परमाणु ऊर्जा: निजी भागीदारी का रास्ता खुला, विपक्ष का जोखिम को नजरअंदाज करने का आरोप
नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार देर रात तक जी-राम-जी (विकसित भारत ग्रामीण रोजगार गारंटी) विधेयक पर तीखी बहस चली। इससे पहले परमाणु ऊर्जा में निजी भागीदारी का रास्ता खोलने वाले स्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (शांति)-बिल 2025 को विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा ने पारित कर दिया। सरकार ने बिल को ऐतिहासिक करार दिया तो विपक्ष ने संवेदनशील क्षेत्र में निजी कॉरपोरेट समूहों के लिए रास्ता खोलने वाला और जोखिमों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। वहीं विपक्ष ने मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर वॉक आउट किया।
बिल पर ऊर्जा मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यदि हमने 2047 तक 100 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा का लक्ष्य रखा है तो पूरा करने में परमाणु क्षेत्र महत्वपूर्ण है। हमें जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करनी होगी और परमाणु ऊर्जा उत्पादन बढ़ाना होगा। कुछ मामलों में परमाणु ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा से बेहतर है, क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा 24 घंटे उपलब्ध नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में अलग-थलग रहने का दौर खत्म हो चुका है। उन्हीं सुरक्षा उपायों को जारी रखा गया है जो प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय अमल में आए थे। निजी क्षेत्र की भागीदारी होगी, लेकिन सुरक्षा का पूरा प्रबंध किया गया है। मंत्री ने कहा कि नुकसान की स्थिति में संचालक को भरपाई करनी होगी और परमाणु उत्तरदायित्व कोष होगा। अब भारत अनुसरण नहीं करता है, बल्कि लोग भारत का अनुसरण करते हैं। कुछ सांसदों ने भाजपा नेता दिवंगत अरुण जेटली के 15 साल पहले परमाणु ऊर्जा विधेयक के कुछ प्रावधानों का संसद में विरोध करने का उल्लेख किया। इस पर जितेन्द्र सिंह कहा कि अब समय बदल गया है। कांग्रेस, डीएमके, सपा समेत कुछ विपक्षी दलों ने मंत्री के जवाब पर असंतोष जताते हुए सदन से वॉकआउट किया।
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बिल पर विस्तृत विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2008 में जब परमाणु रंगभेद की नीति को खत्म करने का प्रयास जा रहा था तो भाजपा ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को पटरी से उतारने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि इस बिल में आपूर्तिकर्ता के उत्तरदायित्व का कोई प्रावधान नहीं है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि इस बिल में रेडियोधर्मी पदार्थों के विकिरण और परमाणु अपशिष्ट से उत्पन्न होने वाले जोखिम को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा कि जोखिम को नगण्य माना जाए तो केंद्र सरकार किसी भी संयंत्र को लाइसेंस या दायित्व से छूट दे सकती है। उन्होंने इसे खतरनाक बताते हुए कहा कि इससे एक बैकडोर बन जाती है। यह प्रावधान पूरे नियामक ढांचे को कमजोर करता है, क्योंकि इसके जरिए सरकार जब सुविधाजनक समझे, तब किसी भी सुविधा को निगरानी और जवाबदेही से बाहर रखा जा सकता है।
लोकसभा में विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी राम-जी) बिल, 2025 पर चर्चा शुरू हो गई। इस पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस बिल में रोजगार 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रावधान है। वहीं इस बिल पर रात करीब डेढ़ बजे तक लोकसभा में चर्चा की गई। गुरुवार को इस चर्चा को आगे बढ़ाया जाएगा।