अतीक अहमद ने अपराध की दुनिया से राजनीति तक लंबा सफर तय किया। 2017 के बाद योगी सरकार में उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई।
Atiq Ahmed Death Story: 2023 की अप्रैल की वो रात थी, जब प्रयागराज से एक ऐसी खबर आई, जो पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। रात के करीब 10 बजे, कोल्विन अस्पताल के बाहर मीडिया की भीड़ जमा थी। पुलिस की हिरासत में अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ मेडिकल चेकअप के लिए लाए जा रहे थे। अतीक, एक भारी-भरकम शख्स, पुलिस की पकड़ में लंगड़ाते हुए चल रहा था। अचानक, तीन युवक, जो खुद को पत्रकार बता रहे थे, कैमरे लेकर आगे बढ़े। "सरेंडर!" की आवाज गूंजी, और अगले ही पल गोलियों की तड़तड़ाहट ने हवा चीर दी। अतीक और अशरफ जमीन पर गिर पड़े, उनके सिर और सीने से खून बह रहा था। लाइव टीवी पर इस हत्या को पूरे देश ने देखा, और सभी मौन हो गए। तीनों हमलावरों ने तुरंत हथियार फेंक दिए और गिरफ्तारी दे दी। इस तरह, गोलियों की आवाज से अतीक अहमद का दशकों पुराना अपराधी साम्राज्य हमेशा के लिए खत्म हो गया।
अतीक की कहानी 1962 में इलाहाबाद में शुरू हुई थी। 1 गरीब टांगा चालक का बेटा, अतीक बचपन से ही गलियों में भटकता रहा। 1979 में महज 17 साल की उम्र में उस पर पहला हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। चंद्र प्रकाश तिवारी की हत्या से उसकी अपराध की दुनिया में एंट्री हुई। जल्दी ही वो छोटे-मोटे अपराधों से आगे बढ़ा- फिरौती, अपहरण, जमीन कब्जा और हत्याएं। 1980 के दशक में वो प्रयागराज का कुख्यात गैंगस्टर बन गया। दिनदहाड़े हत्याएं उसकी पहचान थीं। उसके खिलाफ 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें हत्या, अपहरण और जबरन वसूली जैसे संगीन आरोप थे।
लेकिन अतीक सिर्फ अपराधी नहीं था; वो राजनीति का चतुर खिलाड़ी भी था। अपराध की कमाई से उसने राजनीतिक रसूख बनाया। 1989 में पहली बार विधायक चुना गया, और अगले सालों में पांच बार MLA बना। 2004 में सपा के टिकट पर फूलपुर से सांसद भी चुना गया। राजनीति ने उसे सुरक्षा कवच दिया, पुलिस और कानून से बचाव। उसका भाई अशरफ भी राजनीति में आया, और परिवार का पूरा कुनबा अपराध में लग गया। अतीक के पांच बेटे थे; सबसे बड़ा उमर जेल में था, जबकि असद हाल ही में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था। असद पर उमेश पाल हत्याकांड में शामिल होने का आरोप था, जो अतीक के पुराने दुश्मन का गवाह था।
अतीक का साम्राज्य यूपी के कई जिलों में फैला था। वो माफिया डॉन था, जो ठेकेदारी, रियल एस्टेट और अवैध कारोबार चलाता था, लेकिन 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद उसकी मुश्किलें बढ़ीं। योगी ने माफियाओं पर शिकंजा कसा। अतीक की संपत्तियां जब्त हुईं, और वो जेल में बंद रहा। मार्च 2023 में, उमेश पाल अपहरण मामले में उसे उम्रकैद की सजा हुई। ये उसकी पहली सजा थी, जो 2006 के अपहरण की थी। फिर आया वो निर्णायक मोड़। 13 अप्रैल को, अतीक का बेटा असद और साथी गुलाम पुलिस मुठभेड़ में मारे गए।
अतीक सदमे में था, लेकिन उसे अंदाजा नहीं था कि उसका अंत इतना नजदीक है। 15 अप्रैल की रात, अस्पताल जाते वक्त हमला हुआ। हमलावर- लवलेस तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य-ब्राह्मण थे, और उन्होंने बदला लेने की बात कही। अतीक की मौत से उसका साम्राज्य बिखर गया। उसके समर्थक डर गए, और यूपी में माफिया का खेल समाप्त होने लगा। आज, प्रयागराज की गलियां शांत हैं, लेकिन अतीक की छाया अभी भी महसूस होती है।