Trump Compensation Claims: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस जांच और मार-ए-लागो सर्च के लिए DOJ से 230 मिलियन डॉलर मांगे हैं।
Trump Compensation Claims: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) ने अपनी पिछली जांचों के एवज में सरकार से करीब 230 मिलियन डॉलर (लगभग 23 करोड़ डॉलर) का दावा (Trump Compensation Claims) किया है। दरअसल जनवरी 2025 में दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से वे इस मुद्दे पर चुप थे, लेकिन अब रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि वे जस्टिस डिपार्टमेंट (DOJ Settlement Trump) से मुआवजा चाहते हैं। ट्रंप का कहना है कि अगर पैसा मिला, तो वे इसे दान कर देंगे या व्हाइट हाउस की मरम्मत में लगाएंगे। यह दावा उन जांचों से जुड़ा हुआ है, जो उनके पहले कार्यकाल में हुईं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी खजाने से रकम मांगी।
जानकारी के अनुसार ट्रंप ने 2023 में पहला दावा दायर किया था। इसमें उन्होंने रूस की 2016 चुनाव में हस्तक्षेप और उनके कैम्पेन से कथित संबंधों की एफबीआई-स्पेशल काउंसल जांच के लिए नुकसान की भरपाई की रकम मांगी। उनका आरोप था कि यह जांच राजनीतिक थी, जिससे उन्हें करोड़ों का खर्चा उठाना पड़ा। दूसरा दावा 2024 में आया, जब उन्होंने मार-ए-लागो एस्टेट पर 2022 की एफबीआई सर्च के खिलाफ 100 मिलियन डॉलर मांगे। यहां उन्होंने गोपनीय दस्तावेजों के कथित दुरुपयोग की जांच को 'अधिकारों का उल्लंघन' बताया। ये दोनों दावे संघीय टोर्ट क्लेम्स एक्ट के तहत हैं, जो सरकार के खिलाफ हर्जाने की अनुमति देते हैं।
ट्रंप ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, "वे मुझ पर बहुत सारा पैसा बकाया बताते हैं, लेकिन मैं पैसे के पीछे नहीं हूं।" उन्होंने हंसते हुए कहा, "यह मजेदार है, क्योंकि फैसला तो मैं ही लूंगा। मैं खुद पर मुकदमा चला रहा हूं!" उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट पर सवालों का जवाब देते हुए संभावना से इनकार नहीं किया कि वे अदालत जा सकते हैं। ध्यान रहे कि अगर सरकार 6 महीने में भुगतान न करे, तो मुकदमा दायर करने का अधिकार मिल जाता है। लेकिन ट्रंप ने अभी ऐसा नहीं किया।
सबसे संभावित रास्ता DOJ के साथ सेटलमेंट है, लेकिन यह नैतिक रूप से उलझा हुआ है। ट्रंप के पूर्व वकील टॉड ब्लैंच अब डिप्टी अटॉर्नी जनरल हैं, जबकि सिविल डिवीजन चीफ स्टेनली वुडवर्ड उनके सह-आरोपी के वकील रहे। DOJ ने कहा कि अधिकारी नैतिकता के नियमों का पालन करेंगे। बाइडन काल में ये दावे लंबित रहे, क्योंकि चल रही जांचों में सेटलमेंट नहीं होता। अब ट्रंप प्रशासन में यह संभव हो सकता है, लेकिन डेमोक्रेट्स ने इसे 'टैक्सपेयर्स का शेकडाउन' बता कर जांच शुरू कर दी है।
कानूनी जानकारों का मानना है कि ऐसे दावे दुर्लभ हैं। हर साल हजारों क्लेम आते हैं, लेकिन राष्ट्रपति की ओर से दायर कोई क्लेम नहीं होता। ट्रंप के दावे सार्वजनिक नहीं होते, लेकिन उनके बयानों से साफ है कि DOJ ने अब तक इन्हें खारिज नहीं किया है। अगर सेटलमेंट हुआ, तो डिप्टी अटॉर्नी जनरल के हस्ताक्षर जरूरी होंगे। यह अमेरिकी लोकतंत्र में शक्ति संतुलन पर सवाल उठाता है। ट्रंप ने कहा कि पैसा मिलने पर वे चैरिटी को देंगे, लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई ऐसा होगा ?
बहरहाल इस मामले से न सिर्फ ट्रंप की कानूनी रणनीति मालूम होती है, बल्कि सरकारी संसाधनों के इस्तेमाल पर भी बहस का मुददा मिल गया है। अब सवाल यह है कि क्या ट्रंप को मुआवजा मिलेगा, या यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है? आने वाले हफ्तों में धुंध साफ होगी।
(वॉशिंग्टन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)