Tea vs Coffee: भिलाई का बदलता ट्रेंड अब साफ दिखने लगा है। कभी दोस्तों की बैठकों, नुक्कड़ की गपशप और मोहल्ले के किस्सों की जान हुआ करता था चाय का प्याला, लेकिन अब कॉफी का कप युवाओं की पहली पसंद बन चुका है।
Tea vs Coffee: भिलाई का बदलता ट्रेंड अब साफ दिखने लगा है। कभी दोस्तों की बैठकों, नुक्कड़ की गपशप और मोहल्ले के किस्सों की जान हुआ करता था चाय का प्याला, लेकिन अब कॉफी का कप युवाओं की पहली पसंद बन चुका है। यह बदलाव सिर्फ एक स्वाद या ड्रिंक की पसंद नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल और सोच का भी आइना है।
शहर के सिविक सेंटर से लेकर सेक्टर-10 और स्मृति नगर तक कॉफी स्टॉल्स की रौनक इस ट्रेंड की गवाही देती है। भिलाई में आज 19 से ज्यादा कॉफी स्टॉल्स मौजूद हैं और लगभग हर स्टॉल पर सुबह से लेकर रात तक युवाओं की भीड़ लगी रहती है। कॉफी अब सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि सोशल कनेक्शन का जरिया है। दोस्त मिलते हैं, घंटों बातें करते हैं और कॉफी बन जाती है उनके बीच क्वालिटी टाइम का बहाना।
भिलाई की गलियों में जब बात छेड़ी जाती है – "चाय अच्छी या कॉफी?" तो माहौल मजेदार हो जाता है। चाय लवर्स कहते हैं – "चाय हर मौसम की साथी है, इसमें अपनापन है और भारत की परंपरा जुड़ी हुई है।" वहीं कॉफी फैंस** का तर्क होता है – "कॉफी स्मार्टनेस और ऊर्जा देती है, यह ग्लोबल कल्चर का हिस्सा है और दोस्तों के साथ बैठने का सही बहाना।"
मैं, तुम दोनों से सहमत तो हूं लेकिन, चाय का स्वाद और अपनापन अलग ही लेवल का है। कॉफी हमारी जेनरेशन की नई पहचान है। मगर, चाय को भी कम समझने की गलती नहीं करनी चाहिए। भिलाई जैसे छोटे शहर में कैफे कल्चर के बढ़ने से अब युवाओं की लाइफस्टाइल बदल रही है।
चाय की टपरी पर बैठकर गप्पें मारने का दौर कम हो रहा है। उसकी जगह प्रीमियम कॉफी स्टॉल्स में मिलने-जुलने का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। तो आज जब पूरी दुनिया इंटरनेशनल कॉफी डे मनाएगी, भिलाई के युवा भी इस ट्रेंड का हिस्सा बनते दिखेंगे। और शायद दोस्तों की बहस से यही मैसेज निकलेगा कि अब चाय नहीं, कॉफी है भिलाई के युवाओं की नई पसंद।