Mahakumbh 2025: 13 जनवरी से कल्पवास आरंभ हो गया है, जो 12 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान कल्पवासियों को 21 कठिन नियमों का पालन करेंगे। आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में…
Mahakumbh 2025: आज यानी 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन गंगा में पावन डुबकी लगाने के साथ संगम की रेती पर एक महीने का कठिन कल्पवास आरंभ हो गया है। यह कल्पवास 13 जनवरी से शुरू होकर 12 फरवरी तक चलेगा। 12 जनवरी को माघी पूर्णिमा का स्नान भी होगा। प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार, इस महाकुंभ में लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं के कल्पवास करने का अनुमान है।
कल्पवासी एक सप्ताह पहले ही मेला क्षेत्र में आना शुरू हो गए थे, और रविवार शाम तक इनका आगमन जारी रहा। सोमवार को पौष पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त में स्नान करने के बाद, वे तीर्थ-पुरोहितों के साथ कल्पवास का संकल्प लेंगे। इस दौरान वे अपने शिविर के बाहर तुलसी का बिरवा रखकर पूजन अर्चन करेंगे और जौ बोने की परंपरा भी निभाएंगे। मान्यता है कि जिस तरह से जौ बढ़ता है, उसी तरह कल्पवासी के जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
कल्पवासी शिविर के एक कोने में भगवान शालिग्राम की स्थापना करेंगे और जप-तप एवं मानस पाठ करेंगे। वे मेला क्षेत्र में होने वाले संतों के कथा-प्रवचन में भी शामिल होंगे। हर रोज, कल्पवासी गंगा में स्नान करने के साथ-साथ एक समय अपने हाथ से तैयार भोजन करेंगे। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, कल्पवास व्यक्ति के दिल और दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे मानसिक ऊर्जा मिलती है।
कल्पवास के नियमों का पालन अत्यधिक कठिन माना जाता है। इन नियमों में सत्य बोलना, अहिंसा का पालन करना, इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना, सभी प्राणियों के प्रति दया रखना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, व्यसनों से दूर रहना, ब्रह्म मुहूर्त में जागना, प्रत्येक दिन तीन बार पवित्र नदी में स्नान करना, त्रिकाल संध्या का पालन करना, पितरों को पिंडदान देना, दान करना, अन्तर्मुखी जप करना, सत्संग में भाग लेना, निर्धारित क्षेत्र के बाहर न जाना, किसी की निंदा न करना, साधु-संतों की सेवा करना, जप और संकीर्तन करना, एक समय भोजन करना, भूमि पर सोना, अग्नि सेवन से बचना और देव पूजन शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तीर्थ पुरोहित पं. स्वामी नाथ दुबे ने बताया कि कल्पवास के लिए प्रयागराज के अलावा कौशाम्बी, प्रतापगढ़, जौनपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर, सुल्तानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, अयोध्या से अधिक कल्पवासी आते हैं। दूसरे प्रदेशों से आने वाले कल्पवासियों की मदद के लिए उनके तीर्थ पुरोहित खुद संपर्क करते हैं।
पौष पूर्णिमा स्नान की कुछ तस्वीरें...