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सिफारिश भाजपा में नहीं होती… ‘मोहन सरकार’ की तारीफ में क्या बोले हेमंत खंडेलवाल? पढ़ें Exclusive Interview

Exclusive Interview Hemant Khandelwal: मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के दो साल पूरे होने के साथ ही सियासी और संगठनात्मक हलचल अभी तेज है। सरकार का कामकाज हो या निगम मंडलों की बहुप्रतीक्षित नियुक्तियों का मामला। संगठन में अनुशासन और भविष्य की रणनीति तक, हर सवाल के केंद्र में अभी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल हैं। पढ़ें पूरा इंटरव्यू

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exclusive interview hemant khandelwal

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Exclusive Interview Hemant Khandelwal: मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के दो साल पूरे होने के साथ ही सियासी और संगठनात्मक हलचल अभी तेज है। सरकार का कामकाज हो या निगम मंडलों की बहुप्रतीक्षित नियुक्तियों का मामला। संगठन में अनुशासन और भविष्य की रणनीति तक, हर सवाल के केंद्र में अभी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल हैं। स्पष्ट सोच, निर्णयों पर दृढ़ता और सादगी उनकी पहचान है। सरकारी बंगला लेने से दूरी हो या 'अपनी पसंद' के किसी व्यक्ति का नाम आगे बढ़ाने से परहेज करने वाले खंडेलवाल हर बार यही संदेश देते हैं कि संगठन व्यक्ति से बड़ा है। इन सब बातों के बीच पत्रिका के राज्य संपादक पंकज श्रीवास्तव से हुई विशेष बातचीत में हेमंत खंडेलवाल ने अपने शुरुआती कार्यकाल, संगठन की प्राथमिकताओं, निगम-मंडलों की नियुक्तियों और आगामी वर्षों के विजन पर बात की। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश…।

सवाल: प्रदेश कार्यकारिणी में फुर्ती दिखी पर निगम-मंडलों के लिए नहीं, क्यों?

सवाल: मुझे अभी प्रदेशअध्यक्ष बने पांच माह हुए हैं। हमारे पार्टी फोरम के सभी लोग साथ बैठकर ऐसे विषयों पर चर्चा करते हैं। वैसे भी पहले संगठन की नियुक्तियां जरूरी थीं। इसके बाद प्रदेश कार्यसमिति प्रकोष्ठ और निगम-मंडलों पर काम शुरू हुआ। इस पर तमाम निर्णयों की संक्रांति हो चुकी है। बहुत जल्द निगम-मंडल की नियुक्तियां भी पूरी की जाएंगी।

सवाल: क्या क्षत्रपों में समन्वय न होने की वजह से हो रही है देरी?

सवाल: देखिए, पार्टी में सभी का समन्वय और साथ सबसे ज्यादा जरूरी है। भाजपा में कभी असंतोष जैसी बात नहीं होती, क्योंकि हर कार्यकर्ता को पता है कि मेरी योग्यता के मुताबिक मुझे कभी भी कोई काम दिया जा सकता है।

सवाल: खास पदों के लिए सिफारिशों का बोझ भी तो होता है?

सवाल: सिफारिश जैसा कोई शब्द भाजपा में नहीं होता है। यदि कोई नेता चंबल, मालवा और महाकौशल का है और वह कहता है कि यह व्यक्ति इस योग्य है। इसे यहां रखना चाहिए तो किसी कार्यकर्ता की योग्यता को उचित मंच पर बताना, इसे मैं अच्छा मानता हूं। यह अच्छी परंपरा है। इसे कभी- कभी हम गलत परिभाषित कर देते हैं।

सवाल: प्रदेश सरकार के दो साल को संगठन कैसे देख रहा है?

सवाल: मोहन सरकार का मैं धन्यवाद करूंगा… क्योंकि जब भी कोई नई सरकार आती है तो अपनी नई योजनाओं को लाने के लिए पुरानी योजनाएं बंद करती है। लेकिन, मोहन सरकार ने पुरानी योजना चाहे लाड़ली बहना हो, कन्यादान हो। जितनी भी शिवराज सरकार की योजनाएं हैं सबको साथ लेकर चल रही है। साथ ही सरकार नए विजन निवेश, कृषि सहित तमाम विषयों पर बेहतरीन काम कर रही हैं। नक्सल मामले में मप्र का काम सराहनीय है।

आगामी वर्षों के विजन पर खुलकर रखी बात

सवाल: हेमंत सबके हैं..लेकिन हेमंत की कोई अपनी सूची नहीं..क्यों?

