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Tryst with Destiny: 14 अगस्त की मध्यरात्रि में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिया था दुनिया को संदेश, पढ़िए क्या कहा था?

Tryst with Destiny: 14 अगस्त 1947, मध्यरात्रि का समय। भारत एक राष्ट्र के रूप में अपने सबसे महत्वपूर्ण क्षण की ओर बढ़ रहा था। इस मौके पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ट्रिस्ट विद डेस्टनी भाषण दिया। इसमें उन्होंने कहा, 'जब दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के साथ जागेगा'।

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Aug 14, 2025
नेहरू का भाषण (Photo source: Nehru Memorial Museum & Library, @IndiaHistorypic)

Tryst with Destiny: 14 अगस्त 1947 को दिल्ली के वायसराय लॉज में संविधान सभा गूंज रही थी। जैसी ही घड़ी ने मध्यरात्रि का समय (00:00, 15 अगस्त) दर्शाया, भारत के पहले प्रधानमंत्री ने भारत और दुनिया को संदेश दिया। उन्होंने, 'नियति से साक्षात्कार' भाषण में भारत की आजादी की घोषणा की। यह भारत की आजादी का वह क्षण था, जिसके लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिए। इस मौके पर नेहरू ने केवल आजादी की बात नहीं की थी। उन्होंने नए भारत को लेकर एक सपना देखा था। जहां गरीबी, अज्ञानता और असमानता का अंत हो। जहां हर आंख के आंसू मिटाए जाए।

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'भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जागेगा'

नेहरु ने अपने भाषण में कहा, 'कई वर्ष पहले हमने नियति के साथ एक वादा किया था। अब वह समय आ गया है जब हमें अपनी प्रतिज्ञा को पूरी तरह नहीं, लेकिन काफी हद तक निभाना है। इस आधी रात के समय जब सारी दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जागेगा'।

'हम पुराने युग से बाहर निकलकर नए युग में प्रवेश करते हैं'

यह एक ऐसा क्षण है। जो इतिहास में बहुत कम आता है। जब हम पुराने युग से बाहर निकलते हैं और एक नए युग में प्रवेश करते हैं। यह उचित है कि इस पवित्र अवसर पर हम भारत और उसके लोगों की सेवा करने के लिए और उससे भी बढ़कर समस्त मानवता की सेवा करने का संकल्प लें।

भारत की आजादी का अर्थ है, उन करोड़ों लोगों की सेवा करना जो कष्ट में हैं। इसका अर्थ है, हमें देश से गरीबी, अज्ञानता, बीमारी और अवसर की असामनता को समाप्त करना होगा। हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी महत्वकांक्षा यह होनी चाहिए कि प्रत्येक आंख से आंसुओं को मिटाया जाए। हो सकता है यह कार्य हमारी शक्ति से परे हो, लेकिन जब तक आंसू और पीड़ा बनी रहेगी, हमारा काम पूरा नहीं होगा।

'भारत की आत्मा चिर युवा रही है'

हमारा देश प्राचीन है, लेकिन उसकी आत्मा चिर युवा रही है। हमारी शक्ति हमारी संस्कृति और हमारी खोज की भावना में निहित है। स्वतंत्रता और शक्ति अपने साथ बड़ी जिम्मेदारी भी लेकर आती है। हमें अपने लिए और विश्व के लिए एक महान भारत का निर्माण करना है, जो न केवल स्वतंत्र हो, बल्कि शांतिपूर्ण और समृद्ध भी हो। कोई भी राष्ट्र आज अकेला नहीं रह सकता। शांति, स्वतंत्रता और समृद्धि अविभाज्य हैं। इसलिए हमें विश्व के साथ मिलकर मानवता के कल्याण के लिए काम करना होगा।

'महात्मा गांधी को किया याद'

हमारी आजादी का यह क्षण एक शुरुआत है, जो चुनौतियों और अवसरों से भरी है। हम उन सभी को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए बलिदान दिया। विशेष रूप से, हम उस महान आत्मा (महात्मा गांधी) को याद करते हैं, जिन्होंने हमें प्रेरित किया। अब हमारा कर्तव्य है कि हम उनके सपनों को साकार करें। आइए, हम सब मिलकर इस नए भारत का निर्माण करें, जिसमें सभी धर्मों और समुदायों के लोग समान अधिकारों और कर्तव्यों के साथ एकजुट हों। जय हिंद!

नेहरु के सपनों का भारत आज कहां खड़ा है?

15 अगस्त साल 1947 को जब भारत ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, लेकिन तब देश आर्थिक रूप से कमजोर था। सामाजिक और धार्मिक रूप से विभाजित था। देश में बुनियादी ढांचे की कमी थी। भारत खाद्यान संकट से गुजर रहा था। आजादी के समय भारत की साक्षरता दर 18 फीसदी थी। भारत में औसत आयु महज 32 साल थी। आजादी के समय भारत की अर्थव्यवस्था 2.7 लाख करोड़ रुपये थी।

वहीं, 2025 में भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग 4.19 ट्रिलियन डॉलर है। तकनीकी क्षेत्र में भारत ने डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इकोसिस्टम और अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) में उल्लेखनीय प्रगति की है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है, लेकिन असमानता और गरीबी अभी भी चुनौतियां हैं। बीते 78 सालों में बुनियादी ढांचे में निवेश हुआ है। भारत अब खाद्यान संपंन्न देश है। वैश्विक स्तर पर भी भारत बीते 78 सालों में मजबूती से उभरा है। सैन्य स्तर पर भी भारत महाशक्ति बनने की कतार में है। नेहरू के "ट्रिस्ट विद डेस्टिनी" के सपने को भारत ने कई क्षेत्रों में साकार किया, लेकिन देश को अभी भी लंबा सफर तय करना है।

Updated on:
14 Aug 2025 09:59 am
Published on:
14 Aug 2025 09:58 am
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