संघ का तीन दिवसीय व्याख्यान दिल्ली में चल रहा है। इस दौरान संघ प्रमुख अपनी बात रख रहे हैं। RSS इस तीन दिवसीय सत्र के जरिए अपने वैचारिक सोच को वैश्विक स्तर पर पहुंचाना चाहता है। पढ़ें पूरी खबर...
Sangh will Complete 100 Years: 27 सितंबर 1925 को विजयाशमी के दिन संघ के पहले सर संघचालक केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी। संघ के शताब्दी वर्ष के मौके पर दिल्ली के विज्ञान भवन में तीन दिवसीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आज कार्यक्रम का तीसरा दिन है। पहले दो दिन सरसंघचालक मोहन भागवत ने संघ के इतिहास, हिंदुत्व, हिंदु राष्ट्र, अमेरिकी टैरिफ जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। पहले दिन उन्होंने कहा था कि हिंदू राष्ट्र शब्द का सत्ता से कोई मतलब नहीं है। आज वह कई अन्य मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे और कार्यक्रम में लोगों के सवालों का जवाब देंगे।
संवाद कार्यक्रम के दूसरे दिन यानी 27 अगस्त को सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि संघ जितना विरोध किसी संगठन का नहीं हुआ। फिर भी स्वयं सेवकों के मन में समाज के प्रति शुद्ध सात्विक प्रेम ही है। इसी प्रेम के कारण अब हमारे विरोध की धार कम हो गई है। उन्होंने अमेरिकी टैरिफ को लेकर बयान दिया। संघ प्रमुख ने कहा कि आत्मनिर्भरता जरूरी है। स्वदेशी चीजों का मतलब विदेशों से संबंध तोड़ना नहीं है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार चलेगा और किसी दवाब नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि नेक लोगों से दोस्ती करें और उन लोगों को नजरअंदाज करें जो नेक काम नहीं करते हैं। भागवत ने कहा कि जब लोग संघ में आकर पूछते हैं कि हमें क्या मिलेगा, तो हमारा जवाब होता है कि कुछ नहीं मिलेगा, जो तुम्हारे पास है वह भी चला जाएगा। फिर भी स्वयं सेवकों को निस्वार्थ सेवा करने के बाद जो सार्थकता मिलती है उसका आनंद अलग होता है।
RSS इस तीन दिवसीय सत्र के जरिए अपने वैचारिक सोच को वैश्विक स्तर पर पहुंचाना चाहता है। संघ ने अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, नेपाल, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका और मुस्लिम देशों सहित 50 से अधिक देशों के राजदूतों को आमंत्रित किया है। संघ ने एनडीए सहयोगी दलों के नेताओं को इस अहम कार्यक्रम में बुलाया। न्यायाधीशों को भी न्योता दिया।
साल 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से राष्ट्रीय स्वयं सेवक के एजेंडों पर तेजी से काम हुआ है। राम मंदिर निर्माण, धारा 370 को निष्प्रभावी करना उनमें सबसे प्रमुख हैं। इसके साथ ही, आरएसएस शिक्षा के माध्यम से भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने का समर्थक रहा है। सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 लागू की, जिसमें भारतीय भाषाओं और संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर है। विपक्ष इसे संघ के एजेंडे से जोरकर देखता है। साथ ही, आरएसएस लंबे समय से भारतीय संस्कृति और हिंदू एकता पर जोर देता रहा है। मोदी सरकार ने "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" अभियान और काशी तमिल संगमम जैसे आयोजनों के माध्यम से सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों को भी बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन मिला है।