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पटना में RLM चीफ उपेंद्र कुशवाहा की रैली आज, मिलर ग्राउंड में दिखाएंगे दम, क्या है उनकी हसरत?

Bihar Assembly Election 2025: उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) आज पटना के मिलर ग्राउंड में रैली को संबोधित करेंगे। इसे कुशवाहा का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। वह किसी भी सूरत में खुद को चिराग और माझी से कमतर नहीं आंकने देना चाहते हैं। पढ़िए पूरी खबर...

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Sep 05, 2025
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा। (फोटो- IANS)

Bihar Assembly Election 2025: बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। राजनीति एक बार फिर जात-पात के ईर्द-गिर्द घूमने लगी है। जातीय आईकॉन को लेकर सभाएं आयोजित की जाने लगी है। आज पांच सितंबर के दिन जगदेव प्रसाद कुशवाहा की शहाद दिवस के दिन राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) पटना के मिलर ग्राउंड में रैली करने जा रहे हैं। रालोम ने इसे परिसीमन रैली का नाम दिया है। सियासी गलियारे में इसे कुशवाहा का शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।

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खुद को कमतर नहीं दिखाना चाहते कुशवाहा

उपेंद्र हर हाल में NDA में अधिक से अधिक सीट पाना चाहते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि NDA में कुशवाहा के खाते में अधिकतम 6-10 सीटें आ सकती हैं। उपेंद्र भले ही लोकसभा चुनाव हार गए हों, लेकिन विधानसभा चुनाव में किसी भी सूरत में अपने को चिराग और मांझी से कमतर नहीं दिखाना चाहते हैं।

कोइरी समाज पारंपरिक रूप से NDA का वोटर

दरअसल, उपेंद्र जिस समाज कुशवाहा समाज से आते हैं। वह पारंपरिक रूप से NDA का कोर वोटर माना जाता है। नीतीश के लव-कुश फॉर्मूले में कुशवाहा अहम माने जाते हैं, लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में कुशवाहा समाज का एक धरा राजद के साथ चला गया। इस डेमेज को कंट्रोल करने के लिए बीजेपी ने लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजा।

2020 के विधानसभा चुनाव में बिगाड़ दिया था NDA का खेल

साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन औवेसी और बसपा प्रमुख मायावती ने ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट बनाया था। यह गठबंधन कुछ खास नहीं कर सका, लेकिन उपेंद्र कुशावाहा ने NDA का खेल जरूर बिगाड़ दिया था। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLP ने दिनारा और केसरिया सहित कई सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। RLP कुल 104 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और पार्टी को लगभग 2 फीसदी वोट मिले। उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के 13 उम्मीदवारों की हार का कारण बने। इसी कारण भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें इस बार नजरअंदाज करने का रिस्क नहीं लेना चाहती है।

नीतीश ने उपेंद्र को बनाया था नेता प्रतिपक्ष

साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) केंद्र में रेल मंत्री थे। उस समय उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाकर सूबे में लव-कुश यानी कुर्मी-कोइरी (कुशवाहा) समीकरण को मजबूत किया। जिसके बाद साल 2005 के विधानसभा चुनाव में यह प्रयोग बेहद सफल साबित हुआ। राजद के 15 साल के राज का नीतीश ने अंत किया।

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने लव-कुश समीकरण के सहारे सत्ता के सिंहासन पर काबिज हैं। इस समीकरण के कारण लव (कुर्मी) को जबरदस्त फायदा मिला, लेकिन कुश (कुशवाहा) धीरे-धीऱे उनसे नाराज होते चले गए। यही वजह रही कि उपेंद्र कुशवाहा ने 2011 में राज्यसभा और जदयू से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का गठन कर लिया। वह 2014 में जीतकर केंद्र में मंत्री बने, लेकिन 2019 के चुनाव से पहले NDA से अलग होकर महागठबंधन का हिस्सा बन गए थे। हालांकि, 2024 के आम चुनाव से पहले एक बार फिर उन्होंने NDA का दामन थाम लिया।

NDA और इंडिया गठबंधन दोनों की नजर कुशवाहा जाति पर

जातीय सर्वे के मुताबिक बिहार में कुशवाहा जाति की आबादी 4.27 फीसदी है। बीजेपी (BJP) ने सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाकर कुशवाहा समुदाय को संकेत दिया है। दूसरी तरफ, राजद (RJD) की नजर भी कुशवाहा समुदाय पर है। राजद ने औरंगाबाद से सांसद अभय कुशवाहा को लोकसभा में राजद संसदीय दल का नेता घोषित किया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में अभय कुशवाहा ने बीजेपी उम्मीदवार को हराया था। नीतीश की पार्टी जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा हैं।

2024 में लव-कुश वोट NDA से छिटका

CSDS-लोकनीति के सर्वे के मुताबिक लव-कुश (कोइरी-कुर्मी) समुदाय ने 2024 में NDA गठबंधन को 67 फीसदी वोट दिया, जोकि साल 2019 के आम चुनाव से 12 फीसदी कम है। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को लव-कुश समुदाय ने 19 फीसदी वोट किया, जो पिछले आम चुनाव से 9 फीसदी ज्यादा है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कोइरी (कुशवाहा) समुदाय ने एनडीए को 51% वोट दिए, जबकि सिर्फ 16% ने महागठबंधन को वोट दिया।

कौन थे बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा?

बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा समाजवादी धरे के बड़े नेता माने जाते थे। उन्होंने आजीवन गरीब और वंचित समाज की आवाज उठाई। जगदेव प्रसाद का जन्म 2 फरवरी 1922 को जहानाबाद में हुआ था। 5 सितंबर 1974 को शोषितों की अधिकार के लिए जब वह आंदोलन कर रहे थे। उस दौरान पुलिस की गोली से उनकी मौत हुई। उनका प्रसिद्ध नारा था- 'सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है, दस का शासन नब्बे पर नहीं चलेगा।

Published on:
05 Sept 2025 12:31 pm
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