wildlife real hero) के इन्हीं वॉरियर्स (Wildlife Worriers)के पास, जो पगमार्क के निशानों को ऐसे पढ़ते हैं, जैसे कोई इश्कनामे के अल्फाजों को पढ़ता है। जो बारिश में गाड़ियां फंसने पर भी हंसते-खिलखिलाते हैं, क्योंकि उनके लिए हर रास्ता, हर गड्ढा, हर कीचड़ एक मिशन है।
मध्यप्रदेशआज टाइगर स्टेट, चीता स्टेट, लेपर्ड स्टेट, वुल्फ स्टेट, वल्चर स्टेट कहलाता है, लेकिन असल में टाइगर, चीते वो नहीं जो जंगल में घूम रहे हैं… बल्कि वो हैं जो इन घने-गहराते जंगलों के बीच रहते हुए परिवार, रिश्ते-नाते तो दूर की बात… खुद को भूलकर सिर्फ एक शब्द याद रखते हैं Wildlife…
कभी रेडियो कॉलरिंग की रातें, कभी डेटा कलेक्शन की सुबह, कभी जहर से मरे जानवरों का पोस्टमार्टम, तो कभी गांव में घुस आए तेंदुओं को बचाने की जंग, इनके दिन की शुरूआत भले ही एक चुनौती और खतरे के साथ होती है, लेकिन खत्म आत्मसंतोष पर होती है। ये कोई डॉक्यूमेंट्री नहीं… ये है Wildlife के असली होरो… एक डिजिटल सीरीज जो उन वैज्ञानिकों, रेंजर्स, वाइल्डलाइफ हेल्थ एक्सपर्ट्स और फॉरेस्ट टीम की रियल लाइफ कहानियां हैं… जो बताएंगी आधुनिकता, सभ्यता-संस्कृति से दूर धरती के सच्चे काम में जुटे हैं, वाइल्ड लाइफ के जरिये जिंदगियां बचाने में जुटे हैं…
क्योंकि जब कोई पूछे देश के असली हीरो कौन हैं? तो इसका जवाब स्पष्ट होना चाहिए… वो जो जंगलों के बीच खड़े हैं… जिनकी सांसें जंगलों, उनकी मिट्टी, मेहनत और मिशन की खुश्बुओं से महकती हैं…
तो आइए आज हम चलते हैं 'Wildlife के असली हीरो' के पास… patrika.com की 'Wildlife के असली हीरो' सीरीज के एपिसोड वन में… जिसमें आप जानेंगे जंगल में विज्ञान का क्या काम…?
...बारिश के मौसम ने जंगल के इन रास्तों को कीचड़ में तब्दील कर दिया है… इस कीचड़ के बीच गाड़ियों की हेडलाइट किसी उम्मीद का प्रतीक तारे की तरह टिमटिमाती नजर आ रही है। और…
और इस सबके बीच है एक टीम… अपने कैमरा ट्रैप्स और रेडियो कॉलरिंग इक्विपमेंट के साथ… टीम का हर मेंबर खुशी और जोश से सराबोर है… टीम के लीडर वैज्ञानिक डॉ. अनिरुद्घ मजूमदार हैं। वो वैज्ञानिक जो पिछले 20 साल से वाइल्डलाइफ को करीब से देखते आ रहे हैं। उनका और जंगलों का रिश्ता अब इस कदर मजबूत हो गया है कि वे जंगल की भाषा आसानी से समझ लेते हैं।
आप और हम अब तक विज्ञान को किसी लैब की दीवारों में, किसी टेस्ट ट्यूब में देखते समझते आए हैं… लेकिन अनिरुद्ध विज्ञान को जंगलों की मिट्टी में, एमपी के जंगल के राजा टाइगर, वल्चर, लेपर्ड के साथ ही हर छोटे-बड़े वन्यजीव में ढूंढ़ते नजर आते हैं। जहां मोबाइल का नेटवर्क गायब होता है, असल में उनका मिशन (MP Wildlife) वहीं से शुरू होता है…।
जब हम-आप और हमारे शहरों के लोग आधी नींद ले चुके होते हैं… वहां जंगल आधुनिक रोशनी, सभ्यता-संस्कृति के बीच खुशियों के प्रतीक झिलमिलाते दियों की रोशनी से दूर, अंधेरे रास्तों में एक टॉर्च की रोशनी में अनिरुद्ध और उनकी टीम की वैज्ञानिक सोच शुरू हो जाती है।
ये कहानी सिर्फ एक वैज्ञानिक की नहीं है… ये कहानी उस जज्बे की है, ये कहानी उस सपने की है, जो सुविधाओं से नहीं उम्मीद से जिंदा रहता है…
जब मानसून के सीजन में गाड़ियां फंसती हैं… जब बारिश में कैंप की छत टपकती है…जब रोटियां ठंडी और रातें लंबी घनी अंधेरी हो चलती हैं… इनका जज्बा, इनका जोश तब भी नया रहता है… इनके कदम तब भी नहीं रुकते…क्यों..? क्योंकि ये जानते हैं कि इनका दिया हर आंकड़ा, इनका हर ट्रैक, इनका डाटा रिकॉर्ड, किसी बाघ, किसी तेंदुए की अगली सांस का मजबूत भरोसा बन सकता है…
डॉक्टर अनिरुद्ध मजूमदार कहते हैं कि हम लोग वो हैं, जो भले ही जानवरों की भाषा नहीं जानते, लेकिन उनकी चुप्पी को सुनना सीख गए हैं…। और शायद यही कारण है कि वो जंगलों में रिसर्च नहीं करते, बल्कि उसे महसूस करतै हैं। उनकी टीम के मेंबर्स सिर्फ स्टाफ नहीं होते, बल्कि वो उस परिवार का हिस्सा है, जिसका मिशन है धरती के हर जीव की जिंदगी बचाना… यानी धरती की जैव विविधता को बचाने का जिम्मा… अब सोचिए जरा… जंगल हैं तो हम हैं…।
ये है वाइल्ड लाइफ के असली हीरो (Wildlife Real Hero) की पहली कहानी… जहां हर बाघ के पीछे वैज्ञानिक की आंख, एक फॉरेस्ट गार्ड का साहस और एक टीम का समर्पण… जिसके लिए कोई तालियां नहीं बजाता, कोई कैमरा इन्हें सामने नहीं लाता। लेकिन फिर भी ये लोग हर दिन, हर रात जंगल की हिफाजत में लगे हैं। और शायद इसीलिए कहा जाता है कि असली हीरो वो नहीं जो दिखता है, असली हीरो तो ये हैं… जो जंगल की खामोशियों में सांस लेते हैं…ताकि जंगलों के साथ हमारे दिल भी धड़कते रहें।