सवाल: मेरी अपनी सोच और स्वभाव है। कुछ दिन के लिए किसी भी व्यक्ति को पार्टी का दायित्व मिलता है। लेकिन पार्टी का बड़ा व्यापक स्वरूप है। इसलिए सामूहिक सोच और सामूहिक नेतृत्व को तवज्जो देंगे तो यही हमारी पार्टी के हित में है। मैं व्यक्तिगत लोगों को पदाधिकारी बनाऊंगा, तो मैं अपने पद और दल के साथ न्याय नहीं करूंगा।

सवाल: दो मंत्रियों की पार्टी कार्यालय में ड्यूटी लगाने से क्या कार्यकर्ताओं का दर्द कम हुआ है?

सवाल: पहले भी एक बार ऐसा प्रयास हुआ है। हमने यह व्यवस्था इसलिए शुरू की, योंकि हमारा कार्यकर्ता वल्लभ भवन नहीं जा पाता। मंत्री के बंगले में अलग-अलग शेड्यूल के कारण मुलाकात नहीं हो पाती। ऐसे में पार्टी ने पूरे माह का कैलेंडर जारी किया। इससे वह आसानी से पार्टी दफ्तर में मंत्री से मिल सकता है। वैसे भी भाजपा के लिए कार्यकर्ता ही पूंजी है। उनकी समस्याओं का समाधान जरूरी है।

सवाल: संगठन में जातिगत समीकरण कितना अहम फैक्टर होगा?

सवाल: पार्टी में पहले योग्यता को पैमाना माना जाता है। लेकिन ये सच है संगठन में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो इसका प्रयास पार्टी हमेशा करती रही है। क्योंकि हमारे देश में समाज और वर्ग ही देश का आधार है।

सवाल: आप क्षेत्र की कोई बात उठाते हैं तो बतौर विधायक लिखते हैं। क्यों?

सवाल: मुझे संगठन का दायित्व मिला है बतौर अध्यक्ष। संगठन का काम या फैसला हो तो मैं प्रदेश अध्यक्ष का लेटर हेड यूज करूंगा। जहां तक अपने क्षेत्र की बात है तो वहां मैं विधायक हूं। उसी अधिकार से बात उठा सकता हूं। संगठन व क्षेत्र दोनों अलग दायित्व हैं।

सवाल: कुछ नेता और उनके पुत्र पार्टी का अनुशासन तोड़ते दिखते हैं, कुछ एक्शन होगा?

जवाब: यह मानव स्वभाव है, सबका अपना-अपना तरीका है। मेरे लिए अनुशासन एक बड़ी प्राथमिकता है। इसलिए मैंने जरूरत के मुताबिक कभी समझाया…कभी चेताया और कभी निष्कासित भी किया। और आगे भी अनुशासन के लिए जो उचित होगा वो कार्रवाई की जाएगी।

सवाल: कुछ बड़े नेताओं के रूठनेमनाने का सिलसिला चल रहा है, संगठन क्या कर रहा है? जवाब: कई बार मेरे और आपके बीच कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मंत्री, विधायक या मुख्यमंत्री के बीच आपस में ऐसा नहीं है। जिसे मनमुटाव कहा जाए। मैंने अभी छोटी टोली बनाई, जिसमें सभी वरिष्ठ नेता हैं।

सवाल: लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने वाले दिग्गजों को कहां एडजस्ट करेंगे?

जवाब: जो भी कांग्रेस छोड़ हमारी विचारधारा में आए हैं, वो हमारे परिवार का हिस्सा हैं। उन्हें हम खुद से अलग नहीं मानते हैं। उनसे बातचीत हो रही है। जहां भी पार्टी को आवश्यकता होगी, उपयोग करेंगे। सवाल: आने वाले सालों में संगठन क्या लक्ष्य लेकर चल रहा है? जवाब: हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में हमारी सरकार पर कार्यकर्ता का भरोसा बना रहे और आम जनता कार्यकर्ताओं पर भरोसा बनाए रखे। पूरी कड़ी को ३ वर्षों में हम और मजबूत करें। यही हमारा लक्ष्य है।