Toll Booth Violence: 2020-24 में एनएच पर टोल बूथ पर 4,500 मारपीट की घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें उत्तर प्रदेश (1,200), राजस्थान (900), और हरियाणा (800) शीर्ष पर रहे।
जयपुर। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने खराब राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर टोल वसूली को गलत बताते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को कड़ी फटकार लगाई है। पिछले पांच वर्षों में हादसों और टोल बूथ पर हिंसा ने चिंता पैदा की है, जिस पर कोर्ट ने कार्रवाई की मांग की है।
पांच वर्षों में हादसे और नुकसान पर वित्त मंत्रालय और सड़क परिवहन मंत्रालय की 2020-24 की रिपोर्ट के अनुसार, देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर 2.5 लाख हादसे हुए, जिनमें 80,000 लोगों की मौत हुई और 2.3 लाख लोग घायल हुए। 2024 में 48,000 हादसों में 17,200 मौतें दर्ज की गईं।
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूली से लगभग 85,000 करोड़ की आय हुई। इसके बावजूद देश में 1.46 लाख किमी. एनएच में से 20 प्रतिशत (29,200 किमी) पर 80-100 किमी/घंटा की रफ्तार असुरक्षित है, खासकर खराब सड़कों, संकरे मोड़ के कारण।
2020-24 में एनएच पर टोल बूथ पर 4,500 मारपीट की घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें उत्तर प्रदेश (1,200), राजस्थान (900), और हरियाणा (800) शीर्ष पर रहे। जयपुर के एनएच-8 पर दौलतपुरा टोल बूथ और जोधपुर के एनएच-62 पर मोगरा टोल बूथ पर सबसे ज्यादा हिंसा (300 मामले) हुई। कुल 4,500 मामलों में से केवल 1,800 मामलों में एफआइआर दर्ज हुई और 1,200 लोगों के खिलाफ कार्रवाई (जुर्माना या गिरफ्तारी) हुई। राजस्थान में 500 लोगों को हिरासत में लिया गया, लेकिन 70 फीसदी मामले बिना सजा के लंबित हैं।
सड़क परिवहन मंत्रालय और आइआइटी दिल्ली की 2024 की स्टडी के अनुसार, 75.2त्न हादसे ओवरस्पीडिंग, 2.5त्न नशे में गाड़ी चलाने, और 10 प्रतिशत तकनीकी खामियों (गड्ढों, खराब साइनेज, टूटी डिवाइडर) के कारण हुए। राजस्थान में एनएच-8 पर जयपुर-उदयपुर खंड और एनएच-11 पर सीकर में खराब क्रैश बैरियर्स की वजह से 3,000 हादसे हुए। शराब के नशे में ड्राइविंग के मामले जोधपुर और अलवर में ज्यादा देखे गए।