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BIHAR ELECTION: क्या NDA में सीट शेयरिंग को लेकर बन गई बात, विश्वासपात्रों को लेकर नीतीश पहुंचे दिल्ली

Bihar Assembly Elections: सीएम नीतीश कुमार अपने दो सबसे बड़े विश्वासपात्र संजय झा और ललन सिंह को लेकर दिल्ली पहुंचे हैं। जदयू ने इसे निजी दौरा बताया है, लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा है कि नीतीश जल्द ही बीजेपी हाईकमान से मिलकर सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय कर सकते हैं।

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Nitish Kumar reached Delhi

दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार, सीट शेयरिंग पर हो सकती है चर्चा (Photo-IANS)

BIHAR ELECTION 2025: प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) बिहार में यात्रा कर रहे हैं। प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) भी पूरी ताकत झोकें हुए हैं। NDA में सीट शेयरिंग को लेकर बैठकों का दौर जारी है। बीते मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) अपने दो सबसे बड़े विश्वासपात्र केंद्रीय मंत्री ललन सिंह (Lalan Singh) और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा (Sanjay Jha) को लेकर दिल्ली पहुंचे। हालांकि, जदयू ने नीतीश के दौरे को निजी बताया है। पार्टी ने कहा कि नीतीश स्वास्थ्य जांच के लिए दिल्ली पहुंचे हैं, लेकिन ललन सिंह और संजय झा के साथ जाने को सीट शेयरिंग की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है।

नीतीश से मिले थे धर्मेंद्र प्रधान

इससे पहले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। इस दौरान उनके साथ बिहार बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, जनता दल (यूनाइटेड) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह भी मौजूद थे। दरअसल, धर्मेंद्र प्रधान बीजेपी में संकटमोचक की भूमिका अदा करते हैं। बीजेपी संग सहयोगी दलों के बीच समन्वय की जिम्मेदारी निभाते हैं।

सीट शेयरिंग को लेकर कहां फंसा है पेंच?

NDA में सीट शेयरिंग की पिक्चर पूरी तरह से साफ नहीं हो पाई है। NDA में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तान आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा जैसी पार्टियां ज्यादा सीटों की डिमांड कर रही है। लोजपा (रामविलास) 50, रालोम और हम (सेक्युलर) 20-20 सीटों की डिमांड कर रही है। जदयू भी गठबंधन में बीजेपी से अधिक सीटें चाहती है, ताकि सूबे में यह संदेश जाए कि वह अब भी बड़े भाई की भूमिका में है।

जदयू चाहती है बीजेपी से अधिक सीटें

कुछ समय पहले सियासी गलियारों में यह चर्चा उठी थी कि भाजपा और जदयू जहां 203 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है, वहीं अन्य छोटे सहयोगियों के लिए अधिकतम 40 सीटें छोड़ने का मन बनाया है। वहीं, भाजपा और जदयू में सीटों के बंटवारे को लेकर पुराने अघोषित नियम के तहत लोकसभा चुनाव में भाजपा (BJP) बड़े भाई की भूमिका में रहती है तो विधानसभा चुनाव में जदयू। इस नीति के तहत लोकसभा में भाजपा एक सीट ज्यादा लड़ती है तो विधानसभा में जदयू भी एक सीट ज्यादा लड़ती है।

सूत्रों के अनुसार इसी पुराने फॉर्मूले पर ही सहमति बनी तो भाजपा 101-102 और जदयू 102-103 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। हालांकि इस बार भाजपा की स्थानीय इकाई ज्यादा सीटें लड़ने के मूड में है, लेकिन गठबंधन की संवेदनशीलता के कारण फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा।

25 से 28 सीटें मिल सकती है लोजपा को

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा-जदयू छोटे दलों को छोड़ी गई 40 सीटों में से सबसे ज्यादा सीटें चिराग पासवान की लोजपा को देगी। लोजपा को 25 से 28, जीतनराम मांझी को 6 और उपेंद्र कुशवाहा को 4 से 5 सीट मिल सकती है। 2020 के चुनाव में चिराग पासवान एनडीए से अलग होने के कारण जदयू 115 और भाजपा 110 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। जदयू ने अपने खाते से 7 और भाजपा ने अपनी 11 सीटें मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी को दी थी। उस चुनाव में भाजपा 74 सीटों पर जीती थी, जबकि जेडीयू को सिर्फ 43 सीटों से संतोष करना पड़ा था।