राजनीति

छोटे मोटे अपराध पर नहीं जाना होगा जेल, जुर्माने से मिलेगा सुधरने का मौका

-16 केंद्रीय कानूनों के 288 प्रावधानों को अपराधमुक्त कर जनता का जीवन आसान बनाने की तैयारी -मोदी सरकार ने लोकसभा में पेश किया जन विश्वास विधेयक 2025, सलेक्ट कमेटी देगी अगले सत्र में रिपोर्ट

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पुराने कानूनों को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम (फाइल फोटो)

नवनीत मिश्र

नई दिल्ली। जनता के जीवन को आसान बनाने के लिए मोदी सरकार ने छोटे मोटे अपराधों में जेल की सजा खत्म कर सिर्फ जुर्माने की व्यवस्था की पहल की है। 76 मामलों में पहली बार गलती करने वालों को जेल या भारी दंड के बजाय केवल चेतावनी या सलाह दी जाएगी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को लोकसभा में जन विश्वास (संशोधन प्रावधान) विधेयक, 2025 पेश करते हुए पेश करते हुए लोकसभा अध्यक्ष से इसे चयन समिति के पास भेजने का अनुरोध किया। समिति के सदस्य लोकसभा अध्यक्ष के स्तर से चुने जाएंगे और यह रिपोर्ट अगले सत्र के पहले दिन सौंपेगी।

जन विश्वास अधिनियम 2.0

वर्ष 2023 में पारित जन विश्वास अधिनियम में 19 मंत्रालयों से जुड़े 42 केंद्रीय कानूनों के 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया था। 2023 में आंशिक रूप से कुछ प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया था। अब और अधिक उदार बनाया जा रहा है।

अब यह नया जन विश्वास अधिनियम 2025 इस सुधार को आगे बढ़ाता है। यह बिल 10 मंत्रालयों से जुड़े 16 केंद्रीय अधिनियमों को कवर करता है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक भारत की नियामकीय सुधार में एक बड़ा कदम है। यह “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” की सोच को आगे बढ़ाता है और देश में आर्थिक विकास, कारोबार की आसानी और नागरिकों की सहूलियत को तेज करेगा।

खास बातें

-जनविश्वास विधेयक 2025 के तहत 355 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है

-288 प्रावधानों को अपराधमुक्त कर कारोबार करने में आसानी को बढ़ावा दिया जाएगा

-67 प्रावधानों को आसान जीवन सुनिश्चित करने के लिए बदला जाएगा

-76 मामलों में पहली बार गलती करने वालों को जेल या भारी दंड के बजाय केवल चेतावनी या सलाह दी जाएगी।

- छोटे मोटे उल्लंघनों के लिए कैद की सजा को हटाकर मौद्रिक जुर्माना या चेतावनी दी जाएगी।

न्यायालय का बोझ होगा कम

इस विधेयक के जरिए न्यायालयों का बोझ कम करने की मंशा जुड़ी है। दंड निर्धारण का अधिकार तय अधिकारियों को दिया जाएगा ताकि न्यायालयों का बोझ कम हो। विधेयक में कहा गया है कि पहली गलती पर हल्की कार्रवाई और दोहराने पर कड़ा जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने और दंड में हर तीन साल में स्वतः 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जिससे कानून में बार-बार संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इन केंद्रीय कानूनों के आपराधिक प्रावधान होंगे खत्म

-नई दिल्ली नगरपालिका परिषद अधिनियम, 1994

-मोटर वाहन अधिनियम, 1988

-चाय अधिनियम, 1953

-विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009

-मोटर वाहन अधिनियम, 1988

-औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940

Updated on:
19 Aug 2025 04:41 pm
Published on:
19 Aug 2025 04:40 pm
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